आंवला नवमी की कथा | आंवला नवमी की कहानी | आंवला नवमी व्रत कथा | Amla Navami 2022 | Amla Navami Kab Hai
कार्तिक सुदी नवमी न आंवला नवमी आव । इ दिन आंवला क गाछ की पूजा कर। जल, मोली, रोली, चावल, गुड़, मीठी सुहाली, बतासा, आंवला, कबजो, और दक्षिणा चढ़ाव । धूप-दीप चास । एक-सौ-आठ या आठ फेरी देव । कहानी सुन । आंवला क निच ब्राह्मण-ब्राह्मणी न जोड़ा स जिमाव । जिमान म आंवला जरूर घाल। जिमा कर साड़ी, कबजो और दक्षिणा देव । ई दिन घर म जितना जना होव, जिका सब कोला म आपको मन होव सो रुपिया-गहना घाल कर, लाल कपड़ा म बाँध कर, ब्राह्मण न गुप्त-दान कर । ई दिन सब न आंवला जरूर खाना चाहिये ।
आंवला नवमी की कहानी
एक अवलियो राजा थो, जिको रोजिना सोना का सवा मन आंवला दानकर क जीमतो। एक दिन ऊँका बेटा- बहू सोच्याठ कि अगर यो इतना आंवला रोजिना दान करगो, सारो धन खत्म हो जासी। बेटो, बाप क न गयो और बोल्यो किथे आइयां तो सारो धन लुटा देवोगा, सो अब आंवला दान कोनी कर न सको। राजा रानी दुःख क मारे बावंनी ऊजाड़ म जा कर बैठगा। ऊँना न भूखा-प्यासा बैठया सात दिन होगा ।
राजा आंवला दानकर न सक्यो, कोनी और दान कर बिना खायो कोनी। जद भगवान सोचयो कि अगर अब म इनाको सत नहीं राखूँगा तो आपां न दुनिया म कोई मानसी कोनी | भगवान राजा न सपना म बोल्या कि तू उठ और देख, तेरा पहले क जैसा ही राज-पाट हो रया है, आंवला का गाछ उग स्या है। उठ कर आंवला दान कर और जिम । राजा-रानी उठ कर देखा, तो पहले स भी बेसी राज-पाट, सोना का आंवल हो रया था। वै लोग फेर रोजिना सवा मन आंवला दान करने लाग्या । खूब सुख सरब लग्या। बठी न बेटा-बहू क अन्नदाता बैर पड़गो ।
आस-पास का लोग बोल्या कि जंगम म एक आंवलियो राजा रव है, थे बठ चल्या जावो, बो थारा दुःख दूर कर देसी । ब लोग बठ पहुँचा, तो रानी बिना न ऊपर स देख लिया और आपना आदमियाँ न बोल्या कि इना न काम प राख ल्यो । काम तो कमती करायो, मजूरी ज्यादा दियो । एक दिन रानी आपकी बहू क बुलाकर बोली कि मेरो सिर नहलादे। बहु सिर नहलान लागी, तो बहु क आँख म स आँसू रानी पीठ पर गिरगो। रानी पूछी कि तू रोव कैया लगी है, जिसी बात बता l बहू बोली कि मेरी सासु की पीठ प भी इसो ही मस्सा थो,वा भी सवा मन आंवला रोजिना दान करती। म्हे बिना न आंवला कोनी दान कर न दिया और घर से निकाल दिया। जद सासु बोली कि म्हे ही तेरा सासु-सुसरा हाँ, थे तो म्हान निकाल दिया, लेकिन भगवान म्हारो सत्त राख्यो ।
हे भगवान ! जिसो राजा-रानी को सत राख्यो, जिसो सबको राखियो। कहतां, हुंकारा भरतां को, आपना सारा परिवार को राखिये। ई क बाद बिन्दायकजी की कहानी कहव |