Airlift की सच्ची कहानी | Real Story of Airlift

एयरलिफ्ट

Table of Contents (संक्षिप्त विवरण)

एयरलिफ्ट

Airlift

एयरलिफ्ट फिल्म की कहानी, एयरलिफ्ट इतिहास, एयरलिफ्ट मूवी

बालीवुड की फिल्मे हमारे जिन्दगी को प्रभावित करती है, मगर कुछ फिल्मे ऐसी भी जो हमारे जिन्दगी से प्रभावित होकर बनी है, उनकी फिल्मो में से एक है २०१६ में आयी फिल्म एयरलिफ्ट AIRLIFT

एयरलिफ्ट फिल्म की कहानी : १९९० में सद्दाम हुसैन के कुवैत में हमले करने के बाद वहा के हालात काफी बिगड़ गए, जिसके बाद वहा १ लाख ७० हजार से भी अधिक भारतीय फंस गए | रंजीत कटियाल, जो वहा एक सफल बिजनेसमैन है , जब वह अपने परिवार के साथ वहा से निकलने वाले होते है, तब उन्हें अन्य फंसे हुए भारतीयों के बारे में पता चलता है जिसके बाद वह बाकी भारतीयों की वहा से निकलने में मदद करते है और काफी कोशिशो के बाद एयर इंडिया AIR INDIA की मदद से १ लाख ७५ हजार भारतीयों को कुवैत से भारत लाया जाता है |

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तो आइये जानते है एयरलिफ्ट फिल्म की कहानी के बारे में :

करीब आठ वर्ष अर्थात १९८२ से लेकर १९९० तक चले इरान-ईराक लड़ाई में दुनिया के बड़े तेल भण्डार वाले देश कुवैत ने ईराक की पैसो से काफी सहायता की थी, जिसके कारण ईराक को जंग के समय पैसो की कभी दिक्कत नहीं हुई | कुवैत ईराक के जंग का लगभग पूरा खर्च उठा रखा था | मगर जैसे की जंग ख़त्म हुई ईराक पर बहुत बड़ा कर्ज खड़ा हो गया |

इस कर्ज को जल्द से जल्द उतारने का दबाव सद्दाम हुसैन पर था | इस कर्ज के दबाव को उतारने के लिए और आर्थिक रूप से मजबूत होने के लिए सद्दाम ने तेल का कुआ होना जरूरी समझा |

और इस सोच से जन्मा युद्ध |

ईराक और कुवैत की इस खूनी लडाई में लाखो भारतीय बेवजह फंस चुके थे | २ अगस्त १९९० को ईराक में देर रात पैसो से मदद करने वाले कुवैत पर हमला कर दिया और सिर्फ छ: घंटो के अन्दर ईराक की सेना कुवैत शहर के अन्दर तक घुस गयी | पुरे शहर में अफरा-तफरी का माहौल था |

खून-खराबे के बीच कुवैत आर्मी ने ईराक के सामने तुरंत घुटने टेक दिए और कुवैत राजकीय परिवार(Royal Family) जान बचाकर साउदी अरब से भाग निकली |

राजकीय परिवार के भागते ही सद्दाम ने कुवैत को ईराक का एक प्रांत घोषित कर दिया | लेकिन पल-पल कुवैत में रह रहे भारतीयो के जान पर ख़तरा बढ़ता ही जा रहा था |

भारतीयो को सुरक्षित निकालने के लिए उस समय के विदेश मंत्री श्री गुजराल, सद्दाम हुसैन से मिलने पहुचे और सद्दाम हुसैन ने भारतीयो को सुरक्षित निकालने की इजाजत दे दी |

कुवैत से लगे जौर्दन (Jordan) की सीमा को भारतीयों के लिए खोल दिया गया, ताकी भारतीय कुवैत से आसानी से निकल सके और इस रेस्क्यू आपरेशन का मुख्यालय जौर्दन की राजधानी अमन(Amman) को बनाया गया |

कुवैत से भारतीयों को निकालना खतरनाक था इसलिए भारतीयों को अमन एयरपोर्ट आने को कहा गया |

एयरलिफ्ट इतिहास : १३ अगस्त से लेकर ११ अक्टूबर १९९० तक ५०० फ्लाइट की सहायता से इतिहास के सबसे बड़े रेस्क्यू आपरेशन को पूरा किया गया और १ लाख ७५ हजार भारतीयों को बचाकर वापस लाया गया |

इस रेस्क्यू आपरेशन में एक अहम् भूमिका निभाई थी रंजीत कटियाल ने | जिन्होंने खुद की परवाह न करते हुए कुवैत में फंसे लाखो भारतीयों के बारे में सोचा और इस रेस्क्यू आपरेशन को सफल बनाने में पुरी मदद की |

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