गणगौर गीत व कहानी | Gangaur Geet Aur Kahani

गणगौर गीत व कहानी | Gangaur Geet Aur Kahani

गणगौर का इतिहास | Gangaur Ka Itihas

गणगौर एक प्राचीन त्यौहार है और इसे मुख्य रूप से राजस्थानीयो के द्वारा मनाया जाता है | गणगौर मे भगवान शिव को अवतार के रूप में गण(ईसर) और माता पार्वती के अवतार के रूप में गौरा माता की पूजा की जाती है। यह होली के दिन से शुरू होता है और १६ दिन तक चलता है, जिसमे महिलाये अपने यहाँ गणगौर और ईसर की पूजा करती है।

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गणगौर क्यो मनाया जाता है?

यह माना जाता है कि माता पार्वती जी ने भगवान शंकर को वर (पति) के रूप में पाने के लिए व्रत रखा और तपस्या की। भगवान शंकर तपस्या से प्रसन्न होकर वरदान माँगने के लिए कहा। पार्वती ने उन्हें ही वर के रूप में पाने की इक्छा की। पार्वती की मनोकामना पूरी करने के लिए भगवान शंकर ने उनसे विवाह किया |

तभी से कुंवारी लड़कियां अच्छा और मनचाहा वर पाने के लिए ईशर और गणगौर की पूजा करती है और सुहागिन स्त्री पति की लम्बी आयु के लिए यह पूजा करती है। जो कि होली के दिन से शुरू होकर अठारह दिनों तक चलता है।

गणगौर पूजा | Gangaur Puja

गणगौर पूजा के लिए होलिका के जलने के बाद होली के दिन जली हुई होलिका की राख लाकर उसका १६ लड्डू की तरह बनाकर उसी पूजा की जाती है | इसमे गणगौर की मूर्ति की स्थापना शीतला सप्तमी के दिन से की जाती है और उसी के साथ ही जवांरा भी बोया जाता है, जिसे नवरात्री के तीज(तीसरे दिन) तक पूजा जाता है |

गोर माता को पूजापो

गोर माता के पूजा म कुंकू, चांवल, हल्दी, मोली, मेंधी, गुड़, सुपारी, पान, अगरबत्ती, फूल, कपूर, नीमडा या आमली का दातन, लाल कपड़ों, घी की चिराग, पाणी को कलसो, जंवारा, जढावण पैसा, कंवारी कन्या के १६ दातन ओर परन्योडी का ८ दातन हुव । फल, सीरो, पूडी चढाणो । गोर माता की पूजा में खास कर फल चढे़। कंवारी के १६ ओर परण्योडी का ८ फल हुव । गोर का उजुवणा म १६ सवागण लुगाया ओर एक साखीदार रेव । सवागण लुगाया न जिमाणु ओर शक्ति सारू बेन भेंट देणु ।

जंवारा का कुंडा बावण की विधी

शिल सातूं क दिन जंवारा बोवे । दो माटी का कुंडा नवा (कोरा) लेवणू : लाल मट्टी, गोबरी की खाद, गंऊ, कुंडा म लाल मट्टी म गोबरी की खाद मिलार गेहूँ बो देनू । सिंजार का दिन कुडयां की पूजा करणू। ईसरजी (जंवारी का सिट्टा) मंगाणू मोली और रूई (कपास) लपेटणू शाम की टेम कुंडया ओर ईसरजी की पूजा करणू ।

गोर की पूजा

पूजा की टेम दो लुगांया को जोडो रेवे । कुंडयाम सूं जंवारा लेवणू। पूजा की गड्डी में सूँ पाणी को छीटो जंवारा सूं गोर माता क देवतों जावणू और गावता जाणू –

सुरज जी न खांटो
ईसर जी न छांटो
गोर माता न छांटो

गोर गोर गोमती, ईसर पूजे पार्वती । म्हे पूजा आला लीला, गोर के सोना का टीका । म्हाक हे कुंकू का टीका, टीका दे टमका दे राणी, बरत कर गोरा दे राणी, करता करता आस आयो मास आयो छट छ मास आयो । खीर खांड लाडू लायो, लाडू ले बीरा न दियो । बीरो ले भावज न दियो भावज ले गट खायगी ।

