पैराशूट की उड़ान | पैराशूट से कूदना | Dangerous Skydiving | Parachute Flight | Parachute Jumping

पैराशूट की उड़ान | पैराशूट से कूदना | Dangerous Skydiving | Parachute Flight | Parachute Jumping

पैराशूट पहने लोग कुछ रुक-रुक कर एक के बाद एक वायुमंडल में कूद रहे थे । सार्जेंट जानी वेलकम भी अपनी पोशाक और पैराशूट का निरीक्षण कर रहा था, लेकिन वह आने वाले क्षणों की कल्पना से बुरी तरह भयभीत था । नवंबर के ठंडे मौसम में भी उसे पसीना छूट रहा था । पूरी जिंदगी में कभी ऐसा न हुआ था कि उस का नंबर सब से अंत में आया हो । वह अमेरिकी “पैराशूट सेना” में सार्जेंट था । कोरियाई युद्ध में अनेक बार उसे विमान से कूदने का अवसर मिला था ।

उसने सोचा, नौकरी की अवधि समाप्त होने वाली है । ऐसे में इतनी खतरनाक छलांग लगाना क्या मौत के मुंह में कूदना नहीं ?

उसने नीचे देखा, पीछे की ओर बहुत-से पैराशूटधारी वायुमंडल में तैर रहे हैं । सी-४६ विमान वायुमंडल को चीरता हुआ उड़ा जा रहा है । उसे सी-४६ विमानों से बड़ी घृणा थी । इस प्रकार के विमान से छलांग लगाते समय वह सदा भय महसूस करता था ।

वह सोचने लगा, उसका अफसर अर्थात् प्रतिद्वंदी राइले सी १६ विमानों के बारे में उसकी मनःस्थिति जानता है, तभी इस उड़ान के लिए सी-४६ विमान को ही चुना गया । राइले का विचार आते ही उसे कोरियाई युद्ध याद आ गया, जहां एक लड़ाई में चीनियों के हथगोले से उसकी दाईं जांघ पर गहरा घाव हो गया था । उसके मन मे युद्ध के विरुद्ध घृणा की एक तीक्ष्ण भावना उभरी । सहसा विचार आया, यह अंतिम छलांग हैं । कुछ दिनों बाद इस नरक से मुक्ति मिल जाएगी, तो घर जा कर सेली से विवाह करेगा ।

उसकी बारी आने वाली थी । छलांग की कल्पना से उसे कंपकंपी-सी होने लगी । उसने आंखें बंद कर लीं । उसे महसूस हुआ, जैसे वह वायुमंडल में कलाबाजियां खाता हुआ धरती की ओर लुढ़क रहा है । आंखें खोलीं, तो लाल बल्ब टिमटिमाता हुआ दिखाई दिया । अर्थ था, चार पैराशूटधारियों के अंतिम दल के साथ उसे भी उसी स्थान पर कूदना है ।

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शरीर टुकड़े-टुकड़े हो जाने का पुराना भय फिर उभर आया । एक कंपन-सा पैदा हुआ । दूसरे ही क्षण उसने छलांग के लिए अपने को तोला और आंखें बंद करके शरीर को वायुमंडल में फेंक दिया । आंखें झपकते ही सी-४६ विमान की नोकदार दुम नजर आई । उसे महसूस हुआ, जैसे कसाई का तेज छुरा उसके शरीर का कीमा बनाने के लिए वायुमंडल में तना हुआ है । अकस्मात उसके दांत तेज झटके से आपस में टकाराए । ठोड़ी छाती से आ लगी । खोपड़ी से चिनगारियां फूटीं और गायब हो गई एक क्षण के लिए | उसे अपना मस्तिष्क रीता-सा लगा, फिर उसने एक ऐसी आवाज सुनी, जो एलपाइन पर्वत की लंबी सुरंग में दौड़ती तेज रफ्तार गाड़ी की आवाज से मिलती-जुलती थी । स्वयं को संभाला उसने, उसे अहसास हुआ कि मामला कुछ खराब है । वह बीसियों बार विमान से कूद चुका था, पर कभी ऐसा नहीं हुआ । विचार आया, पैराशूट शायद किसी खराबी के कारण खुल नहीं रहा और वह नीचे की ओर लुढ़का जा रहा है । उसने जरा आंखें खोलीं । यह क्या ? कोई चीज उसे नदी की लहरों पर प्रवाह के विपरीत दिशा में लिए जा रही है । टांगों की दिशा आकाश की ओर है । वह बौखला गया ।

फिर उसे अहसास हुआ कि वायुमंडल में पीठ के बल घसीटा जा रहा है । हवा के थपेड़े चेहरे और गर्दन को छेद रहे हैं । हवा कनटोप को सिर से नोच फेंकने के लिए पूरा जोर लगा रही है । उसने शरीर को हरकत दे कर सिर ऊपर उठाने का प्रयास किया | उसके कानों में विचित्र आवाजें आ रही थीं । लगता था, कोई आदमी जोर-जोर से चीख रहा है । बेलकम ने इच्छा शक्ति से काम लेते हुए होश-हवास स्थिर रखने का प्रयत्न किया ।

