लिओनार्दो दा विंची कौन थे | लियोनार्डो दा विंची जीवन परिचय | लियोनार्डो दा विंची के आविष्कार | लियोनार्डो दा विंची बायोग्राफी | Leonardo Da Vinci Biography
लिओनार्दो दा विंची के विषय में कहा जाता है कि इस अकेले व्यक्ति में दस व्यक्तियों की प्रतिभा थी ।
वे एक साथ पेंटर, आविष्कारक, संगीतज्ञ, मूर्तिकार, सेना इंजीनियर, वैज्ञानिक, निरीक्षक, शरीर-रचना-विज्ञानी (Anatomist), भवन निर्माता, नगर नियोजक और डिजाइनर थे । उनकी महान बहुमुखी प्रतिभा के कारण उन्हें दस व्यक्तियों की प्रतिभा वाला एक व्यक्ति ‘यूनिवर्सल मैन’ का खिताब दे दिया गया था ।
उनके बाद अब तक कोई दूसरा ‘यूनिवर्सल मैन’ धरती पर नहीं जन्मा है । उनका मस्तिष्क सदा ही नए से नए आविष्कारों और प्रक्रमों के विषय में कुछ न कुछ विचार करता ही रहता था । ७,००० पृष्ठों में लिखी इनकी कापियों और डायरियों में धरती के बड़े ही अद्भुत दृश्य, शरीर विज्ञान से संबंधित चित्र, युद्ध काम आने वाले इंजनों, उड़ाक मशीनों, पहेलियों, आदि से संबंधित विवरण थे ।
लिओनार्दो दा विंची एक जाने-माने वकील के अवैधज पुत्र थे और उनका जन्म १५ अप्रैल १४५२ को इटली मे हुआ था | उनकी मां केतरिना (Caterina) के विषय में बहुत ही कम जानकारी है । इनके विषय में सिर्फ इतना ब्यौरा मिलता है कि इस महिला ने एक भवन निर्माता से शादी कर ली थी और इस बालक को उसके पिता के सुपुर्द कर दिया था । सन् १४६९ में इनके पिता फ्लोरेन्स चले गए, जहां अनेक वर्षों तक लियोनार्दो की देखभाल उनके एक चाचा ने की थी ।
चौदह साल की उम्र में उन्होंने मूर्तियां बनाने के क्षेत्र में विलक्षण प्रतिभा का प्रदर्शन किया । इसीलिए इनके पिता ने इन्हें जाने-माने मूर्तिकार एन्ड्रीडेल बेराकिमों से इस क्षेत्र में प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए भेज दिया । वहां इन्होंने बहुमुखी शिक्षा ग्रहण की | लियोनार्दो ३० साल की उम्र तक फ्लोरेन्स में ही अध्ययन करते रहे और कुछ न कुछ काम करते रहे लेकिन उनकी आमदनी बहुत ही कम थी ।
सन् १४८२ में उन्होंने मिलान के ड्यूक को एक पत्र लिखा । इसमें इन्होंने अपनी व्यावसायिक सेवाएं प्रदान करने के लिए लिखा था । ड्यूक ने उन्हें अपने यहां सेना में इंजीनियर के पद पर नियुक्त कर लिया । सेना-इंजीनियर के रूप में लियोनार्दो ने अनेक प्रक्रमों का सुझाव दिया, जिनमें रासायनिक धुएं से लेकर अस्त्र-शस्त्रों से युक्त वाहनों और शक्तिशाली हथियारों तक के प्रस्ताव थे । उन्होंने एक ऐसे हथियार का डिजाइन भी तैयार किया, जो शत्रु पर गोलियों की बौछार कर सकता था ।
मिलान में रहकर इन्होंने भवन निर्माता का भी काम किया । इन्होंने अनेक सड़कों, नहरों, गिरिजाघरों, घुड़सालों, वेश्यागृहों, केन्द्रीय ऊष्मित संस्थानों आदि के डिजाइन प्रस्तुत किए ।
सन् १४९५ में उन्होंने अपनी प्रसिद्ध पेंटिंग ‘लास्ट सपर’ (Last Supper) बनानी आरंभ की, जो सन् १४९७ में पूरी हुई ।
