आदमी की मृत्यु कैसे होती है
यह जानकर आप सभी हैरान हो जाएंगे कि प्रत्येक व्यक्ति अलग इंद्रिय से मरता है । किसी की मृत्यु आंख से होती है, तो आंख खुली रह जाती है । किसी की मृत्यु कान से होती है । किसी की मृत्यु मुंह से होती है, तो मुंह खुला रह जाता है । अधिक लोगों की मृत्यु जननेंद्रिय से होती है, क्योंकि अधिक लोग जीवन में जननेंद्रिय के आसपास ही भटकते रहते हैं, उसके ऊपर नहीं जा पाते ।
हमारी जिंदगी जिस इंद्रिय के पास जी गई है, उसी इंद्रिय से मौत होगी । औपचारिक रूप से हम मरघट ले जाते हैं किसी को तो उसकी कपाल क्रिया करते हैं, उसका सिर तोड़ते हैं । वह सिर्फ प्रतीक है । समाधिस्थ व्यक्ति की मृत्यु उस तरह होती है । समाधिस्थ व्यक्ति की मृत्यु सहस्रार से होती है ।
जननेंद्रिय सबसे नीचा द्वार है । जैसे कोई अपने घर की नाली में से प्रवेश करके बाहर निकले । सहस्रार, जो तुम्हारे मस्तिष्क में है द्वार, वह श्रेष्ठतम द्वार है ।
जननेंद्रिय पृथ्वी से जोड़ती है, सहस्रार आकाश से । जननेंद्रिय देह से जोड़ती है, सहस्रार आत्मा से । जो लोग समाधिस्थ हो गए हैं, जिन्होंने ध्यान को अनुभव किया है, जो बुद्धत्व को उपलब्ध हुए हैं, उनकी मृत्यु सहस्रार से होती है ।
उस प्रतीक में हम अभी भी कपाल क्रिया करते हैं । मरघट ले जाते हैं, बाप मर जाता है, तो बेटा लकड़ी मारकर सिर तोड़ देता है । मगर प्रतीक, औपचारिक, आशा कर रहा है बेटा कि बाप सहस्रार से मरे; मगर बाप तो मर ही चुका है । यह दरवाजा मरने के बाद नहीं खोला जाता, यह दरवाजा जिंदगी में खोलना पड़ता है । इसी दरवाजे की तलाश में सारे योग, तंत्र की विद्याओं का जन्म हुआ । इसी दरवाजे को खोलने की कुंजियां हैं योग में, तंत्र में ।
इसी दरवाजे को जिसने खोल लिया, वह परमात्मा को जानकर मरता है । उसकी मृत्यु समाधि हो जाती है । इसलिए हम साधारण आदमी की कब्र को कब्र कहते हैं, फकीर की कब्र को समाधि कहते हैं |
प्रत्येक व्यक्ति उस इंद्रिय से मरता है, जिस इंद्रिय के पास वह जीया है । जो लोग रूप के दीवाने हैं, वे आंख से मरेंगे; इसलिए चित्रकार, मूर्तिकार आंख से मरते हैं । उनकी आंख खुली रह जाती है । जिंदगी भर उन्होंने रूप और रंग में ही अपने को तलाशा, अपनी खोज की । संगीतज्ञ कान से मरते हैं । उनका जीवन कान के पास ही था । उनकी सारी संवेदनशीलता वहीं संगृहीत हो गई थी । मृत्यु देखकर कहा जा सकता है—आदमी का पूरा जीवन कैसा बीता । अगर तुम्हें मृत्यु को पढ़ने का ज्ञान हो, तो मृत्यु पूरी जिंदगी के बाबत खबर दे जाती है कि आदमी कैसे जीया |