बेताल सिद्धि | बेताल सिद्धि मंत्र | महिषमर्दिनी स्तोत्र | Betal Siddhi | Betal Siddhi Mantra | Betal Siddhi Kaise Kare


निम्बवृक्षोद्भवं काष्ठं श्मशाने साधकोत्तमः ।
भौमवारे मध्यरात्रौ गत्वा कुलयुगान्वितः ।।
खनित्वा चाष्टलक्षं वै दण्डपादुकचिह्नितम् ।
कृत्वा दुर्गाष्टमीरात्रौ श्मशाने निक्षिपेत्ततः ।।
तस्योपरि शवं कृत्वा पूजयित्वायथाविधि ।
शवासनगतो वीरो जपेदष्टसहस्रकम् ।।
ततो मातृबलिं दत्त्वा काष्ठमामंत्रयेत्ततः ।
स्फेस्फेदण्डमहाभाग योगिनीहृदयप्रिय ।।
मम हस्तस्थितो नाथ ममाज्ञां परिपालय ।
एवमामंत्र्य वेतालं यत्र यत्र प्रयुज्यते ।।
तं तं चूर्णी वधायाथ पुनरायाति कौलिकम् ।।

मंगलवार की अर्द्धरात्रि के समय साधक नीम की लकड़ी को श्मशान में गाड़कर उस स्थान में बैठ दश हजार महिषमर्दिनी का मन्त्र जप करे ।

मंत्र - महिषमर्दिन्यै स्वाहा और श्मशान में रहकर एक सहस्त्र होम करे, तदनन्तर वह निम्बकाष्ठ निकाल उसमें दण्ड और पादुका अंकित करनी चाहिये, फिर दुर्गाष्टमी की रात्रि में यह निम्ब काष्ठ (नीम की लकड़ी) श्मशान में डालकर उसके ऊपर शव रख यथाविधि पूजा करनी चाहिए । फिर उस शवासन पर बैठ ऊपर लिखित अष्टाधिकसहस्र जंप करके मातृगणों के उद्देश्य से बलि दे,

स्फें स्फें इत्यादि मन्त्र से काष्ठ को आमंत्रित करे, इसके उपरान्त जिस-जिस स्थान में बैताल को नियुक्त करे, यह दण्ड उसी-उसी वृत्ति को चूर्ण कर फिर साधक के निकट आता है । जिस किसी कार्य में उस दण्ड को नियुक्त करे वही बैताल सिद्ध होगा ।

Post a Comment

और नया पुराने