सन् १४९९ में माटूना होते हुए लिओनार्दो दा विंची वेनिस आ गए । उस समय तक तुर्की के साथ युद्ध चल रहा था । वेनिस में उन्होंने बहुत से युद्ध-संबंधी आविष्कारों के विचार प्रस्तुत किए, जिनमें विस्फोटक नावों, लड़ाकू जलपोतों, पनडुब्बियों और गोलों का असर न होने देने वाली जाकेटों तक के डिजाइन थे । उस समय लियोनार्दो के सभी विचार उत्पादन की दृष्टि से बहुत महंगे लगते थे, इसलिए उन्हें कार्यरूप न दिया जा सका ।
सन् १५०० के बाद वे फिर फ्लोरेन्स वापिस आ गये और सन् १५०३-१५०६ तक उन्होंने अपनी प्रसिद्ध पेंटिंग ‘मोना लिसा’ बनाई । यह चित्र उन्होंने उन दिनों बनाना शुरू किया जब वे ५१ वर्ष के थे और मोनालिसा २४ वर्ष की थीं ।
लिसा हर रोज दोपहर के बाद इनके स्टूडियो में आती थी । तीन साल तक कठिन परिश्रम करने के बाद जब यह पेंटिंग पूरी हो गई तो इसकी सुन्दरता को देखकर लिओनार्दो दा विंची स्वयं ही मंत्रमुग्ध हो गए । इस पेंटिंग में मोना-लिसा के चेहरे से एक अद्भुत मुस्कान झलकती है और आंखों से एक विचित्र नशीलापन टपकता है । इस पेंटिंग को एक बार देख लेने के बाद हर व्यक्ति इसे बार-बार देखना चाहता है । यह विश्वविख्यात पेंटिंग आज फ्रांस के लौवरे नामक संग्रहालय में टंगी हुई है ।
इस चित्र को पूरा करने के बाद विन्शी फिर मिलान चले गए । वे सन् १५०६ से सन् १५१३ तक मिलान में रहे । अंत में मिलान फ्रांस के शासन के अंतर्गत आ गया । वहां इन्हें ‘वर्जिन एण्ड चाइल्ड’ तथा ‘सेंट ऐने’ पेंट करने के लिए कहा गया । जब इनके बनाये गए चित्रों को प्रदर्शित किया गया तो प्रत्येक व्यक्ति इनको देखकर मंत्रमुग्ध हो गया ।
सन् १५१७ में लियोनार्दो फिर रोम चले गए और जीवन के अंतिम वर्ष उन्होंने राजा फ्रांसिस प्रथम के अतिथि के रूप में बिताए । फ्रांसिस प्रथम इन्हें पेंशन देते थे ।
लियोनार्दो ने हेलिकॉप्टर समेत कई प्रकार के उड़ाकू विमानों के डिजाइन प्रस्तुत किए । उन्होंने मानव के आंतरिक शरीर के अनेक चित्र बनाए । लियोनार्दो ने एक जलघड़ी का निर्माण भी किया और बॉलबेयरिंग के उपयोग की बात भी सुझाई । उस समय के भवन निर्माता इंजीनियरों की सहायता करने के लिए उन्होंने भारी पत्थर के टुकड़े उठाने वाली क्रेन का डिजाइन भी प्रस्तुत किया ।
इतना सब कुछ करने के बाद भी लिओनार्दो दा विंची ने तकनीकी वृद्धि के लिए अधिक कार्य नहीं किए, क्योंकि उनके विचार अधिकतर कागजों तक ही सीमित रहे । उनके आविष्कारों को कम ही लोग जान पाए । जो कुछ भी उनके विषय में हमने जाना वह केवल हमने उनके लिखित प्रमाणों से जाना । लियोनार्दो एक लम्बे अर्से तक पर्दे के पीछे ही रहे । उनके अधिकतर कार्य नष्ट हो गए । अभी कुछ वर्षों में ही एक अन्वेषक और कलाकार के रूप में उनकी ख्याति फैली है ।
इस महान ‘यूनिवर्सल मैन’ का २ मई १५१९ को फ्रांस में देहावसान हो गया ।