माइकल फैराडे की जीवनी | माइकल फैराडे का जीवन परिचय | माइकल फैराडे कौन था | माइकल फैराडे का जन्म | Michael Faraday Biography in Hindi
माइकल फैराडे आविष्कार
आज सारे संसार में लाखों विद्युत उत्पादन केन्द्र हैं, जहां जनरेटरों द्वारा बिजली पैदा की जाती है । जनरेटरों के बिना बिजली पैदा करना असंभव है । इस अत्यन्त उपयोगी विद्युत मशीन के आविष्कार का श्रेय माइकल फैराडे (Michael Faraday) को जाता है । जब उन्होंने इसका आविष्कार किया तो उन्हें भी यह पता न था कि यह यंत्र अधिक उपयोगी सिद्ध होगा । आज विश्व में विद्युत उत्पादन को यही मुख्य आधार है ।
वास्तव में माइकल फैराडे को विद्युत चुम्बकीय प्रेरण (Electro Magnetic Induction) का जन्मदाता कहा जाता है ।
माइकल फैराडे का जन्म
माइकल फैराडे (Michael Faraday) का जन्म २२ सितंबर १७९१ में न्यूविन्गटन में हुआ था । वे एक लोहार के बेटे थे ।
माइकल फैराडे का कार्य
सन् १८१२ में जब माइकल फैराडे (Michael Faraday) ने सर हम्फरी डेवी के भाषण सुने तो विज्ञान के प्रति इनकी रुचि जागृत हो गई । जिल्दसाजी में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद इन्होंने अपने कुछ लेख डेवी को भेजे तथा साथ ही इन्होंने कोई नौकरी दिलाने की प्रार्थना भी की ।
सन् १८१३ में माइकल फैराडे (Michael Faraday)ने रॉयल इन्स्टीट्यूशन में डेवी के असिस्टैन्ट के रूप में काम करना शुरू किया । एक साल बाद इन्हें डेवी के साथ यूरोप की यात्रा पर जाना पड़ा ।
मध्यम शिक्षित युवा वैज्ञानिक के लिए इससे अच्छा अवसर और क्या हो सकता था । उन्हें इस यात्रा में काफी अनुभव प्राप्त हुए ।
Michael Faraday And Davy
यूरोप की यात्रा से लौटने के बाद फैराडे को लन्दन के रॉयल इंस्टीट्यूशन में अथक परिश्रम करना पड़ा क्योकि उन दिनो इस संस्था की आर्थिक स्थिति अच्छी नही थी और फैराडे ही संस्थान में आमदनी के मुख्य स्रोत थे । इस अवधि में फैराडे ने काँच और इस्पात पर काफी कार्य किया । उन्होंने डेवी के लिए कार्बन के क्लोराइड बनाए । इसी कार्य के आधार पर सन् १८२५ में उन्होंने बैन्जीन का आविष्कार किया ।
इसके पश्चात् डेवी ने संस्थान को छोड़ दिया लेकिन फैराडे उनसे बहुत ज्यादा प्रभावित थे । उन्होंने डेवी के लिए अनेक प्रयोग किए । फैराडे ने सन् १८२३ में इस बात का आविष्कार किया कि अधिक दाब द्वारा गैसों को तरल अवस्था में बदला जा सकता है । लेकिन इस खोज का श्रेय डेवी मार ले गए । इसके बाद इन दोनों वैज्ञानिकों में काफी मतभेद हो गया । मतभेद की सीमा यहां तक पहुंच गई कि रॉयल सोसायटी में फैराडे को जब फैलो चुना जा रहा था तो डेवी ने इस बात का विरोध किया ।
माइकल फैराडे आविष्कार | फैराडे का प्रथम नियम
सन् १८२० में हेन्स ओरेस्टेड (Hans Orested) ने यह आविष्कार किया कि किसी तार में विद्युत धारा के प्रवाह से चुम्बकीय क्षेत्र पैदा हो जाता है । फैराडे ने इस आविष्कार के विषय में सुना तो उनके मन में यह विचार घर कर गया कि इसका उल्टा भी संभव होना चाहिए अर्थात् चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा विद्युत पैदा करना संभव होना चाहिए । उन्होंने इस विचार के ऊपर प्रयोग आरम्भ किए और अपने प्रयोगों के आधार पर विद्युत चुम्बकीय प्रेरण का आविष्कार करके उसके नियम प्रतिपादित किए । उन्होंने यह प्रदर्शित किया कि तार की किसी कुण्डली में यदि किसी चुम्बक को प्रविष्ट कराया जाए तो विद्युत धारा पैदा होती है । उन्होंने यह भी प्रदर्शित किया कि विद्युत धारा ले जाने वाले किसी तार को किसी चुम्बक के बीच में रखा जाये तो वह वृत्ताकार रूप में गति करने लगता है । उन्होंने अपने इन प्रयोगों का प्रदर्शन किया जिससे वे सारे यूरोप में प्रसिद्ध हो गए । इन्हीं प्रयोगों के आधार पर सन् १८३१ में फैराडे ने प्रथम विद्युत पैदा करने वाला डायनमो बनाया ।
उन्हीं दिनों जोसेफ हेनरी ने भी डायनमो का निर्माण किया । आज के सभी डायनमो, जनरेटर और ट्रांसफॉर्मर फैराडे और हेनरी के सिद्धांतों पर ही आधारित हैं ।
विश्व का कोई भी बिजलीघर और ट्रांसफॉर्मर ऐसा नहीं है, जो इसी मूल सिद्धांत पर काम न करता हो । यदि फैराडे ने विद्युत चुम्बकीय प्रेरण न खोजा होता तो शायद आज हमें बिजली न मिल पाती ।
अगले कुछ वर्षों में विलयनों से विद्युत धारा गुजारने पर फैराडे ने यह सिद्ध किया कि सभी प्रकार की विद्युत एक जैसी ही होती है । इन्हीं प्रयोगों के आधार पर सन् १८२४ में उन्होंने विद्युत अपघटन के नियम प्रतिपादित किए, जो आज भी विद्यार्थियों को पढ़ाए जाते है |
माइकल फैराडे की मृत्यु | Michael Faraday Death
सन् १८३९ में फैराडे का मानसिक सन्तुलन बिगड़ गया । इसके इलाज में चार वर्ष का समय लगा । लेकिन इसके बाद उनकी याददाश्त काफी कमजोर हो गई । इन दिनों वे अचम्बकीय पदार्थों पर चुम्बकीय क्षेत्र के प्रभावों का अध्ययन कर रहे थे । उन्होंने पैरामैगनेटिज्म और डायामैगनेटिज्म का आविष्कार किया । फैराडे को विज्ञान सम्बन्धी भाषण देने का बहुत शौक था लेकिन सन् १८५० के आसपास याददाश्त कमजोर हो जाने के कारण यह काम उनके लिए काफी कठिन हो गया था ।
सन् १८६१ में जब फैराडे की उम्र ७० साल की थी तो वे रॉयल इन्स्टीट्यूशन से अवकाश-ग्रहण करके हेम्पटन कोर्ट (Hampton Court) के भवन में चले गए । यह भवन उन्हें क्वीन विक्टोरिया ने प्रदान किया था । इस समय तक उनका स्वास्थ्य काफी बिगड़ चुका था ।
२५ अगस्त, १८६७ को इस महान वैज्ञानिक का देहान्त हो गया ।