चार्ल्स रॉबर्ट डार्विन का जीवन परिचय | चार्ल्स डार्विन का जीवन परिचय | चार्ल्स रॉबर्ट डार्विन थ्योरी | चार्ल्स डार्विन का सिद्धांत | चार्ल्स डार्विन की पुस्तक का नाम | चार्ल्स डार्विन के बारे में | charles robert darwin theory

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विकास की चर्चा के साथ ही डार्बिन का नाम हमारे सामने आ जाता है | डार्विन ने विश्व-चिन्तन को एक नई दिशा दी थी और वैज्ञानिकों ने जीव-विकास की प्रक्रिया पर नये सिरे से सोचना आरम्भ किया |

अधिकांश लोग इतना तो अवश्य जानते हैं कि उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य मे डार्विन की पुस्तक ‘द ओरिजिन ऑफ स्पीशीज’ (The Origin of species) प्रकाशित हुई थी, जिसमें उन्होने यह प्रमाणित किया था कि जीवन के रूप लाखों वर्षों में अस्तित्व में आए हैं, क्योंकि भोजन के लिए तथा जलवायु एवं शत्रुओं के विरुद्ध संघर्ष करते हुए जो जीव सर्वाधिक समर्थ थे, वे अपने को बचा सके हैं, और अन्य प्रजातियाँ नष्ट हो गई | बहुत से जीवों में मनुष्य भी एक जीव है और वह भी अन्य जीवों के साथ विकास करता आया है |

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चार्ल्स डार्विन का जन्म


ऐरासमस डार्विन (Erasmus Darwin) के तीसरे पुत्र का नाम रॉबर्ट डार्विन (Robert Darwin) था | यह श्रूजबरी(Shrewsbury) के प्रसिद्ध डॉक्टर थे | चार्ल्स डार्विन (Charles Darwin) का जन्म उनके यहाँ १२ फरवरी, १८०९ को हुआ था | वह अपने माता-पिता की पाँचवीं सन्तान थे |

जब चार्ल्स डार्विन (Charles Darwin) केवल ८ वर्ष के ही थे, तब उसकी माता का देहान्त हो गया | इस कारण उनके पिता तथा उनकी बड़ी बहनों द्वारा डार्विन (Darwin) की देखभाल की गई |

चार्ल्स डार्विन की शिक्षा


सन् १८१८ में चार्ल्स डार्विन (Charles Darwin) श्रूजबरी (Shrewsbury) स्कूल में छात्रावास में रहकर शिक्षा लेने लगे | क्योंकि डार्विन को पारिवारिक परम्परा के अनुसार चिकित्सक (Doctor) बनना था, उसके पिता और दादा भी डॉक्टर थे, अतः स्कूल छोड़कर वह एडिनबरा विश्वविद्यालय (Edinburgh University) चले गए, परन्तु डॉक्टरी में उसको कोई रुचि नहीं थी | डार्विन ने डॉक्टरी की पढ़ाई छोड़कर पादरी बनने का निर्णय किया, परन्तु एडिनबरा छोड़ने के पहले वह अपने मित्र डॉ. ग्रांट के प्रभाव में आ गए जो जीव विज्ञानी थे | उनके प्रभाववश समुद्र किनारे पशुओ के परीक्षण में लग गए |

एक वर्ष तक घर पर रहकर उन्होने पुराना शास्त्रीय ज्ञान दोहराया और सन् १८२४ मे पूरे उत्साह के साथ विश्वविद्यालय मे प्रवेश किया |

इसके बाद चार्ल्स डार्विन (Charles Darwin) ने सन् १८२७ में क्राइस्ट कॉलेज केम्ब्रिज में अपना नाम लिखवा लिया |

केम्ब्रिज के जीवन में उन्होने हमबोल्ट (Humboldt) की पुस्तक Personal Narrative पढ़ी थी और उसके प्रभाववश वह प्राणिविद्या का अध्ययन करने वाला (Naturalist) बन गए |

चार्ल्स डार्विन का सिद्धांत


चार्ल्स डार्विन ने अपनी पुस्तक Origin of Species में प्राकृतिक चयन (Natural selection) का सिद्धान्त स्थापित कर दिया | डार्विन का कहना था कि परिवर्तनशील अवयवों में जो अनुकूल होते हैं वे शेष रह जाते रहना है और प्रतिकूल अवयव समाप्त हो जाते हैं, अनुकूल की प्रकृति सुरक्षित की प्रवृत्ति नष्ट हो जाना है । चार्ल्स डार्बिन की मान्यताओं ने मनुष्य शरीर रचना शास्त्र (Anthropology), नृवं विद्या (Ethnology) तथा मनोविज्ञान (Psychology) को काफी प्रभावित किया है |

चार्ल्स डार्विन की पुस्तक का नाम


नवम्बर १८५९ को उनकी प्रसिद्ध पुस्तक The Origin of Species प्रकाशित हुई | जो हाथो-हाथ बिक गई | इसके बाद धर्मगुरुओं ने विरोध किया मगर वैज्ञानिकों ने समर्थन भी किया | समर्थकों में वनस्पति विज्ञानवेत्ता, भूगर्भवेत्ता, प्राणि-विज्ञानवेत्ता आदि सभी प्रकार के व्यक्ति थे |

डार्विन ने अपने सिद्धान्त को स्थापित करने के लिए मुख्यतः ये पुस्तकें लिखीं –

(1) Variations of Animals and plants under domestication

(2) The Descent of Man (1871)

(3) Expression of emotions in Man and Animals (1872)

चार्ल्स डार्विन का विवाह


सन् १८३९ में डार्विन ने अपने चाचा जोशिया (Jociah) की लड़की एम्मा (Emma Darwin) से विवाह कर लिया और वे लन्दन में रहने लगे |

चार्ल्स डार्विन का निधन


चार्ल्स डार्विन (Charles Darwin) को पूरे जीवन भर स्वास्थ्य सम्बन्धी शिकायत रही, मगर १९ अप्रैल, १८८२ को स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या के कारण उनका निधन डाउन हाउस, UK मे हो गया |

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