विमान इस समय चार सौ पचास मीटर की ऊंचाई पर उड़ रहा था । उसकी गति लगभग एक सौ पचहत्तर किलोमीटर प्रति घंटा थी । पैट्रोल समाप्त होने पर विमान धरती पर उतर जाएगा । वह विमान की दुम से लटका हुआ था । विमान के उतरने की कल्पना से उसके शरीर में दहशत की ठंडी लहर दौड़ गई । उसे सूझ ही नहीं रहा था कि विमान के साथ उलझी पैराशूट की रस्सियों को किस तरह सुलझाया जाए ।

कलाबाजी के अंदाज में उसने ऊपर उठने का प्रयत्न किया, लेकिन हवा के तेज थपेड़ों के सामने उसकी एक न चली । विवश हो वह पीठ के बल हो लिया । कनटोप एक पट्टी द्वारा ठोड़ी से अटका हुआ था । हवा का एक और थपेड़ा आया । कनटोप सिर से उतर कर उसकी गर्दन में झूलने लगा । वह उसे सिर पर जमाने की व्यर्थ चेष्टा में जुटा रहा । इसी स्थिति में पैराशूट का एक भाग खुल गया । अब क्या करना चाहिए ? क्या वह इसी तरह विमान के साथ लटका हुआ मर जाएगा ?

उसे याद आया, साजेंट राइले पैराशूट के उपयोग में बहुत प्रवीण है । वह अगर चाहे तो उसकी सहायता कर सकता है, पर दूसरे ही क्षण राइले के प्रति उसके मन में घृणा उभर आई । “हुंह!” उसने माथा सिकोड़ा, “मुझे नहीं चाहिए उसकी सहायता…”

समय बीतने के साथ-साथ उसकी चिंता बढ़ती जा रही थी । सहसा उसे कोरिया के युद्ध की वह दुर्घटना याद आ गई, जिसमें उसके सिवाय दल के सब लोग मारे गए थे । हो सकता है प्रकृति अब भी उसे बचा ले !

उसने दो-तीन गहरी सांसें लीं । शरीर की पूरी शक्ति एकत्र की और फिर एक बार जोर लगाकर पैराशूट की रस्सियों में हाथ-पांव मारने का प्रयत्न किया, पर व्यर्थ ! चेहरे की दिशा धरती की ओर घूम गई । हवा के थपेड़े चेहरे को झकझोर रहे थे । पेट में तीव्र पीड़ा उठ रही थी, जैसे किसी ने कस कर घूंसा दे मारा हो । जीवन-दीप बुझने वाला था ।

अधखुला पैराशूट विमान की दुम से अटका हुआ था । वह स्वयं पैराशूट की रस्सियों में जकड़ा लगभग साढ़े चार मीटर पीछे झूल रहा था । सहसा उसे अहसास हुआ कि विमान के पिछले दरवाजे से दो आंखें घूर रही हैं । यह राइले था । उसका आधा धड़ दरवाजे से बाहर लटका हुआ था । एक हाथ से उसने दरवाजे का सहारा ले रखा था, दूसरा हाथ किसी काम व्यस्त था ।

वेलकम के लिए अधिक देर तक सिर उठाए रखना संभव न था । गर्दन में तीव्र पीड़ा होने लगी थी । वह हर दो-तीन मिनट बाद सिर ऊपर उठाकर देख रहा था । राइले क्या कर रहा है ? उसके हाथ में लंबी-सी ताटी थी, जिसके सिरे पर लोहे का अर्द्धवृत्त बना हुआ था । वह लाठी को धीरे धीरे विमान की दुम की ओर बढ़ा रहा था । ताठी विमान से थोड़ी दूरी पर पहुंच कर रुक गई । राइले लाठी को और बढ़ाने के लिए आगे झुका । पीछे से एक अन्य आदमी ने उसे थाम रखा था ।

उसने महसूस किया, अगर राइले इसी तरह आगे बढ़ता गया, तो अवश्य गिर जाएगा । उसने लगभग चीख कर कहा, “आगे मत बढ़ो। गिर जाओगे। हट जाओ पीठे !” लेकिन हवा का रुख दूसरी ओर था । उसकी आवाज न पहुंची ।

राइले विमान से बाहर निकल कर दुम की ओर बढ़ रहा था । वह पैराशूट को छुड़ाने या उलझी रस्सियां काटने के प्रयत्न में व्यस्त था । वेलकम को हर क्षण उसके गिर पड़ने की आशंका लगी थी । उसने अब राइले को खाली हाथ दरवाजे पर लटके हुए देखा और फिर सहसा राइले ने उसकी ओर छलांग लगा दी । उसने अपनी बाहें फैलाई, पर राइले एक मीटर की दूरी पर से गुजर गया ।

