ब्लेज़ पास्कल | ब्लेज़ पास्कल कंप्यूटर | blaise pascal inventions | blaise pascal introduction
एक छः सात वर्ष का बालक जमीन के ऊपर ज्यामितीय आकृतियां बनाने में लगा हुआ है । उसे इधर-उधर का कुछ भी ज्ञान नहीं है । तभी इस बालक के पिता आते हैं और उसे डांटते हुए उसकी गणित की सभी किताबें छीन लेते हैं । उसके पिता का विश्वास है कि एक छोटे से बालक को गणित जैसा कठिन विषय नहीं पढ़ना चाहिए । लेकिन यह बालक पास्कल नियम प्रतिपादित करने चोरी-छिपे गणित का अध्ययन करता रहता है । वह अपने इस अध्ययन से कुछ न कुछ निष्कर्ष निकालता रहता है ।
जब इस बालक की उम्र लगभग बारह वर्ष की होती है तो वह अपने पिता को बड़े ही स्पष्ट रूप से यह सिद्ध करके दिखाता है कि किसी भी त्रिभज के तीनों अन्तःकोणों का योग सदा ही दो समकोणों के बराबर होता है । बालक की अपर्व प्रतिभा को देखकर उसके पिता खुशी से उछल पड़ते हैं और उसे गणित पढ़ने की आज्ञा दे देते हैं ।
क्या तुम जानते हो कि यह बालक कौन था, जिसने बारह वर्ष की उम्र में ही एक ऐसी प्रमेय सिद्ध करके दिखाई, जो आज विश्वव्यापी प्रमेय बन गई है और ज्यामिती के अध्ययन में एक मूल सिद्धांत के रूप में प्रयोग होती है ।
ब्लेज़ पास्कल जब मात्र 12 वर्ष के थे, तब उन्होंने गणित से सम्बन्धित एक निबंध प्रकाशित कराया, जिसकी डेसकार्टिस (Descartes) जैसे वैज्ञानिक तक ने भूरि-भूरि प्रशंसा की थी ।
पास्कल अपने समय के माने हुए गणितज्ञ, भौतिक-विद्, दार्शनिक और लेखक थे । आज के विद्यार्थी प्रारम्भिक कक्षाओं में ही इनके नाम से परिचित हो जाते हैं । ऐसा कोई ही विद्यार्थी होगा, जिसने पास्कल का नियम न पढ़ा हो ।
इस नियम के अनुसार किसी तरल पदार्थ के एक बिन्द पर लगाया गया बल सभी दिशाओं पर समान रूप से स्थानान्तरित हो जाता है । इसी नियम के आधार पर रूई की बड़ी-बड़ी गाठों को दबाने के लिए हाइड्रोलिक दाब पम्पों का आविष्कार हुआ और इसी नियम के आधार पर हाइड्रोलिक ब्रेक, इन्जेक्शन लगाने की सिरिंज आदि विकसित किए गए ।
फ्रांस में १९ जून १६२३ को जन्मे इस वैज्ञानिक की शिक्षा इसी देश में हुई और वहीं इन्होंने अनेक अनुसंधान कार्य किये । इन्होंने त्रिभुज का आविष्कार किया जिसमें कुछ संख्याएं दी गई थीं । इसमें विभिन्न संख्याओं की पंक्तियां दी गई हैं । ऊपर की पंक्ति में १ और १ दो संख्याएं हैं । फिर प्रत्येक अगली पंक्ति १ से आरम्भ होती है । प्रत्येक पंक्ति के अगले दो नम्बर इसके साथ जोड़ दिए जाते हैं और जोड़ वाली संख्या को इन दोनों संख्याओं के बीच में रख दिया जाता है । इस प्रकार जो त्रिभुजाकार रचना निर्मित होती है वह प्रोबेबिलिटी के अध्ययन में बहुत ही उपयोगी सिद्ध हुई है । इसे पास्कल का त्रिभज या पास्कल त्रिकोण (Pascal’s triangle) कहते हैं ।
पास्कल के पिता स्थानीय प्रशासन में एकाउन्टेंट का काम करते थे । घर आकर वे देर रात तक पैसों का हिसाब-किताब मिलाते रहते थे । पास्कल को इस बात से अत्यन्त दुख होता था कि उसके पिता को दफ्तर के काम से रात को भी चैन नहीं मिलता । अपने पिता की सहायता करने के लिए उन्होंने इस बात का निश्चय किया कि वे एक गणितीय गणना करने वाली एक ऐसी मशीन बनाएगा, जो उसके पिता के बोझ को हल्का कर सकेगी । मात्र १९ वर्ष में पास्कल ने एक गणितीय गणना करने वाली कैलकलेटिंग मशीन का आविष्कार कर डाला । यह मशीन गीयर और पहियों से चलती थी । यह मशीन जोड़ तथा घटाने का काम कर सकती थी । इससे उनके पिता को बहुत मदद मिली । उन्होंने इस मशीन का पेटेंट कराया लेकिन बहुत अधिक कीमती होने के कारण इसका ऊंचे पैमाने पर निर्माण न हो सका । उनके इसी मॉडल की पहली व्यावसायिक मशीनं सन् १८९२ में अमरीका के इंजीनियर विलियम बरोज ने बनाई ।
गणित के क्षेत्र में पास्कल ने अनेक अनुसंधान किए । उन्होंने ज्यामिति, द्रव विज्ञान प्रोबेबिलिटी और इन्टीग्रल कैलकुलस जैसे गणित के क्षेत्रों में बहुत से अनुसंधान किए । इन्होंने कई धार्मिक पुस्तकें भी लिखी ।
सन् १६५९ में पास्कल सख्त बीमार हो गए । बीमारी का इलाज कराने पर भी वे रोग मुक्त न हो पाए । ३९ वर्ष की छोटी सी आयु में ही १९ अगस्त १६६२ में इस महान वैज्ञानिक की मृत्यु हो गई । जीवन के अंतिम वर्षों में भी वे अनुसंधानों और भले कार्यों में लगे रहे ।
पास्कल का व्यक्तित्व बहुत ही जटिल था लेकिन विज्ञान और गणित की समस्याओं का समाधान करने के लिए वे हमेशा तत्पर रहते थे । यदि वे कुछ दिन और जिन्दा रहते तो निश्चय ही और भी आविष्कार कर जाते । निःसंदेह ही वे १२वीं शताब्दी के एक महान वैज्ञानिक थे ।