बीरा म्हने चूनडी ओड़ायगो बीरो म्हारो अमर रेवो । चुनी म्हारी अमर रेवो गोर को बरत सदाई रेवो गिण गिण आठ गिण गिण सोला चीड़ी चीडी चोडो दे, चीडी थारी जात दे । गुजरात का बाणिया सूता खूंटी ताणियां, सन मन सोला सात कचोला । ईसर गोरजा, दोण्यू जोडा ।

इन कोई तो आठ बार बोल ओर कोई एक बार बोल । इक पछ पूज झिका जंवारा लेर चोटी क या चूड़ी म बांध लेवणू ।

अल खल

अल खल नदी बेवे ओ पानी कठ जाशी रे
आधो जाशी अल्यां गलयां आधो ईसर न्हाशी रे
ईसर जी तो न्हाय लिया गोरा बाई न्हाशी रे
गोरा बाई क बेटो जायो गोरा बदाई लाशी रे
अर दाताणो पर दाताणो बांदर वार बंधावो रे
सार केई सूई लावो फाट केरा बागा रे
सर सर सीवो म्हारा भरतीजा रा बागा रे
भुव्वा र भरोसे भतीजा रेगा नागा रे
नागा नागा कांई केवो सिवाय देवूं बागा रे

सूर्य भगवान को पानी अर्क (अल खल)

अलखल-अलखल पाणी बेवे |
वो पाणी कठे जासी ||

आधो जासी आली गली मे
आधो इशर नहाशी ||

इशरदास जी रो पूत होवे
बुवा बधाई लाशी ||

गणगौर की आरती | Gangaur Ki Aarti

पाना फूलां भरीरे परात सवाग भरियो छाबडो
सूरज जी थारी सोदरा बाई न मोकल्यो म्हे करां गोर की आरत्यो ईसरजी थारी कुंता बाई न भेजर म्हे करां गोर को आरत्यो कन्या रामजी थारी गोरा बाई न मेलो म्हे करां गोरा को आरत्यो थारी आरत्या में लीलोडा नारेल सुपारया घाली डोड सो आरत्यां में पीली मोल पचास रुपया घाल्या डोड सो [नोट : घरकां का नाम लेवणो]

गणगौर की आरती | Gangaur Ki Aarti

पेली आरती राई रिम झोल । काका बाबा इब छल जोड
लेये गवरल आसो सोल दिना ले ले बासो सांवलडी को
बडो तमाशो म्हारा बाबा जीरा गलीया म्हे फूल बखेरू कलियां।
दूजी आरती राई रिम झोल बीरा मामा इब छल जोड
लेये गवरल आसो सोला दिन ले ले बासो
बीरा जी की गलियां म्ह फूल बखेरू कलियां
इगनी आरती राई रिम झोल मामा भाणजा इव छल जोड
लेये गरवल आसो सोला दिन ले ले बासो
म्हारा मामाजी की गलियां म्ह फूल बखेरूं कलियां
चोथी आरती राई रिम झोल मासा भाणजा इब छल जोड
लेये गवरल आसो सोला दिन ले ले बासो
म्हारा मासाजी की गलियां म्ह फूल बखेरू कलियां
पांचवी आरती राई रिम झोल फूफा भतीजा इब छल जोड
लेये गवरल आसो सोला दिन ले ले बासो
म्हारा फूफाजी की गलियां म्हे फूल बखेरू कलियां
छटी आरती राई रिम झोल साला बेनोई इब छल जोड
लेये गवरल आसो सोला दिन ले ले बासो
म्हारा बेनोयां की गलियां म्हे फूल बखेरूं कलियां ।।
सातवीं आरती राइ रिम झोल गोत कडु़ंबो इब छल जोड
लेये गवरल आसो सोला दिन ले ले बासो
म्हारा गीत कडुंबा की गलियां म्ह फूल बखेरूं कलियां

गणगौर की बधाओ

म्हारा सूरज जी ओ ईसरजी दोन्यू सरीसा
बाई सोदरा हे मोत्यां बिचली लाल माली का मरवा
अमर बदावो जी म्हारी गोर को
म्हारा ईसर जी ओ कन्या रामजी दोन्यू सरीसा
बाई गोरा हे मोत्यां बिचली लाल माली का मरवा
अमर बदावो जी म्हारी गोर को
( आग घरकां का नाम लेवणू )

गोर को सिंजारो

गोर क पेला दिन (दूज क दिन) कंवारी ओर परण्योडी दोनु भी दिनुगे माथो न्हाणूं शाम का मेंधी लगाणूं मीठो जीभणू फूलां का गजरा भगवान न लगाणू और आप भी लगाणू मन्दिर जाणू । गोर के सिजारा की मिठाई परण्योडी क पीर सूं आव । कंवारी बबां क सासरा सूं आव ।

