दक्षिण भारत में महिलारोप्य
नामक एक नगर था | उस नगर में एक समय अमरशक्ति नाम का राजा राज करता था | उस राजा के
तीन लड़के थे | उनके नाम थे बहुशक्ति, उग्रशक्ति और अनंतशक्ति | ये तीनो की लड़के
महामूर्ख, नटखट और उप्रद्रवी थे | पढने में इन तीनो में से किसी की भी रुचि न थी |
अपने पुत्रो के इन अवगुणों को देख कर राजा अमरशक्ति बहुत दुखी और चिंतित रहते थे |
एक बार राजा अमरशक्ति ने
भरे दरबार में अपनी यह चिंता प्रगट की | राजा की बात सुनकर सारी सभा में सन्नाटा
छा गया | अंत में विष्णु शर्मा नाम से एक पंडित ने कहा की राज कुमारो को मुझे सौप
दीजिए छह महीने के भीतर ही मैं उन्हें राजनीति के सब गुण सिखा दूंगा | राजा अमर
शक्ति ने उनकी बात मान ली और तीनो राजकुमारों को उन्हें सौप दिया |
विष्णु शर्मा उन तीनो
राजकुमारों को अपने घर ले गए और उन्हें मनोहर कहानिया सुनाने लगे जो बाद में
“पंचतंत्र” के नाम से प्रसिद्द हुई | उनकी ये कहानिया बड़ी रोचक थी | उन्हें सुनने
में राजकुमारों को बडा मजा आता था | इन्ही कथाओं के जरिए विष्णु शर्मा उन्हें
राजनीति के गुण भी बताते जाते थे | छह महीने के अंदर ही तीनो राजकुमार राजनीति के
पुरे पंडित होकर अपने पिता के घर लौट आए |
बस विष्णु शर्मा के विषय
में हमें इतना ही मालूम है | उनका असली नाम विष्णु शर्मा था या नहीं, इसके बारे
में जानकारी प्राप्त नही है | उनके माता-पिता कौन थे और उनका जन्म व् मृत्यु कब
हुआ इसकी भी जानकारी नहीं है | पंचतंत्र की रचना कब की गयी, इस विषय में भी
जानकारी नहीं है | विद्दवानो का कहना है की पंचतंत्र २००-३०० ई. के बीच लिखा गया
है |
भारत में ही पंचतंत्र के कम
से कम पांच तरह के पाठ पाए जाते है | इनमे “तंत्राख्यायिका” का नाम प्रथम है |
पंचतंत्र का यह संस्करण कब तैयार हुआ, यह कहना असंभव सा है लेकिन इन्समे संदेह
नहीं है की इस संस्करण में कुछ ऐसी भी कथाए जोड़ दी गयी जो मूल में नहीं थी | संभवतः
पश्चिम भारत में रहने वाले किसी जैन ने ११०० शताब्दी ई. के आरम्भ में इसकी रचना की
थी | ११९९ ई. के लगभग पूर्णभद्र नामक एक जैन श्रमण ने इनका दुसरा संस्करण तैयार
किया |