बछ बारस पूजा और बछ बारस की कहानी | Bach Baras Ki kahani
बछ बारस की पूजा विधि
भादवा बदी बारस न बेटा की मां बछडा वाली गाय की पूजा करणू पूजा म कुंकू चांवल, हल्दी, मोली, जवारी का आटा का लाडू, सातु, गुड, लाल कपडो, उग्योडो मूंग मोठ, पान फुल, लेण । गाय और बछडा को पूजा करणू । गाय न लाडू खिलाणू बींक बाद ओगडा की पूजा करण गोबर सूं घर क सामन ओगडो माण्डनु । बेटा क तिलक करर मोलो बा्धणू और लाडू उठावण लगाणू | कलपणो देणू । मोठ, जवारी, चणा, बाजरी, चांवल, खाणू । बी दिन गेहूं नहीं खाणू । पूजा करया बाद कहाणी केवणु | चाकू सू कतरयोडी कोई भी चीज नहीं खाणू | उजेवणो करणु | उजेवणा में १३ लुगायां और एक साखीदार (साक्षीदार) न जीमाणु अपनी शक्ति सारु लुगायां न कूंकूं लगार भेट देणू ।
बछ बारस की कहानी
भादवा को महिनो आयो । इन्द्र की अप्सरा मृत्यु लोक गाय की पूजा करण आयी । आजू बाजू देखी कठ भी (बछड़ा की मां गाय) गाय कोनी हो । बा पूजा करण लागो जणा गाय बोली म्हारे तो बेटो कोनी थे क्यान म्हारी पूजा करो । बोलर गाय लातां मारण लागी । इन्द्र की अप्सरा एक दोब के बच्यो बणायो बिन गाय कन खडी कर दीयो । बीन जीवन दान दीयो । वो गाय को दूध पीवण लागग्थो । इन्द की अप्सरा आनंद क साथ गाय की पूजा करी । पूजा करणे के बाद बा गाय बछडा न लेर घर चलेगी । गाय की धिराणी बछडा न देखर बोली तू तो थार टोगडो लेर आयी म्हारे तो बच्चो कोनी इ वास्त म्ह थन घर में आबा कोनी देऊ ।
गाय बोली तू म्हन अबार घर म ले । अविता बछ वारस तक थन भी टात्र हो जाई । कान झडकायी बीमस्यूं मोठ का दाणा पडया । धिराणी न बोली तू ये दाणा न उठार खा ले । धिराण मोठ का दाणा उठार खा ली । भगवान की किरपां सं धिराणा गर्भवती रेयगी । नवां महिना बीक बालक होयग्यो । वा गाय माता री पूजा करी ओगडा की पूजा करी । भगवान बीन बेटो दियो ब्यान सबन दीज्यो कहानी केवंता, सुणता, हुंकारो भरतान भी बेटो दोज्यो ।
बछ बारस माता की कहानी
एक सासू बवां ही बछ बारस को दिन आयो सासू बोली बहू म्ह खेत म जाऊ तू गंवुलो चढ़ा दीजे । बहु लाण भोली भाली ही ब्यांका बछडा को नाम भी गंवुलो हो । वा समझी कोनी ई बास्त बछडा न काटर हडी में चढ़ा दीयो । शाम का सासू खेत स्यू पाछी आयी गाय न दुवण लागी बहू न बोली बीनणी बछडा न छोडो । बहु ऊबी ऊबी हाथां न मसलण लागगी बीक पसीनो पसीनो आयग्यो बा धुजण लागगी मन म सोची म्हारी सासू तो गंबुला न चढ़ा दीजे बोलर खेत गयी म्ह तो चढ़ा दी । भगवान सू प्रार्थना करी हे भगवान तू म्हारी लाज राखीजे । भगवान बी की प्रार्थना सुण ली । हांडी फुटर बछडो बार आयग्यो । बछडा का गला म हाण्डी को मुण्डो रेयग्यो गरम गरम वाफां निकलतो आपकी मां को दूध पीवण लागग्यो । सासू बोली बह यो कांई करयो । बहु बोली सासूजी थे बोलर गया कि गंवुलो चढा दीजे जिको म्हं चढ़ा दी पण भगवान म्हारी प्रार्थना सुणर म्हारी लाज राखी और बछडा न जींवतो करयो । बी दिन सु लुगायां गेहुं ओर बन्दारयोडी कोनी खाव । बी को मान राख्यो ज्यान सबको राखीज्यो ।
