जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर का जीवन परिचय | रॉबर्ट ओपेनहाइमर | J. Robert Oppenheimer
कौन भूल सकता है सोमवार १६ जुलाई, १९४५ के उस दिन को, जब प्रातःकाल ५.३० बजे विश्व के प्रथम परमाणु बम का परीक्षण किया गया था । इस परीक्षण के लिए अमरीका के लॉस अलामोस (Los Alamos) से २०० मील दूर अलेमोगोर्डो के उत्तर के रेगिस्तानी भाग को चुना गया था । परमाणु बम के परीक्षण के लिए एक पहाड़ी पर ३२ टन भार की १०० फुट ऊंची धातु की मीनार पर बम रखा गया था । इस परीक्षण को देखने के लिए पहाड़ी से बहुत दूर एक हजार दर्शक उपस्थित थे । निर्धारित समय पर परमाणु बम का विस्फोट किया गया । एक भयानक आवाज के साथ सारे क्षेत्र में प्रकाश फैल गया । नौ मील की दूरी पर एक नियंत्रण कक्ष में बैठे ओपनहीमर को तेज गर्मी का अनुभव हुआ ।
बम के विस्फोट से चालीस हजार फुट ऊंचाई का धुएं का विशाल बादल बन गया । १०० फुट ऊंची मीनार का नामो-निशान न रहा । नीचे की मिट्टी भी पिघल कर कांच में बदल गई ।
एक मील तक के क्षेत्र में सारे जीव-जन्तु मर गए । यहां तक कि जमीन के नीचे छिपे सांप और दूसरे जन्तु भी मर गए । २० से ३० मील की दूरी तक पशुओं के बाल उड़ गए । इस विस्फोट को ४५० मील की दूरी तक लोगों ने देखा । ओपेनहाइमर की देखरेख में निर्मित इस बम की सफलता को देखकर सारा संसार कम्पायमान और भयभीत हो उठा ।
द्वितीय विश्वयुद्ध चल रहा था और जापान किसी के सामने घुटने टेकने को तैयार न था । ६ अगस्त, १९४५ को यूरेनियम से बना परमाणु बम अमरीका ने जापान के हिरोशिमा नगर पर गिरा दिया । बीस हजार टन टी.एन.टी. के समतुल्य यह बम १८०० फुट की ऊंचाई पर विस्फोटित किया, जिससे ८०,००० लोग तुरन्त ही मौत के घाट उतर गए और ७०,००० लोग घायल हो गए | इस नगर के दृश्य को देखकर ऐसा लगता था जैसे यहां सभ्यता का विनाश हो गया हो ।
इसे इतने विनाश से भी संतोष न हुआ और इसके तीन दिन बाद अर्थात् ९ अगस्त को प्लूटोनियम से बना दूसरा बम जापान के नागासाकी नगर पर गिरा दिया गया । इससे ४०,००० लोगों की मृत्यु हो गई और २५,००० लोग विकृत और घायल हो गए । इस वीभत्स दृश्य को देखकर १० अगस्त, १९४५ को जापान ने बिना किसी शर्त के घुटने टेक दिये । इस दृश्य को देखकर ओपेनहाइमर का मानस मन रो पड़ा और उन्होंने अपना त्याग-पत्र दे दिया । उन्होंने कहा था, “मैं हथियार बनाने वाला नहीं हूं । वास्तविकता तो यह है कि ओपेनहाइमर ने स्वयं परमाणु बम का निर्माण नहीं किया और न ही उन्होंने इसके बनाने का सिद्धांत प्रतिपादित किया । यह तो कई वैज्ञानिकों के मिले-जुले प्रयासों का परिणाम था । चूंकि ओपेनहाइमर परमाणु बम बनाने वाली वैज्ञानिकों की इस टीम के अध्यक्ष थे, इसलिए उन्हें बहुत से लोग परमाणु बम का जन्मदाता कहते हैं ।
परमाणु बम के निर्माण में तथा सिद्धांत प्रतिपादित करने में ओपेनहाइमर के साथ-साथ ओटोहान, कौम्पटन, फर्मी, सजिलार्ड (Szilard) आइन्स्टीन आदि मुख्य थे ।
जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर का जन्म २२ अप्रैल, १९०५ में हुआ था । इनके पिता जर्मनी के रहने वाले थे । माता और पिता दोनों ही यहूदी परिवार के थे । इनका परिवार धनी, सभ्य और दयालु था ।
