शरीर के वेग और उसके महत्व
शरीर के वेगों को कभी नहीं रोकना चाहिए जैस नींद एक वेग है, इसे रोकना नहीं चाहिए क्योंकि वेगों को रोंकने से भी बीमारियां उत्पन्न होती हैं ।
हँसी सहज रूप में आ रही है तो कभी मत रोकें । हँसी शरीर में बनने वाले कुछ अलग-अलग रसों (अलग-अलग ग्रंथियों से उत्पन्न होती है) से पैदा होती है । मस्तिष्क में एक पिनियल ग्लैण्ड है जो बहुत मदद करता है हँसी आने के लिए, पिनियल ग्लैण्ड में कुछ रस बनते हैं जिनसे हँसी सीधा सम्बन्ध होता है । पहले ये रस पैदा होगा बाद में हँसी आयेगी । ये रस भावना (शरीर की) के कारण सेकेण्ड्स में उत्पन्न होता है । जबरदस्ती कभी नहीं हँसना चाहिए । क्योंकि बिना-भाव के और बिना रस की हँसी से शरीर को कोई लाभ नहीं होता है । ये पूरी तरह की यान्त्रिक हँसी होती है । बिना रस और बिना भाव की हँसी में कभी भी पेट की नस पे नस चढ़ सकती है जिससे पेट दर्द या अन्य कई तकलीफें आ सकती हैं । ऐसी स्थिति में पेट का आपरेशन भी करना पड़ सकता है ।
दूसरा एक वेग है, न तो जबरदस्ती छींकने की कोशिश करें और न ही आती हुई छींक को रोकने की कोशिश करें । जबरदस्ती छीकने से 13-14 रोग शरीर में आ सकते हैं और आती हुई छींक को रोकने पर 23-24 रोग हो सकते हैं ।
प्यास तीसरा वेग है जिसे कभी नहीं रोकना चाहिए । पानी को कितनी भी प्यास में सिप-सिप करके पीना चाहिए । बिना प्यास के पानी सुबह-सुबह ही पी सकते हैं अन्यथा नहीं । सुबह मतलब ब्रह्म मुर्हुत यानी सूर्योदय से डेढ़ घण्टे पहले का समय । प्यास रोकने से कुल 58 रोग शरीर में आते है । कुर्सी पर बैठकर पानी पीना भी सही नियम नहीं है ।
भूख के वेग रोगने से 103 रोग शरीर में प्रवेश कर जाते हैं । जिसमें पहला रोग एसिडिटी का है और आखिरी रोग आँत का कैंसर है ।
जम्हाई आने का वेग कभी न रोकें शरीर के रक्त में आक्सीजन की मात्रा कम होने के कारण जम्हाई आती है । क्योंकि इसी के माध्यम से रक्त में आक्सीजन की इस कमी की पूर्ति करने के लिए अतिरिक्त आक्सीजन की व्यवस्था होती है । इसलिए जम्हाई को कभी न रोके । जहाँ अपने से उच्च लोग बैठे हों उस अवस्था में थोड़ी दूर जाकर या मुँह घुमाकर जम्हाई लें । प्रकृति का नियम है जितनी ऑक्सीजन लेगें उसी समय में उतनी ही कार्बनडाई आक्साइड बाहर निकलेगी ।
मूत्र वेग कभी रोकने की कोशिश न करें । इसको रोकने से रक्त के सारे विकार शरीर धारण कर लेगा । यह वेग रोकने से शरीर के हर हिस्से में दबाव बढ़ जाता है । रक्त पर दबाव पड़ेगा तो सभी ग्रन्थियों पर दबाव पड़ेगा । मूत्र का एक-एक कण आना किसी बीमारी के कारण होता है । मूत्र खुलकर आना और बार-बार आना बीमारी नहीं है । ऐसी स्थिति में किसी विशेषज्ञ की मदद लें ।
मल का वेग कभी न रोकें । दिन में दो बार, समय कोई भी हो, सामान्य स्थिति है और 2 बार से अधिक जाने की अवस्था में कोई समस्या / बीमारी हो सकती है यानि रोज 3-3 बार जाना थोड़ी असामान्य स्थिति है । लेकिन 3 बार से अधिक जाना मतलब निश्चित रूप से कोई समस्या/बीमारी की स्थिति है । इसके लिए किसी विशेषज्ञ की मदद लें ।
वीर्य का वेग साधु, सन्त, महंत, अथवा ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले लोगों को ही रोकना चाहिए और अवश्य रोकना चाहिए । इसमें सभी कुंवारे लोग भी शामिल हैं । गृहस्थ जीवन जीने वाले लोगों को वीर्य का वेग कभी नहीं रोकना चाहिए । अर्थात काम वेग गृहस्थ लोगों को कभी नहीं रोकना चाहिए । ऐसा करना बहुत ही खराब माना गया है । ऐसा सिर्फ पति-पत्नि के परिपेक्ष्य में कहा गया है । कुंवारे लोगों के लिए इसका पहला नियम लागू होता है । वीर्य का वेग गृहस्थ लोगों के लिए भी कृत्रिम नहीं होना चाहिए अर्थात जबरदस्ती वीर्य के वेग को पैदा भी नहीं करना चाहिए । गृहस्थ नियमों के साथ ही इस नियम का पालन करना चाहिए । साधु, सन्त, महात्मा, ब्रह्मचारी इस तरह के लोग असाधारण श्रेणी के मनुष्य हैं । अर्थात गृहस्थ लोग साधारण श्रेणी के लोग हैं ।