राइले अपने मिशन में असफल रहा । वह बेलकम को रस्सियों के जाल से छुटकारा दिलाना चाहता था । कुछ मिनट बाद वेलकम को द्वार पर अफसर खड़ा दिखाई दिया, जो चिल्ला-चिल्ला कर कह रहा था, “पेट्रोल समाप्त हो चुका है । हम उतरने वाले हैं । खेद है, तुम्हारे लिए कुछ नहीं कर सकते।”

“हवाई अड्डे पर चारों ओर धुंध है,” पुनः आवाज आई, “पूरी कोशिश करेंगे कि “रन-वे’ पर रुके, फिर तुम्हारा भाग्य ! अलविदा!”

विमान नीचे उतर रहा था । वेलकम के लिए संतुलन रखना कठिन हो गया । उसे अपने पांव ऊपर की ओर उठते महसूस हुए । विमान को एक सौ तीस-चालीस किलोमीटर प्रति घंटे की गति से दौड़ता हुआ रन-वे पर उतरना था । शरीर कागज के टुकड़ों की तरह हवा में बिखर जाने वाला था ।

धरती तेजी से समीप आती महसूस हुई । हरे-भरे पेड़ साफ दिखाई देने लगे थे । सहसा वेलकम को विचार आया, अगर कहीं से चाकू हाथ आ जाए तो शायद प्राण बच सकते हैं ।

उसने जेवें टटोलीं, पर चाकू न मिला । एक क्षण के लिए उसके प्राण निकल गए । क्या यह अंतिम सहारा भी गया ? उसने मस्तिष्क पर बल दिया कि चाकू कहां हो सकता है ? उसे सहसा याद आ गया जूतों के अंदर ।

जूतों तक पहुंचने के लिए उसने अपना शरीर सिकोड़ा । सिकोड़ने से दाईं जांघ में तीव्र पीड़ा उठी । जांघ का यह जख्म कोरिया युद्ध में लगा था । उसने टांगें और सिकोड़ीं । अब उसकी अंगुलियां चाकू के दरते से केवल डेढ़ सेमी. की दूरी पर कांप रही थीं । शरीर को एक झटका दे कर आगे बढ़ाया । सब से पहले उसने कंधों की रस्सियां काट डालीं । विमान धरती के समीप पहुंच चुका था । वह जल्दी से चाकू छाती के समीप लाया और पूरी तरह अंगुलियों की पकड़ में ले लिया, फिर उसने गर्दन की रस्सियां काटीं । मांस में धंसी रस्सियां शरीर से अलग हुई, तो तीव्र पीड़ा जागी एक दर्द भरी चीख निकली । वह लगभग निर्जीव हो गया, पर जीवित रहने की इच्छा ने हार स्वीकार नहीं की । उसने रस्सियों का अंतिम गुच्छा काट डाला । सहसा विमान का शोर बंद हो गया । उसे महसूस हुआ, जैसे उसका शरीर रन-वे से टकरा कर टुकड़े-टुकड़े होने वाला हो । रिजर्व पैराशूट अभी तक न खुल सका था । उसने चाकू फेंकते हुए पैराशूट का दस्ता मजबूती से थाम लिया ।

अचानक किसी चीज के फड़फड़ाने की आवाज आई । पैराशूट का एक भाग खुला । वह अब लगातार कलाबाजियां खा रहा था । बस, उसके शरीर के टुकड़े उड़ने वाले थे । पैराशूट के बाकी भाग भी खुल गए । ऊंचाई कुछ मीटर रह गई थी, फिर उसकी एड़ियाँ पक्के रन-वे से दो मीटर पर नर्म-नर्म धरती से टकराई तो उसे अपने जीवित होने का अहसास हुआ ।

हवाई अड्डे पर खतरे के सायरन चीख रहे थे । उसने जख्मी जांघ पर जोर देते हुए उठने का प्रयत्न किया । लोगों के दौड़ने की आवाजें समीप आ रही थीं । उसके कानों में जानी-पहचानी-सी आवाज़ आई, तो वह घबरा उठा । उस पर गिरा हुआ पैराशूट हटाया गया । अब वह अपने ऊपर झुके लोगों को देखने लगा । अंततः उसने एक परिचित को पहचान ही लिया । वही आवाज थी जिससे उसे घृणा थी ।

“वेलकम ठीक हो न?” पुनः आवाज आई “बड़ी लंबी छलांग लगाई तुमने, शायद यह इतिहास की सबसे लंबी छलांग है !”

वेलकम सार्जेंट राइले के हाथ का सहारा ले कर उठ खड़ा हुआ और तनिक मुस्करा कर कहने लगा, “राइले, तुम कितने महान हो !”

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