गणगौर की कहानी | Gangaur Ki Kahani

महादेवजी पार्वतीजी हा सैर करण निकल्या । साथ नांदया न लियो। पेला गांव में गया चार लुगायां बेठी ही । बे केवण लागी देखो जी इन नांदिया न फूटरापा के वास्त साथ लियो कांई दोनू जना पैदल चाल रिया ह । दूजा गांव में गया पार्वतीजी न नांदया पर बिठा महादेवजी पैदल चाल रया हा । लुगायां बोली देखो लुगायई तो जवान है। जिकी नांदया परं बेठगी ओर बापडो डोकरो पैदल चाल रयो हे। तीजा गांव में गया महादेवजी नांदया पर बेठग्या ओर पार्वती जी पैदल चाल रया लुगायां बोली देखो आप तो डोकरो नांदया पर बेठयो है इन बिचारी न जो नाजुक सी हे पैदल चला रियो हे चौथा गांव में गया महादेवजी पार्वतीजी दोनू नांदया पर बेठग्या लुगायां बोली देखो दोनू का दोनू बेठग्या इ बिचारा नादयां क जीव कोनी कांई । जणा महादेवजी बोल्या पार्वतीजी संसार सागर हे चढ़या न हीं हंस पाला नहीं हंस । महादेव जी महाराज पार्बतींजी न सैर कराई जिशी केंवता सुणता सब न कराइजो।

गणगौर की कहानी | Gangaur Ki Kahani

राजा क बाग जौ चना , माली क बाग दूब। राजा का जौ चना बढ़ता गया , माली की दूब घटती गई । एक दिन माली सोच्यो कि या के बात हे राजा का जौ चना तो बढ़ता जाव ,म्हारी दूब घटती जाव। एक दिन गाड़ी क ओल्लहुक बैठगो कि देखा छोरिया आई ह और दूब तोड़कर लेजा व जना ऊंना का कोई का घाघरा खोस लिया ,कोई का ओढ़ना बोल्या कि थे म्हारी दूब क्यों ले जावो हो , छोरीया बोली कि म्हे सोलह दिन गणगौर पूज़ो हो सो म्हारा घाघरा ओढ़ना दे दो । सोलह दिन बाद गणगौर बिदा होसी जिके दिन म्हे तन भर भर कुंडारा , सीरा, लापसी का ल्याकर देवाॅंगा । पीछे वो सबका कपड़ा पाछा दे दिया ।

सोलह दिन पूरा होग्या , छोरियां भर भर सीरो लापसी‌ मालान ने ल्याकर देई । बारन सू मालन को बेटो आयो बोल्यो कि मां भूख लागरी ह , मालन‌ बोली कि बेटा आज तो छोरियां घणा ही सीरा लापसि का कुंडाला देगी ह ओबरी में पड़या ह खाले । बेटो ओबरी खोलन लाग्या ओबरी खुली कोनी जद मां आक चिटली आंगली की छाटो‌ दियो तो ओबरी खुलगी , देख तो इसर जी तो पेचो बांध गोरा चरखो कातह सारी चीज़ों स भंडार भर्या पड़या ह भगवान इसर को सो भाग दियो गोरा को सो सुहाग दियो कहता न सुनता न आपना सारा परिवार ने देईये।

गणगौर की कहानी | Gangaur Ki Kahani

गोर माताजी पीर जावण लाग्या रास्ता क मायन एक गाभिण गाय मिली बा तडफड-तडफड कर ही जणा पार्वती जी महादेवजी महाराज न पूछया आ यान क्यूं कर ह ? महादेवजी बोल्या पार्वतींजी आग चालो फेर देखां पार्वतीजी बोल्या नहीं महाराज अबार बताओ नहीं तो आग कोनी चालां। जणा महादेवजी बोल्या पार्वतीजी आ कष्ठी ह इक बाल बच्चो होणे वालो है । महाराज बाल बच्चो हुव जणा इत्ती तकलीफ हुव कांई जणा तो म्हार गांठ बांध देवो । महादेवजी बोल्या पार्वतींजी आग चालो

