के॰ जी॰ एफ॰ फिल्म | KGF | KGF Chapter 1| के.जी.एफ. अध्याय 1

Table of Contents (संक्षिप्त विवरण)

KGF Chapter 1

के.जी.एफ. अध्याय 1

के.जी.एफ चॅप्टर १, के.जी.एफ चॅप्टर वन, के जी एफ फिल्म

के जी एफ साउथ की फिल्म होने के साथ साथ पूरे भारत मे धूम मचाने वाली फिल्म बनी | ये फिल्म इतनी पसंद की गई की दर्शक के॰ जी॰ एफ॰ अध्याय 2 (KGF Chapter 2) की इंतजार बड़े शौक से कर रहे है |

फिल्म के॰ जी॰ एफ॰ अध्याय 1 (KGF Chapter 1) रिलीज हुई थी २१ दिसंबर २०१८ को | इस फिल्म का बजट ५०-८० करोड़ के आसपास है और वही इस फिल्म मे लगभग २४०-२५० करोड़ के आसपास का कारोबार किया था | इस फिल्म की मुख्य भूमिका मे फिल्म स्टार यश ने काम किया है | फिल्म के निर्देशक प्रशांत नील और निर्माता विजय किरागांडुर है |

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इस फिल्म के कहानी कोलार गोल्ड खदान के आस-पास घूमती है | शायद इसलिए इस फिल्म का नाम रखा गया KGF (Kolar Gold Fields) के जी एफ का फुलफार्म ही कोलार गोल्ड फील्ड है | तो आइसे अब हम बात करते है, इस फिल्म से जुड़ी कुछ रोचक तथ्य के बारे मे |

इस फिल्म मे दिखाया गया कोलार गोल्ड फिल्ड कोई कल्पना मात्र नही, ये बिलकुल सही है | कर्नाटक राज्य के बैंगलुरू के लगभग ६५ किलोमीटर की दूरी पर है कोलार जिला | और इसी कोलार जिले मे लगभग १३ हजार एकड मे फैला है कोलार गोल्ड फिल्ड |

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कोलार गोल्ड फिल्ड भारत की सबसे पुरानी सोने की खान है | यहा पहली शताब्दी से ही सोने की खुदाई शुरू हो गई थी | ये इतनी पुरानी है की प्राचीन समय मे सिंधु घाटी सभ्यता से लेकर अंग्रेज़ो के शासनकाल तक और देश की आजादी के बाद भारत सरकार तक को भरपूर सोना देते रही है | कोलार गोल्ड फिल्ड दक्षिण भारतीय शासको के मुख्य आय का स्त्रोत था | यहा १८८० से २००१ के मध्य १२१ वर्षो मे लगभग ८०० टन सोना निकाला जा चुका है |

कोलार गोल्ड फिल्ड मे बहुत से शासको ने यहा से सोने की खुदाई की है, एतिहासिक तथ्य बताते है की यहा प्रथम शताब्दी ईस्वी से ही अलग-अलग समय मे सोने की खुदाई होते रही है इसमे ९००-१००० ईस्वी के बीच चोला साम्राज्य, १३वी और १६वी सदी तक विजयनगर साम्राज्य इसके बाद मराठा साम्राज्य, हैदराबाद के निजाम और हैदरअली का साम्राज्य सम्मिलित है| देश के गुलामी के बाद अंग्रेज़ शासको ने भी कोलार गोल्ड फिल्ड से सोना निकाला |

ये भारत के सबसे गहरे खदानों मे से एक है | यहा १९८० से १९९० के बीच जमीन तल से लगभग ३ किलोमीटर नीचे खुदाई होती थी |

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१८६४ मे जब ब्रिटिश आफिसर मिशेल आफ़लीबेला को पता चला की यहा बहुत बड़ी सोने की खान है, तो उसने ये जानकारी अपने बड़े आफिसर को दी और १९वी सदी के अंतिम वर्षो मे ब्रिटिश खनन कंपनी “जान टैलर एंड संस” ने खुदाई कार्य का जिम्मा लिया और बड़ी-बड़ी मशीने लगाई गई, जिनको चलाने के लिए बिजली की जरूरत होती थी | सन १९०२ मे इस खदान मे बिजली आ गई इस प्रकार भारत एशिया का दूसरा बिजली प्रयोग करने वाला देश बन गया, तब तक सिर्फ एशिया मे जापान के टोकियो मे ही बिजली थी |

यहा भारत का सबसे पूराना और पहला हैड्रोईलेक्ट्रिक प्लांट है जिसका नाम कावेरी इलैक्ट्रिक पावर प्लांट है | जब इस प्लांट से बिजली का उत्पादन होना शुरू हुआ तब वह जरूरत से ज्यादा था, इसलिए इसकी बिजली को आसपास के शहरो को दिया गया और ये देश का पहला शहर बना जहा बिजली मिली |

भारत की आजादी के बाद १९५६ मे इस खदान का राष्ट्रीयकारण हो गया और १९७० मे BGML(Bharat Gold Mines Limited) ने इन खदानों का नियंत्रण अपने हाथो मे ले लिया | कुछ ही समय मे कंपनी का फायदा घटता चला गया और इसके कर्मचारी को छटनी करके ८८०० से ३५०० कर दिया गया, पर फिर भी फायदा घटता चला गया और कंपनी ने २००१ मे इसे एक बीमार इकाई मानकर इसका काम बंद कर दिया |

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२०१७ मे नरेंद्र मोदी सरकार ने कोलार गोल्ड फिल्ड की दुबारा शुरू करने की घोषणा की, जिससे यह अनुमान लगाया जा रहा है की इस वीरान पड़े जगह मे वापस खुदाई शुरू हो सकती है | वही दूसरी तरफ कर्नाटक सरकार २०१७ मे बढ़ते शहर और जनसंख्या को देखते हुए खाली पड़े कोलार गोल्ड फिल्ड को नए शहर के रूप मे बसाने पर विचार कर रही है |

यह माना जाता है की कोलार गोल्ड फिल्ड मे अभी भी काफी बड़ी मात्रा मे सोना मौजुद है |

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