जेम्स वाट की कहानी | जेम्स वाट कौन था | जेम्स वाट इन्वेन्शन | जेम्स वाट के बारे में जानकारी | जेम्स वाट का जन्म कब हुआ था | जेम्स वाट जीवन परिचय | जेम्स वाट निबंध | james watt invention | james watt steam engine

जेम्स वाट की कहानी | जेम्स वाट कौन था | जेम्स वाट इन्वेन्शन | जेम्स वाट के बारे में जानकारी | जेम्स वाट का जन्म कब हुआ था | जेम्स वाट जीवन परिचय | जेम्स वाट निबंध | james watt invention | james watt steam engine

स्कॉटलैण्ड में जन्मे जेम्स वाट (James Watt) को हम एक ऐसे शोधकर्ता के रूप में जानते हैं जिन्होने एक ऐसे वाष्प-इंजन का विकास किया, जो क्षमता के साथ ऊष्मा को यान्त्रिकी ऊर्जा में परिवर्तित कर सकता था | उनके इस आविष्कार ने १८वीं शताब्दी में होने वाली औद्योगिक क्रान्ति में महत्वपूर्ण योगदान किया था |

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जेम्स वाट (James Watt) से लगभग १०० वर्ष पहले से वाष्प इंजन के निर्माण सम्बन्धी प्रयोग और परीक्षण तो होते ही आ रहे थे, मगर जेम्स वाट ने वाष्प इंजन को कार्य-कुशलता की दृष्टि से पूर्ण किया | इस क्षेत्र में पूर्व वैज्ञानिकों के योगदान को स्वीकार करते हुए यह माना जाता है कि आधुनिक वाष्प इंजन का आविष्कारक जेम्स वाट ही है |

जेम्स वाट का जन्म | james watt birthday


जेम्स वाट (James Watt) का जन्म स्कॉटलैण्ड में क्लाइड नदी के किनारे स्थित ग्रीनाँक नामक स्थान में १९ जनवरी, १७३६ को हुआ था | उनके पिता जी एक सफल और प्रसिद्ध व्यापारी थे, उनके अनेकों कार्य चलते थे | वह मूलतः एक सौदागर तथा एक सफल जलपोत एवं भवन-निर्माता थे | वह जल-पोतों के स्वामी थे, वह अपने नगर के एक प्रसिद्ध मजिस्ट्रेट भी थे |

जेम्स वाट की शिक्षा | जेम्स वाट एजुकेशन


जेम्स वाट (James Watt) एक सुकुमार बालक थे, प्रारम्भ में उसकी माता ने ही जेम्स वाट (James Watt) को घर पर पढ़ाया, मगर कुछ समय बाद वाट को ग्रामर स्कूल में दाखिल करा दिया गया | वहाँ उन्होने लैटिन तथा यूनानी भाषाओं के अतिरिक्त गणित का अध्ययन किया |

गणित में वाट ने विशेष रुचि भी दिखाई और अपने को गणित के मेधावी छात्र के रूप में स्थापित किया | पिता की कार्य-शाला वाट्स के लिए शिक्षा का एक महत्वपूर्ण केन्द्र थी | वहाँ उन्होने अपने औजारों की मदद से क्रेन, बैरल आदि अवयवों के नमूने तैयार किये जब वाट १७ वर्ष के थे, तब उन्होने अपने भविष्य के बारे में निर्णय कर लिया | उनका निर्णय था कि वह गणित सम्बन्धी यन्त्रों का निर्माता बनेगे | इस क्षेत्र में प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए सर्वप्रथम वह ग्लैसगो गया, जहाँ उसकी माता के एक परिवारीजन विश्वविद्यालय में शिक्षक थे |

इसके लगभग २ वर्ष बाद, सन् १७५५ में वह लन्दन गए | लन्दन में विषय के एक शिक्षक का सम्पर्क उसको प्राप्त हो गया, यहाँ काम करते हुए एक वर्ष के भीतर ही उसका स्वास्थ्य खराब हो गया, परन्तु इस अल्प अवधि में उन्होने काफी जानकारी प्राप्त कर ली और काम में इतनी योग्यता प्राप्त कर ली थी कि वह स्वतन्त्र रूप से अपनी जीविका कमा सके |