दूसरा गांव में गया घोडी क बाल बच्चो होने वालो हो। घोडी उठ ही बेठ ही तकलीफ पा रही ही पार्वताजी बोल्या आ यान क्यू कर है महादेवजी बोल्या इक बाल बच्चों होणे वालो हे पार्वती जी बेल्या इत्ती कष्ठ हुव जणा म्हार गांठ बांध देतो महादेवजी बोल्या आग चाला

तीसरा गाँव में गया एक राजा की राणी कष्ठी ही बाल बच्चो होने वालो हो गांव भोत बडो हो पण सब सून सान | हो हो पार्वती जी बोल्या महादेवजी ई गांव में इत्तो सून सान क्यूं ह महादेवजी बोल्या पार्वताजी राजा की राणी क बाल बच्चो होणे वालो है जिको बजार बंध है अगर बाल बच्चो होणे में इत्तों कष्ठ हुव ता म्हार गांठ बांध देवो महादेवजी बोल्या पार्वताजी आग चालो

पार्वतजी जणा जिद्द करर बेठ ग्या महाराज गांठ बांधो तो ही चालू नहीं तो कोनी चालू महादेवजी पार्वताजी की जिद्द देख कर गांठ बांध दिवी। दोनू जणा सासर गया १५-२० दिन रिया खुब मान मनवार हुयी। कोई बोल्यो भुवा आयी कोई बोल्यो बेन आयी। पाछा रवाना हुवण लाग्या जणा रसोई बनाई महादेवजी भांग का नशा में बनाई जिकी सब जीम लिवी । ४ फल एक बथवा की पिंडी छोडया पार्वताजी बित्तो ई खार रवाना होयग्या रस्ता म आया एक झाड के निच बेठया महादेवजी बोल्या पार्वताजी थे कांई जीम्या महाराज थे जीम्या जिको ई म्ह जीम्या पार्वताजी झाड क नीच सोयग्या महादेवजी ढ़कणी उगाड कर देख्या पार्वताजी ४ फल ओर एक बथवा की पिंडी जीम्या हा ।

पार्वताजी उठया पछ महादेवजी बोल्या म्हे बताऊँ थे कांई जीम्या ४ पाल ओर एक बथवा की पिंडी । पार्वतीजी बोल्या आज तो म्हारी ढ़कणी खोल्या आगऊँ कोई की खोलनी नहीं । सगला गांव की लुगायां न मालुम पडयो कि महादेवजी ओर पार्वताजी आया ह अब लुगायां, मालण्या, कुंम्हांरण्या, जाटण्या सगली दर्शन करण क लिये आयी । पार्वतांजी बहोत बहोत सवाग बांटयो । महादेवजी बोल्या पार्वतांजी थाकी सहेल्यां तो अब आ रही ह बे पेर ओढ़ कर आयी जठ तांई देर होयगी पार्वताजी बोल्या महाराज म्ह तो सब सवाग बांट दियो । महादेवजी बोल्या थोडो तो देणू लागी अब लाण्या पूजा करण आई है पार्वताजी चिट्टी आंगली सूं छींटो दियो कोई क थोडो आयो कोई क घणो आयो कोई क कोनी आयो सब लाण्या घर चली गई ।

महादेव पार्वती जी रवाना होयग्या रस्ता क मायन राजा की राणी क बेटो हुयो झिको बधायां बट रयी हु बाजा बाज रिया ह लुगायां गीत गा रही ह राणी जलवा पूजन जा रही ह पार्वतीजी बोल्या महाराज अठ ओ कांई हो रयो ह । महादेवजी बोल्या पार्वतीजी राजा की राणी क लडको हुयो ह राणी जलवा पूजन जा रही ह महराज म्हारी तो गांठ खोल देवो इशो बच्चो तो म्हार भी होणू महादेवजी बोल्या अब गाठ कोनी खुल। दूसरा गांव म गया घोडी क बच्चो हुयो घोडी क आग लार फिर रयो हो । पार्वताजी बोल्या महाराज इशो बच्चो तो म्हार भी होणू गांठ खोलो । महादेवजी बोल्या अब कोनी खूल आग गया गाय क बच्चो हुयो दोड दोड कर नाच रयो हो । गाय चाट चाट र लाड कर ही । पार्वता जी बोल्या इशो बेटो तो म्हार भी होणू महादेवजी बोल्या अब गांठ कोनी खुल । महादेव पार्वताजीं कैलाश चलाग्का महादेवजी तो तपस्या करण चलाग्या पार्वताजी आपका डील को मेल उतारयो ओर गणेशजी बनाया । जीवनदान देकर दरवाजा कन बिठा दिया । ओर बोल्या कि म्ह नहा रही हूं कोइ न अंदर आबा दीजे मती ।