बालक ओपेनहाइमर पढ़ाई-लिखाई में बहुत ही मेधावी था । पांच वर्ष की आयु में एक बार इनके दादा ने उन्हें कुछ चट्टानों के टुकड़े दिए, जिससे भूगर्भ विज्ञान में इनकी रूचि जाग्रत हो गई । उनकी मां ने उन्हें चित्रकारी और संगीत सिखाया । उनकी अभिलाषा एक शिल्पी बनने की थी । जब वे सात वर्ष के हुए तब उन्होंने अपना विचार बदला और वे कवि बनने की इच्छा से कविताएं लिखने लगे । उनका मनपसन्द खिलौना सूक्ष्मदर्शी यंत्र था और उनका मनपसन्द खेल सूप की बूंदों का निरीक्षण करना और छोटे जीवाणुओं को पहचानना था ।
जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर की शिक्षा बहुत ही अच्छे स्कूल में हुई, जहां उनमें आत्म-निर्भरता की भावना विकसित हुई । युवावस्था में ही उन्होंने फ्रेंच, स्पेनिश, इटेलियन और ग्रीक भाषाएं सीख ली । जब उनकी उम्र बारह वर्ष की थी तब उन्हें एक क्लब में भाषण देने के लिए बुलाया गया । पहले तो उन्हें बहुत डर लगा और उन्होंने अपने पिता से कहा कि या तो वे कह दें कि मैं बीमार हूं या उन्हें सच बता दें । उनके पिता ने उन्हें समझाया और वे निश्चित समय पर क्लब में भाषण देने के लिए गए । उनका भाषण मैनहेटन में पाए जाने वाली चट्टानों से सम्बन्धित था । यह भाषण बहुत ही प्रभावशाली रहा और क्लब की पत्रिका में छापा गया ।
१७ साल की उम्र में उनके माता-पिता अमरीका चले गए । १९ वर्ष की आयु में ओपेनहाइमर शिक्षा ग्रहण करने के लिए हॉवर्ड विश्वविद्यालय चले गए । उन्होंने स्नातक की परीक्षा में जितने अंक प्राप्त किए उतने हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय में पहले किसी के नहीं आए थे । उनके भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर का कहना था कि यह लड़का या तो भौतिक विज्ञान को या फिर सारे विश्व को हिला देगा । उन्होंने दोनों को ही हिला दिया ।
हॉर्वर्ड से वे इंग्लैण्ड की प्रसिद्ध कैविण्डिश प्रयोगशाला में काम करने के लिए इंग्लैण्ड चले गए । वहां उन्होंने इंग्लैण्ड के अग्रणी भौतिकविदों के साथ काम किया और विचार-विमर्श किया ।
सन् १९२९ में वे कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय में आ गए, जहां सन् १९३१ में उन्हें ऐसोसिएट प्रोफेसर बना दिया गया । यहां वे नाभिकीय विज्ञान में अनेक प्रयोग करते रहे ।
सन् १९४१ से ओपेनहाइमर अमरीका की परमाणु बम बनाने की योजना में लग गए । मई, १९४२ में वे परमाणु बम विकसित करने वाले प्रोजेक्ट के कौर्डीनेटर बनाए गए । उसी वर्ष उन्हें परमाणु बम निर्माण करने वाले मैनहेटन प्रोजेक्ट का चीफ साइंस डाइरेक्टर बना दिया गया । सन् १९४३ में ओपनहीमर की देख-रेख में परमाणु बम निर्माण के लिए लॉस अलामोस में वैज्ञानिकों की एक टीम बनाई गई । परमाणु बम किस तरह बनाया गया यह तो आज भी गुप्त है लेकिन रात-दिन के कठिन परिश्रम से वैज्ञानिकों के इस दल ने ओपेनहाइमर की देख-रेख में परमाणु बम बना ही डाला, जिसका १६ जुलाई, १९४५ को परीक्षण किया गया ।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद उन्होंने लॉस अलामोस से इस्तीफा दे दिया । फिर भी सन् १२४७ में उन्हें परमाणु ऊर्जा विभाग का चेयरमैन बना दिया गया । सन् १९५० में युद्ध के लिए किए गए कार्यों के लिए उन्हें विशेष सम्मान दिया गया । सन् १९६३ में उन्हें परमाणु ऊर्जा विभाग का ऐनरीकोफर्मी पुरस्कार प्रदान किया गया । अमरीका का यह उच्चतम पुरस्कार माना जाता है ।
१८ फरवरी १९६७ में इस कर्मठ वैज्ञानिक की मृत्यु हो गई ।