जगत मोहिनी मंत्र | मोहिनी मंत्र | मोहिनी मंत्र विद्या | मोहिनी वशीकरण मंत्र | सरल मोहिनी मंत्र | Mohini Mantra | Mohini Mantra Vashikaran


ॐ उड्डामहेश्वराय सर्व जगन्मोहनाय अं आं इं ईं उं ऊं ऋं ॠं फट् स्वाहा ।

इस मंत्र को प्रथम एक लाख बार जाप करके सिद्धि करे, फिर जब प्रयोग करना हो तो पान की जड़ को जल में पीस कर सात बार उक्त मंत्र से अभिमन्त्रित कर मस्तक पर तिलक लगाने से देखने वाले मोहित हो जाते हैं ।



ॐ नमो भगवते कामदेवाय यस्य यस्य दृश्यो भवामि
यश्च यश्च मम मुखं पश्यति तं तं मोहयतु स्वाहा ।

इस मन्त्र को एक हजार बार जप कर सिद्धि कर लेने के बाद जब प्रयोग करना हो तो निम्नांकित प्रयोग करे –

(1) गोरोचन, असगन्ध तथा हरताल को सम भाग लेकर केले के रस में पीस सात बार मंत्र जाप कर अभिमन्त्रित कर तिलक लगाने से समस्त प्राणी मात्र सम्मोहित हो जाते हैं ।

(2) सफेद मदार (आक) की जड़ को सफेद चन्दन के साथ घिसकर सात बार मंत्र जाप कर मस्तक पर तिलक लगाने से अमोघ सम्मोहन होता है ।

(३) अनार के पाँचों अंग (फल, फूल, जड़, पत्ते, छाल) सफेद-घुंघुची के साथ पीस कर इक्कीस बार मंत्र जाप कर तिलक लगाने से समस्त प्राणी मोहित होते हैं ।

(४) कपूर तथा मैनसिल केले के रस से पीसकर उपरोक्त मंत्र से अभिमन्त्रित कर तिलक लगावे तो सब लोग मोहित होवें ।

(५) गोरोचन, कुंकुम तथा सिन्दूर को धात्री के रस के सहयोग के पीस उपरोक्त मंत्र से अभिमन्त्रित कर तिलक लगाने से जगत् के समस्त प्राणी मोहित हो जाते हैं ।

(६) शंखाहुली, सिरस तथा राई (आसुरी) को सफेद रंगवाली गाय के दूध के संयोग से अभिमन्त्रित कर तन में लेप करके गर्म जल से स्नान कर केशर का तिलक लगा, जहाँ भी जाय वहाँ के समस्त प्राणी मोहित होते हैं ।

(७) तुलसी के बीजों को सहदेई के रस में पीस करके उक्त मंत्र से अभिमन्त्रित करके तिलक लगाने से समस्त लोग सम्मोहित होते हैं ।



ॐ नमो भगवते रुद्राय सर्व जगन्मोहनं कुरु कुरु स्वाहा ।

इस मंत्र को दस हजार बार जाप कर सिद्धि कर ले फिर निम्नाकिंत प्रकार से प्रयोग करे -

(१) गोरोचन, सिन्दूर तथा केशर को आँवले के रस से पीस करके उक्त मंत्र से अभिमन्त्रित कर मस्तक पर तिलक लगाने से सभी लोग मोहित होते हैं ।

(२) कड्डुई तुम्बी (तोरई) के बीजों का तेल निकलवा करके उसमें कपड़े की बत्ती बना काजल पार उक्त मंत्र से अभिमन्त्रित कर आँखों में आँजने से प्राणि मात्र सम्मोहित होते हैं ।



ॐ नमो अनरुठनी अशव स्थनी महाराज क्षनी फट् स्वाहा।

उल्लू के पंख की लेखनी बना बकरे के रक्त से कागज पर १०८ बार यह मंत्र लिखे और कागज को पगड़ी या टोपी में रखकर जहाँ भी जाय वहाँ के वासी अवश्य मोहित होवें ।



ओम् श्रीं धूं धूं सर्वं मोहयतु ठः ठः ।

इस मन्त्र को प्रथम एक हजार बार जप कर सिद्धि कर ले फिर जब प्रयोग करना हो तब चिचिक पक्षी के पंख को कस्तूरी में पीस १०८ बार मन्त्र से अभिमन्त्रित कर मस्तक पर तिलक लगाने से देखने वाले समस्त जन मोहित हो जाते हैं ।



ओम् नमः पद्मनी अञ्जन मेरा नाम इस नगरी में जाय मोहूँ।
सर्व ग्राम मोहूँ राजकरन्तारा मोहूँ। फर्श पे बैठाय मोहूँ पनिघट
पनिहारिन मोहूँ। इस नगरी के छत्तीस पवनिया मोहूँ। जो कोई मार
मार करन्त आवे उसे नरसिंह बीर बाम पद अंगूठा तर धरे और घेर
लावे मेरी भक्ति गुरु की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा ।

इस मन्त्र को शनिवार या रविवार की रात्रि में नृसिंह देव की विधिवत् पूजा कर गुग्गुलु जलावे तथा सुपारी, घी, शक्कर, पान आदि अर्पित कर एक सौ आठ बार मन्त्र जाप कर हवन करके सिद्धि कर ले तथा जब प्रयोग करना होवे तब चन्दन, वनरूई में लटजीरा के संयोग से बत्ती बना काजल पार ले और उस काजल को सात बार मंत्र पढ़ आँख में लगाने से सकल नगरवासी मोहित होते हैं ।



ओम् यती हनुमन्त यह जाय मरे घट पिडकर कौन है और छत्ती
मय बन पेड़ जेहि दश मोहूँ जेहि दश मोहूँ गुरु की शक्ति मेरी भक्ति
फुरो ईश्वरो वाचा ।


इस मन्त्र को रविवार से प्रारम्भ करके शनिवार के दिन तक नित्य १४४ बार हनुमान जी की प्रतिमा के सामने जाप कर सिद्धि करे, फिर जब प्रयोग करना हो तो चौराहे की सात कंकड़ी उठा १४४ बार मंत्र पढ़ जिस कूप में डाले उस कूप का जल पीने वाले सभी लोग मोहित हों ।



कालू मुँह धोई करूँ सलाम मेरे नैन सुरमा बसे जो निरखे सो पायन पड़े गोसुल आजम दस्तगीर की दुहाई।

यह मन्त्र इस्लामी है, इसको जुमा (शुक्रवार) को सवा लाख गेहूँ के दाने ले प्रत्येक दाने पर एक बार मन्त्र पढ़ इसको सिद्धि कर ले और आधा गेहूँ पिसवाय घी से हलुआ बना गौसुल आजम को अर्पित कर स्वयं भी खाय फिर सात बार मंत्र जाप कर आँखों में सुर्मा लगाकर जिस सभा में जाय वहाँ के लोग मोहित हों ।

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