महादेवजी तपस्या करर आया महाराज अंदर नहीं जानू म्हारी माँ नहा रही है महादेवजी बोल्या किशी माँ बोलर त्रिशुल की मारया गर्दन उतरगी अंदर चलेग्या पार्वतीजी पूछया महाराज थान कोई रोक्यो कोनी काई ? जणा महादेवजी बेन कया एक जिद्दी छोरो रोक हो, म्ह गुस्सा म आर बिकी गर्दन उतारर मायन आयो हूं। पार्वती जी क्यों वो म्हारो बेटो हो बिन पाछो जीवतो करो, म्ह बीक बगैर नहीं रेवूं महादेवजी घबराया आपका गणा न आज्ञा दी कोई आपका बच्चा के पूठ करर सूती होशी तो बीकी गर्दन काटर लेर आवो महादेवजी गण चारू कानी गया सगली मांवां आपका टाबरां न छाती के कन लेर सुती ही एक हथणी पूठ फेर (पीठ फिरा कर) चर रही ही । गण गया बिकी गर्दन उतार कर बी बच्चा के लाकर लगा दी । पार्वतीजी आया बग देख तो डूंड डुंडालो सूंड सुँडालो मोटी सूंड मोटा कान पार्वतीजी वोल्या महाराज यान को कांई ? मूंडो ढूंढया ।इण तो कोई भी कोनी चाही । महादेवजी बोल्या पार्वताजी थां का बेटा की पूजा हर कोई सबसू पेली करी महादेवजी महाराज पार्वताजी न बेटो दियो जिशो सबन दीजो । बेन‌ सवाग दियो जिशो सगला न दीजो ।

नोट : ए दो गोर की कहाण्या बोल्या पछ विनायकजी, सूरज भगवान, लपसी तपसी, पंथवारी की कहाण्या बोलणू ।

गणगौर के गीत | Gangaur Ke Geet

गौर गडासूं उतरी सरे हाथ कंवल सीर फूल
चोटी बासक बसरीयो सरे शीश नवो नारेल
ए म्हारी चंद्र गौरजा भलीए नादान गौरज्या
रतनारा खंवा दिस दूर सूं, म्हान आव आंचम्बो
लोडीरा मेहला राजींद क्यू गया

म्हारी पायल बाज मेहल चडतीरा बाज घुंधरा ॥ धृ ॥
गंवारा भवरा खिल सरे लिलवट आंगल चार
मृग सलोना लोचना सरे नाक सुवारी चोंच ।। ए म्हारी ।।
ए होठ फवारा सारीया सरे ए रंग डोलया गाल
जिभ कमलरी पाकली सरे दांत दाडमरा बीज ।। ए म्हारी ॥
ए हिवडे संचो डालीयो सरे बासो बजड किवाड
पसवाडा बिजल खिव सरे पेट पिंपलरो पान ।॥ ए म्हारी ।॥
ए मुँगफली सी आंगली सरे बांह चंपारी डाल
भौरो पुंछो गुदगुदो सरे कसीया कांकण हाथ ॥ ए म्हारी ।॥
ए पिडया अमलो सारीयो सरे जांग देवलरो थान
एडी चिलक आरसी सरे पंजो सटवा सुट ।। ए म्हारी ।।
ए हिरण कुलसी पगतली सरे गीरीयो लाल गुलाल
कांई थान घडी ए सिलावट सरे काई थान लाल लौहार ।। ए म्हारी।।
नहीं म्हान घड़ा ए सिलावटा सरे नई म्हान लाल लौहार
जन्म दियो म्हारी मायडी सरे रूप दियो किरतार ।। ए म्हारी ॥
किनाजीरी डिकरी सरे किनाजी धर नार
हे हेमाचलरी डिकरी सरे इसरजी घर नार ।। ए म्हारी ।।
ए ऊंवा घालू बेसना सरे लुललुल लागू पाव
थाल भरयो जग मोतीया सरे गौरल पूजन जाय ।। ए म्हारी ।।
रे रंगरेज रंगीला इसरजीन रंगदे बागों केशरया
रंगरेज न प्यारी ए गौरलने रंगदे बाला चुंदंडी (२)
सड़क सड़क बिजली की रोसनी अम्बर में चमके तारा
संर करने निकली गौरज्या देख रहा है जग सारा (३)
सखी सब पूजन को जाती, सभी को सवाग भाग देती(गौर के दिन गाते है)(४)
इष्ट देव विनायक सुमरो महाराजन पुत्र देओ(५)
महाराजन पुत्र देओजी कोई सब दुनिया की साय करो (सिंजरे के दिन गाते है)
उडो हंस तुन जाओ गैगन पर खबरया लाओ म्हारा इसर की
खबरया लयाओ म्हारा इसरजी की कोई गांठया धूलरई रेशम की
इसर मेला फूल हुजारी मैं चंपाकी कली कली (उगादी के दिन गाते है)