ग्लैसगो वापस आकर (सन् १७५७) उसने विश्वविद्यालय के परिसर में गणित सम्बन्धी यन्त्रों की एक दुकान खोल ली | क्वाड्रैण्ट्स, कम्पस, स्केल्स आदि बनाकर वह बेचने लगे | यहाँ दूकान चलाते हुए अनेक वैज्ञानिकों के साथ उसका परिचय होना स्वाभाविक था | इन परिचितों में उसकी मित्रता जोसेफ ब्लैक (Joseph Black) के साथ हो गई, इन्हीं जोसेफ ब्लैक ने गुप्त ऊष्मा (Latent Heat) की अवधारणा को विकसित किया था | जोसेफ ब्लैक की संगति में उसने गुप्त ऊष्मा के सन्दर्भ में वाष्प के बारे में व्यापक जानकारी प्राप्त की | यह जानकारी वाष्प इंजन को कुशलता प्रदान करने में उसकी सहायक सिद्ध हुई थी |

जेम्स वाट विवाह | जेम्स वाट की पत्नि


२८ वर्ष की उम्र में, सन् १७६४ में वाट ने अपनी चचेरी बहिन मारगरेट मिलर (Margaret Miller) के साथ विवाह किया | उसकी पत्नी लगभग ९ वर्ष जीवित रही | उनसे उन्हे ६ बच्चों हुए | इंजन के निर्माण में सफल होने के उपरान्त जेम्स वाट ने दूसरा विवाह किया | द्वितीय पत्नी का नाम था एन मैकग्रेगर (Ann MacGraegor), इस पत्नी से वाट को दो सन्तानों की प्राप्ति हुई |

जेम्स वाट के कार्य | जेम्स वाट इन्वेन्शन


सन् १७६४ में एक दिन न्यूकोमेन (Newcomen) ने वाट को अपने इंजन का नमूना (Model) मरम्मत के लिए दिया | उस इंजन की मरम्मत करते समय वाट के दिमाग में यह बात आई कि इस इंजन में वाष्प (Steam) आवश्यकता से अधिक खर्च होती है, यानी यह इंजन वाष्प को बर्बाद करता है | उसके दिमाग में यह बात भी आई कि इस बर्बादी का कारण इंजन के वायलर का अपेक्षाकृत छोटा होना है, उसके विचार से इस समस्या का समाधान यह था कि ऐसे इंजन का निर्माण किया जाए, जिसमें वाष्प की खपत कम-से-कम हो और वाष्प बर्बाद न हो | इस समाधान के लिए वह लगभग १ वर्ष तक जूझते रहे और अन्ततः १७६५ में समस्या का समाधान उसके हाथ लग गया, और वह था इंजन के लिए एक पृथक कण्डैन्सर का निर्माण |

वाट ने यह अनुभव किया था कि गुप्त ऊष्मा का क्षय न्यूकोमेन के इंजन में सबसे बड़ा दोष था | इसलिए यह आवश्यक था कि बायलर से पृथक कण्डैन्सर हो और उसको बायलर के साथ जुड़ा भी होना चाहिए, इस प्रकार न्यूकोमेन के वाष्प इंजन में सुधार करके नये वाष्प इंजन का निर्माण जेम्स वाट का प्रथम और महानतम आविष्कार था |

सन् १७७६ में वाट कौर्नवाल (Cornwall) जाकर रहने लगे थे, वहाँ ताँबा और टीन की खदानों में काम करने वाले पम्पों में ईंधन बहुत खर्च होता है, उनका प्रबन्धतंत्र ईंधन के खर्चे में कमी करना चाहता है | उन्होने वहाँ पूरे पाँच वर्ष तक उन खदानों का निरीक्षण भी किया तथा वहाँ अनेक नये पम्प लगाये |

सन् १७८० में अनाज, माल्ट, रुई आदि में अच्छे व्यापार की सम्भावनाएँ देखीं और अधिक आर्थिक लाभ की दृष्टि से बोल्टन को अधिक पूँजी की आवश्यकता थी | उसने वाट से आग्रह किया कि वह वाष्प इंजन के लिए घूर्मी घूर्णी के ढंग का इंजन तैयार करे, पुराने इंजन का Raciprocating कार्य प्रणाली में खर्चा बहुत आता था | वाट ने अपनी सूझबूझ द्वारा सन् १७८१ में बोल्टन की आवश्यकता की पूर्ति कर दी |

