आंडाल | आण्डाल | Andal

आंडाल – Andal

ईसा की 9वी शताब्दी मे दक्षिण भारत  मे एक अत्यंत प्रसिद्ध संत-कवयित्री का जन्म हुआ
| इनका नाम था आंडाल | आंडाल को दक्षिण भारत की मीरा भी
कहा जाता था
| वह भी मीरा बाई की तरह ही भगवान श्री कृष्ण की
उपासिका थी
|ऐसा कहा जाता है की आंडाल भूदेवी की अवतार थी | उन्होने भी मीराबाई की तरह श्री कृष्ण पर अनेक कविताए रची |

दक्षिण भारत मे मदुरा नाम का शहर है | इसे दक्षिण मथुरा कहते है | इस मदुरा मे पुराने जमाने
मे तमिल राजा पांडियन राज करता था
| इस मदुरा के नजदीक श्रीविल्लिपुतर
गाव है
| यहा विष्णुचित्त नामक विष्णु भक्त ब्रांहण रहते थे | वह श्रीकृष्ण की सेवा मे अपना अधिंकाश समय बिताते थे | विष्णुचित्त ने एक सुंदर फुलवारी लगा रखी थी, जिसके
फूलो से वह श्रीकृष्ण की पुजा करते थे
| उनके कोई संतान नही थी
| इस कारण विष्णुचित्त और उनकी पत्नी दुखी रहते थे | संतान के लिए दोनों प्रार्थना करते थे |

अंत मे भगवान की कृपादृष्टि हुई, एक दिन विष्णुचित्त अपनी फुलवारी मे पौधो को पानी डाल रहे थे तभी उन्हे तुलसी
के पौधे के पास एक सुंदर बच्ची पड़ी दिखाई दी
| बच्ची को देखकर
विष्णुचित्त अत्यंत प्रसन्न हुए
| दोनों ने उस बच्ची का नाम कौदे
रखा और बहुत लाड प्यास से उसका पालन पोषण करने लगे
| यही बालिका
बाद मे
आंडाल
के
नाम से प्रसिद्ध हुई
|

कौदे बचपन से ही श्रीकृष्ण के अत्यंत प्रेम करती थी
| वह श्रीकृष्ण की पूजा किए बिना भोजन नही करती थी | वह
पढ़ने लिखने मे भी बहुत होशियार थी
| बचपन से ही श्रीकृष्ण के
बारे मे सुंदर कविताए रचकर सुनाती थी
| लड़की की इस अपार कृष्ण
भक्ति को देखकर माँ बाप फुले न समाते थे
|

इसे भी पढ़े :   बाबा खड़क सिंह | Baba Kharak Singh

जब कौदे बड़ी हुई, वह रोज अकेले
बैठकर घंटो श्रीकृष्ण का ध्यान किया करती
| कभी अपनी बनाई हुई
कविता गाकर उनकी स्तुति करती
|

विष्णुचित्त रोज श्रीकृष्ण को पहनाने के लिए चार-पाँच
मालाए तैयार किया करते थे
| कौदे छिपकर इन मालाओ को खुद पहन लेती
और आईने मे देखकर आनंदित होती
| फिर उसे चुपचाप उतारकर रख देती
थी
| विष्णुचित्त को यह नही मालूम था की कौदे माला पहनकर उसे
जूठा कर देती है
|

एक रोज जब कौदे भगवान की माला पहन रही थी, तब विष्णुचित्त वहा आ गए, अपनी बेटी को माला पहनता देख
उसे माना किया और नया माँला बनाकर मंदिर ले गए
| जब वह
नई मालाए भगवान को पहनाने लगे तब टुकडे टुकड़े होकर गिरने लगी
| यह देखकर विष्णुचित्त डर गए | वह समझे की भगवान उन पर
नाराज हो गए है
|

इतने मे विष्णुचित्त को एक आवाज सुनाई दी, “मेरे भक्त ! तुम्हारी बेटी कौदे की पहनी हुई माला ही मैं पहनुंगा” | इस घटना के बाद विष्णुचित्त और उनकी पत्नी कौदे को देवी का रूप मानने लगे

इधर कौदे की भक्ती बढ़ गई | वह रोज सवेरे उठ नहा धोकर पूजागृह मे जाती और श्रीकृष्ण पर भक्ति भरी
कविताए रचकर गाती
| इस तरह उन्होने अनगिनत कविताए रची | इन कविताओ को तमिल भाषा मे “
आंडाल पासुरंगल”
कहते है
| इन कविताओ के भावो को देखकर सभी विष्णुभक्त दंग रह जाते थे |

एक रात भगवान श्री कृष्ण ने विष्णुचित्त को स्वप्न मे
दर्शन दिए और कहा – तुम्हारी जो पुत्री है वह मेरी लक्ष्मी है
| तुम्हारी भक्ति मे अधीन होकर मैंने उसे तुम्हारे यहा भेज रखा है | मेरे देवी जल्द ही मेरे पास वापस आ जाएगी |

इसे भी पढ़े :   श्री संपूर्णानंद | डॉ संपूर्णानंद का जीवन परिचय | Sampurnanand

उधर कौदे ने भी उसी रात एक स्वप्न देखा की उसका श्रीकृष्ण
के साथ विवाह हो गया है
|

कौदे को श्रीकृष्ण प्रेम की लत लग चुकी थी | तभी विष्णुचित्त कौदे को लेकर वैष्णो तीर्थ की यात्रा पर निकले और यात्रा
के दौरान वह श्री रंगम पहुचे
| कहा जाता है की भगवान श्री रंगनाथ
 की मूर्ति को देखते ही कौदे प्रेम विभोर हो
गए और मूर्ति के निकट चली गई
| उसी समय लोगो ने देखा की मूर्ति
मे से एक तेज रौशनी निकली
, जिससे सभी की आँखे चकचौंध हो गई | पलक झपके ही कौदे ऐसे लापता हो गई जैसे की वह मूर्ति मे समा गई हो |

कौदे तो
उसका घर का नाम था उनका असली नाम
आंडाल था | आंडाल अर्थात वह व्यक्ति जिसका उद्धार हो चुका हो |  

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *