नयी कहानी – रंगा सियार । Short story in hindi

Ranga Siyar

नयी कहानी – रंगा सियार । Short story in hindi

एक बार एक सियार भोजन की तलाश में भटक रहा था। यह दिन उसके लिए बहुत बुरा था, क्योंकि उसे खाने को कुछ भी नहीं मिला था । थका-मांदा और भूखा-प्यासा वह देर तक घूमता रहा और अन्त में शहर की गलियों में जा पहुंचा ।

उसे पता था कि सियार के लिए शहर में घूमना खतरे से खाली नहीं है । लेकिन वह इतना भूखा था कि उसने इस खतरे की परवाह नहीं की । “अब तो जैसे भी हो मुझे कुछ खाना मिलना ही चाहिए,” उसने मन में सोचा, “लेकिन कहीं यहां पर कुत्ते और आदमी मुझ पर हमला न कर दें।”

तभी उसे खतरे का बिगुल सुनाई दिया। कुत्ते भौंक रहे थे । वह समझ गया कि अब वे उसका पीछा करेंगे

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वह डर गया और उसने भागना शुरू किया लेकिन कुत्तों ने उसे देख लिया था और वे उसका पीछा करने लगे । सियार कुत्तों से पीछा छुड़ाने के लिए खूब तेज भागा । लेकिन वे काफी नज़दीक आ गये थे।

प्राण बचाने के लिए वह एक घर में घुस गया। वह घर एक रंगरेज का था । आंगन में नीले रंग से भरा एक नांद रखा था। सियार ने उसी में छलांग लगा दी । जब कुत्ते सियार को न पा सके तो निराश होकर लौट गये ।

सियार नांद में कुछ देर छिपा रहा । जब उसे विश्वास हो गया कि कुत्ते चले गये हैं तब वह नांद से बाहर निकल आया । अपने आप को नीले रंग में रंगा देखकर उसे बड़ा आश्चर्य हुआ । उसकी समझ में नहीं आया कि अब वह क्या करे । वह आदमी और कुत्तों की नज़र से बचकर जल्दी से जल्दी जंगल में पहुंच जाना चाहता था। सो जल्दी ही जंगल की ओर लौट गया । उसे देख कर सब जानबर मारे डर के भाग गये। नीले रंग का कोई पशु उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था।

सियार ने देखा कि वे सब उससे डरे हुए हैं । बस, उसने तुरन्त ही इस बात से लाभ उठाने की ठान ली।

“अरे तुम सब भाग क्यों रहे हो ?” उसने चिल्लाकर कहा, “आओ, वापस आ जाओ और मेरी बात सुनो ।”

भागते हुए जानवर ठिठक कर खड़े तो हो गये लेकिन दूर से ही उसे देखते रहे । वे उसके नज़दीक जाने में झिझक रहे थे ।

“आओ, अरे भाई सब पास आ जाओ,” सियार ने फिर आवाज़ दी । “अपने सब मित्रों को भी बुला लाओ ।”

“मुझे तुम सबसे कुछ बहुत ही जरूरी बातें करनी हैं एक-एक करके सब जानवर नीले सियार के नज़दीक आ गये । शेर, हाथी, बन्दर, खरगोश, हिरन और बहुत से दूसरे जानवर आकर उसके चारों ओर खड़े हो गये ।

नीले सियार ने कहा, “मुझसे डरने की आवश्यकता नहीं । तुम मेरे साथ सुरक्षित हो। ईश्वर ने मुझे तुम्हारा राजा बना कर भेजा है । मैं तुम्हारी रक्षा करूंगा ।”

पशुओं ने उसके कहे पर विश्वास कर लिया । सबने झुक कर उसे नमस्कार किया ।

उन्होंने कहा, “हे राजन्, हम सब आपको अपना राजा मानते हैं । हम ईश्वर को धन्यवाद देते हैं कि उसने आपको हमारे पास भेजा है। अब मेहरबानी करके बताइये कि हम आपकी क्या सेवा कर सकते हैं ?”

नीले सियार ने कहा, “तुम्हें अपने राजा की देखभाल खूब अच्छी तरह से करनी चाहिए और हमारे खान-पान का अच्छा प्रबन्ध होना चाहिए ।”

जानवर बोले, “राजन्, ऐसा ही होगा । हम अपने राजा के सुख के लिए कुछ भी कर सकते हैं। इसके अलावा आपके लिए हम और क्या कर सकते हैं ?”

“तुम्हें सदा अपने राजा का वफादार रहना चाहिए । तभी राजा शत्रुओं से तुम्हारी रक्षा कर सकता है, चालाक सियार ने कहा ।

पशुओं को उसकी बातों पर विश्वास हो गया । उस दिन से वे नीले सियार के लिए तरह-तरह का बढ़िया भोजन लाते और उसकी खूब सेवा करते।

वह नीला सियार राजा की तरह रहने लगा । प्रतिदिन पशु उसका अभिवादन करते और अपनी समस्यायें उसके सामने रखते । राजा सब कुछ सुनता और उनका समाधान बताता ।

एक दिन जब राजा दरबार में बैठा हुआ था कि कुछ दूर पर शोर सुनाई दिया। यह आवाज़ सियारों के एक दल की थी । बहुत दिनों से नीले सियार ने अपने जाति के लोगों की आवाज़ नहीं सुनी थी । वह अकेलापन महसूस कर रहा था। इस आवाज़ को सुन कर वह बहुत प्रसन्न हुआ ।

उस समय वह यह भूल गया कि वह अब राजा है। उसने सिर उठाया और असली सियार की तरह हुअआ हुअआ’ करने लगा ।

उसकी यह आवाज़ सुनकर सब जानवर फोरन जान गये कि वह कौन है । वह तो एक छोटा-सा सियार था। उसने उन सबको खूब धोखा दिया। सब जानवरों को बहुत गुस्सा आया और वे उसे मारने के लिए दौड़े । मगर तब तक सियार वहां से भाग चुका था ।

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