सन् १७८२ में वाट की प्रतिभा अपने चरम उत्कर्ष पर थी, उसने दोहरा कार्य करने में सक्षम इंजन का विशेषाधिकार पत्र प्राप्त कर लिया | इस इंजन का पिस्टन दोनों कार्य करता था-आगे की ओर धकेलता भी था और पीछे की ओर खींचता भी था, इस इंजन से कार्य लेने के लिए यह आवश्यक था कि पिस्टन को बीम के साथ इस प्रकार जोड़ा जाए कि बीम हिल-डुल न सके | इस प्रकार जेम्स वाट एक के बाद दूसरा आविष्कार करके स्टीम इंजन को अधिकाधिक सक्षम बनाता गया | साथ ही उसने यह भी ध्यान रखा कि इंजन को चलाना अधिक-से-अधिक आसान हो जाए |

सन् १७९० में उसने दबाव नापने का यंत्र (Pressure gauge) तैयार किया, यह वाट का अन्तिम आविष्कार था, और इसी के साथ वाट द्वारा आविष्कृत इंजन सब तरह से पूर्ण हो गया |

वाट द्वारा सब प्रकार पूर्ण किए हुए उक्त वाष्प इंजन (Steam) की माँग चारों ओर से आना शुरू हो गई | कागज मिलों, आटा मिलों, रुई की मिलों, लोहे की मिलों, शराब बनाने की भट्टियों, नहरों, जल संस्थानों आदि की ओर इस नवीनतम इंजन की माँग आना शुरू हो गई |

सन् १७९० तक वाट्स एक धनवान व्यक्ति बन गया था, पिछले वर्षों में अपने विशेषाधिकार प्राप्त वस्तुओं पर रायल्टी के नाम पर वाट को ७६००० पौण्ड प्राप्त हुए |

सन् १७८५ में वाट और बोल्टन दोनों व्यक्ति लन्दन की रायल सोसाइटी के फैलो निर्वाचित किये गये | इसके पश्चात् वाट धीरे-धीरे काम कम करने लगा और वह प्रायः छुट्टी मनाने लगे |

जेम्स वाट (James Watt) ने डोल्डोलौड, रैडनोरशायर (Doldowlod Radnorshire) में जायदाद खरीद ली और वह वहीं जाकर रहने लगा | सन् १७९५ में वाट ने व्यापार से अपना हाथ एकदम खींच लिया |

जेम्स वाट को प्राप्त सम्मान


जीवन-काल में ही वाट की उपलब्धियों को मान्यता प्राप्त हुई और उसको विभिन्न प्रकार से सार्वजनिक रूप से सम्मानित किया गया | उसको सन् १८०० में ग्लोसगो विश्वविद्यालय में डाक्टर ऑफ लौज़ की मानद उपाधि प्रदान की गई |

सन् १८१४ में फ्रांस की विज्ञान अकादमी ने विदेशी सहयोगी बनाकर सम्मानित किया और उसको सामंती (Baronetcy) का पद प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया, जिसे वाट ने अत्यन्त विनम्रतापूर्वक अस्वीकार कर दिया |

जेम्स वाट की मृत्यु | जेम्स वाट का निधन


अवकाश-प्राप्ति के वर्षों में द्वितीय पत्नी से जन्मे द्वितीय पुत्र तथा अनेक मित्रों का चिरवियोग सहन करना पड़ा था, परन्तु उसने साहस बनाए रखा | वह अपने निवास स्थान की अटारी में स्थापित कार्यालय में निरन्तर कार्यरत रहा करते थे | प्रयोगशाला में काम करते हुए वाट ने पत्थर की मूर्तियाँ बनाने की एक मशीन का आविष्कार किया था, जिसकी सहायता से उसने अपने कई मित्रों के पूरी धड़ की प्रतिमायें तथा पूरे आकार की प्रतिमायें तैयार की थीं |

हैथफील्ड (Heathfield) में अपने आवास पर अगस्त २५ सन् १८१९ के दिन वाट का स्वर्गवास हुआ और उसकी बोल्ट्रोन के बराबर हैण्डूवर्थ पेरिश चर्च (Handuworth Parish Church) में दफन किया गया |

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