बछ बारस व्रत कथा
एक गांव म अकाल पडग्यो । बरसात कोनी हुबी । साहुकार तलाब खदायो । तलाब म पाणी आयो कोनी । जणा साहुकार बडा बडा पंडितां न पूछयो कि तलाब म पाणी क्यूं कोनी आयो ? पण्डित बोल्पा कि थांका वडा पोता को भख देव तो तलाब म पाणी आव । साहुकार बोल्यो कि म्हारे दो पोता ह । एक को भख दे देवूं तो एक तो रेई । गांव वालां न पाणी तो मिली । पण विचार करयो कि बहु क्यान देवण देई । बडा पोता को नाव बछराज ओर छोटा पोता को हंसराज हो । साहुकार बहु न बोल्यो थाका पीर (पीयर) को बुलावो आयो ह । थे हंसराज न ले जाबो बछराज न अठई रेबा देवो । बहू हंसराज न लेर पीहर चलेगी । साहूकार तलाब की तीर पर बडी पूजा करायो, यश करायो । गांव का लोगां न बुलाया । ब्राह्मण न दक्षिणा दी ओर बडा पोता बछराज को भख दीयो । बहु का भाई न मालुम पड़ी वो बेन न बोल्यो । थारा सुसराजी यज्ञ कराया थन कोनी बुलाया। बहु बोली म्हारा सुसराजी भोला है कोनी दबुलाया भूलग्या होसी। म्हन म्हारा घर जावण को बुलावो क्यूं चइजे । बछ बारस क पेला दिन वा आपक सासर आयगी । दूजे दिन बछ बारस आयो। गाय की पूजा करी । सासू बोली चालो बीनणी तलाब की पूजा करां तलाब की पूजा क बाद सासू बोली ओगडा की कोर खांडी करो । बा बोली म्हे क्यूं करु । म्हारे तो हंसराज दो बेटा हैं । सासू बोली म्हे बोलु थाने कोर खांडी करो । लाडू रख्या । वह आवाज दी आवो रे म्हारा हंसराज बछराज लाडू उठाओ । सासू घबरा गयी रोवण लागगी ओर मन म सोचबा लागी अब बछरान कठसु आई । जित्ता म आला कपडा मट्टी म भरयोडो झर झरता पानी केशा सु बछराज आकर लाडू उठा लियो । बहु पूछण लागा सासुजी ओ क्यान हुयो । जणा सासू सगली बात बताई कि म्हे तो बछराज न तलाब म पाणी आने क लिए भख दे दियो हो। भगवान बांको सत राख्यो ज्यान म्हांको सत राखज्यो । कहाणी केंवता, हुंकारो भरता व सुणन वाला को सत राखीजे ।
बछ बारस कथा
एक गाय ही वा चरतो चरती घणा जंगल म चलेगी । वा जंगल म शेर रेंवतो हो । बो गाय न खावण आयो । गाय शेर मोली तू म्हने आज मती खा । म्हे म्हारा बछडा न मीलर आवं ने केर दूध पिलार आवूं पछ खांइजे । शेर बोल्यो काल मरण न कूण आमी । गाय बोली म्ह थन बचन देवूँ । बा शाम का घर गई बच्चा न पिलाबा लागी। गाय की आंख्या सूं गरम गरम आंसू पडबा दाग्या । बछडो पूछयो मां तू आज क्यूं रोव । गाय बोली बेटा म्हन काल मरणू ह तू आज दूध पी ले । म्हने काल शेर खाणे वालो है । जणा बछडो बोल्यो मां म्हे भी काल थारे साथ चालू। मां बोली बेटा तू मत चाल नहीं तो थन भी शेर खा लेई । बछडो मान्यो कोनी बो गाय के साथ साथ चलेग्यो । बछडो जार शेर न बोल्यो मामाजी थे म्हां दोन्यान खावो । शेर बोल्यो थन क्यान खावूं तू म्हन मामाजी बोल्यो । तू म्हारो भाणजो और गाय म्हारी बेन । शेर गाय न घास डाली चुन्दडी ओढ़ाई । स्वर्ण सूं विमान आयो शेर गाय बछडा क साथ विमान में बेठर बैकूण्ठ चलेग्या । गाय की सच्चाई सूं भगवान गाय न सत्य देकर बैकुण्ठ भेज्या ब्यां ही कहानी केवंता, हुंकारो भरता, सुणता न बैकुण्ठ भेजीज्यो ।