होलो अर्थ सिद्धांत | क्या पृथ्वी भीतर से खोखली है | Hollow Earth | Hollow Earth Theory in Hindi
दुनिया भर में कई संस्कृतियों में इस बात को मान्यता दी गई है कि पृथ्वी भीतर से खोखली है । उदाहरण के लिए पुराने समय में ग्रीस में यह विश्वास किया जाता था कि पृथ्वी भीतर से खोखली है और कई ज्वालामुखी हैं, जो इस अंदरूनी दुनिया के प्रवेश द्वार हैं ।
उनका मानना था कि उक्त अंदरूनी दुनिया मृतकों की दुनिया अर्थात् नर्क था । इसी तरह जापानियों के अनुसार यह विश्वास किया जाता था कि जापान में पृथ्वी की सतह के नीचे एक बहुत बड़ा ड्रेगन घूमता है । वे मानते थे कि इसी ड्रेगन के घूमने की वजह से ही भूकंप आता है ।
ठीक इसी तरह मध्य एशिया के महायान बौद्ध कथाओं में इस संदर्भ में एक बौद्ध कथा के अनुसार मंगोलिया एवं तिब्बत के नीचे एक अंदरूनी दुनिया बसी हुई है, जहां धरती का राजा और उसके विश्वासपात्र रहते हैं ।
उपरोक्त सभी बातों को हम कल्पित किस्से-कहानियां कह सकते हैं, परन्तु आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि १९वीं सदी में भी कई लोगों को इस बात का पूर्ण विश्वास रहा है कि पृथ्वी अंदर से खोखली है । सन् १८७० में ‘साइरस रीड’ नामक व्यक्ति ने ‘होल्लो अर्थ सोसाइटी’ नाम से एक संस्था गठित की । उसने अपनी संस्था द्वारा लोगों में इस बात का जोरदार प्रचार किया कि हमारी इस दुनिया के नीचे भी एक दुनिया बसती है । उसके विचारों से सहमत हो, हजारों लोग उसकी संस्था के सदस्य बन गए । इससे भी पहले सन् १८९२ में नौसैनिक कप्तान ‘जॉन तिम्पस’ अपनी खोखली दुनिया (वससवू मंतजी) संबंधी कथित प्रमाण एवं अभिलेखों समेत ‘वूनाइटेड स्टेट्स कांग्रेस’ के समक्ष प्रस्तुत हुए थे ।
हमारी इसी दुनिया के अंदर एक और दुनिया है, ऐसा उनका कहना था । उन्हीं के शब्दों में, “ये दुनिया जो हमारी दुनिया के अंदर की दुनिया है, प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर हैं । इस दुनिया (अंदरूनी दुनिया) में खूब सब्जियां और अगर आदमी नहीं हैं, तो भी काफी मात्रा में जानवर तो हैं ही।“ इस अंदरूनी दुनिया की खोज में ‘जॉन सिम्मस’ उत्तरी ध्रुव की यात्रा पर जाना चाहता था । वहां उसके अनुसार इस अंदरूनी दुनिया का प्रवेश द्वार एक बड़ा छेद, जिसे वह अपने नामानुत्तार ‘सिम्मस होल’ (सिम्मस का छेद) कहता था ।
योजना के अनुसार उसे इसी कथित छेद में घुसकर ग्रह के विभिन्न अंदरूनी भागों का विश्लेषण करना था । कांग्रेस की रजामंदी से नौसैनिक सचिवालय और ट्रेजरी ने इस अभियान के लिए जरूरी साजो सामान सहित तीन विशाल नावों का ऑर्डर दे दिया, परंतु अंतिम समय में तत्कालीन राष्ट्रपति एंड्रयू जैक्सन ने बीच में पड़कर योजना को रुकवा दिया ।
योजना तो रुक ही गई, परंतु विश्वास रखने वालों की संख्या नहीं घटी । धरती के खोखलेपन का विश्वास रखने वालों ने इस विषय पर अनगिनत किताबें लिखी हैं । कुछ किताबों में तो कथित ‘छेद’ (अंदरूनी दुनिया का प्रवेश द्वार) का हवाई फोटो भी छापा गया है । जो लोग इस बात में विश्वास रखते हैं कि पृथ्वी अंदर से खोखली है एवं हमारी इस दुनिया के नीचे भी एक दुनिया है, वे अपने इस विश्वास को साबित करने के लिए अनेक बातें कहते हैं । उदाहरण के लिए उनका कहना है, “इस संसार में ऐसी कई चीजें हैं, जो अपने अंदरूनी खोखलेपन की वजह से वजूद में हैं। उदाहरण के लिए, कल, हड्डियां, गड्ढे और मानव। ये सारी चीजें अंदरूनी खोखलेपन की वजह से ही अस्तित्व में हैं। इसलिए यह कहना कि पृथ्वी भी अंदर से खोखली है, तर्कसंगत है।“