गणगौर के भजन | Gangaur Ke Bhajan

देखो मोरी सैया ए
ब्राम्हा दास जा क छाव की गणगौर ||

इशरदास ल्यया छ गणगौर
कानीराम ल्यया छ गणगौर ||

रोवाबाई क वीरा की गणगौर
झाला देती आव छ गणगौर ||

प्याला पीती आव छ गणगौर
मुजरा करता आव छ राठौर ||

उदयापुर स आई गणगौर
आई उतरी ब्राम्हादास जी रिपोल ||

इशरदासजी ओ मानडल्यों गणगौर
रोवा की भाभी पूज्यों गणगौर ||

सुहागन रानी पुज्यो गणगौर
थारो इशर म्हारी गणगौर ||

गोर मचा व रामझौल
सुहागन रानी पूज्यों गणगौर ||

चुंदड

चुंदडल्या रो बाई गोरा बाईन कोड ले देओनी बिरमासारा चावा चंदडी
ए तो फीरीया ए गोरी देश परदेश कठरान लादी सवागण चुंदणी
ए तो लादी लादी हेमा जलसारी पोल थे तो ओडोनी कनीरामरी बेनड चुंदडी
थान ओडाव थारो जामन जायो बीर थारा चुडा ऊपर चुंदडी

बाड़ी

खोल गणगौर माता, खोल रे बाड़ी, बायर ऊबी थारी पूजन वारी |
पूजे रे सहेलियों म्हारी आसन-कासन मांगु, काज कवर सो वीरो मांगु, राई सी भूजाई ||
ओढ़े खोल छे घुंगराई, गौरा रे माथे मोर छे |
इशरदास जी खोल छे घुघराई, गौरा रे माथे मोर छे ||

टिकी

हा टीकी- हा टीकी, म्हारी गौरा बाई ने सोहे
तो पातड़िया इशरदासजी, बैठ घड़ावे टीकी ||
टीकी रमा के झामा, टीकी पाना के फूला
टीकी हरो नगीनो || हा टीकी- हा टीकी….
[नोट : घरकां जोड़ो से नाम लेवणो]

हल्दी

हल्दी गांठ-गठीली, इशरदासजी बऊ है हठीली
ऊने ऊठ घड़ाजा, ऊने बैठ घड़ाजा |
जापे मोतीड़ा पोआजा || हल्दी गांठ-गठीली….
[नोट : घरकां जोड़ो से नाम लेवणो]

मेंदी

मेंदी बाट सिलावटा जी ज्यूरंग दुनो होय
मेंदी देवोनी ओ बाई गोरा बाईर हाथ मेंदी राचनी
हाथ मेंदी राचनी चंदुबाईरो चडलो हाथ
सेज बिछाय देओजी डोलयो डाल देओजी कासब सारा जोध मेंदी राचनी
कडया कटारो बांकडो ए गोरी म्हे परदेशी लोग
थे ही बिछायलेओ ये कानूडारी बेन मेंदी राचनी

मेंदी

हरीया-हरीया बागो मे, मेहंदी र झाड़
मेहंदी बेचे राजकुमार ||
मेहंदी लो जी मेहंदी लो, थे इशरदासजी मेहंदी लो
छान-छुन थोरी गौरा ने दो, फुसक-फासक बाई सा ने दो ||
[नोट : घरकां जोड़ो से नाम लेवणो]

पानी प्यान का गीत

म्हारी गौर तीसाई ओ राज, घाटयारी मुक्ता करो |
ब्रम्हादासजी रा, इशरदासजी राज, घाटारी मुक्ता करो ||

ब्रम्हादासजी रा, कनीरामजी राज, घाटारी मुक्ता करो |
म्हारी गौरा ने पाणी पिला ओ राज, घाटारी मुक्ता करो ||

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