बेंजामिन फ्रैंकलिन की आत्मकथा | बेंजामिन फ्रैंकलिन कौन थे | बेंजामिन फ्रैंकलिन की जीवनी | benjamin franklin inventions | benjamin franklin history

बेंजामिन फ्रैंकलिन की आत्मकथा | बेंजामिन फ्रैंकलिन कौन थे | बेंजामिन फ्रैंकलिन की जीवनी | benjamin franklin inventions | benjamin franklin history

एक समय था जब विश्व की बहुत सी ऊंची इमारतें बादलों से बिजली गिरने से नष्ट हो जाती थीं । ऊंचे भवनों को बादलों की तड़ित से सुरक्षा प्रदान करने का साधन सर्वप्रथम बैंजामिन फ्रैंकलिन ने खोजा था |

विद्युत से सुरक्षा प्रदान करने वाले उपक्रम को तड़ित चालक (Lighting conductors) कहते हैं । इस प्रक्रम में धातु से बनी एक छड़ या पत्ती प्रयोग की जाती है, जिसका एक सिरा नुकीला होता है । इस छड़ के नुकीले सिरे को भवन की छत के ऊपर रखा जाता है और छड़ भवन की दीवारों के साथ होती हुई नीचे की ओर आती है । इस छड़ के दूसरे सिरे को जमीन के अन्दर गाड़ दिया जाता है । जब कोई आवेशित (Charged) बादल ऊंचे भवन की छत के पास से गुजरता है तो उसका आवेश धातु की छड़ से होता हुआ जमीन के अन्दर चला जाता है । इस प्रकार भवन सुरक्षित रहता है ।

आज संसार के सभी विशाल भवनों में तड़ित सुरक्षा के लिए तड़ित चालक लगाए जाते हैं । तड़ित चालक के इस आविष्कार की कहानी बड़ी ही दिलचस्प है ।

सन् १७५२ की बात है जब बैंजामिन फ्रैंकलिन ने बादलों की विद्युत से सम्बन्धित एक प्रयोग किया जो इस प्रकार था –

फ्रैंकलिन ने घर में बनी हुई एक पतंग आकाश में उड़ाई । उस समय बरसात का मौसम था और बादल छाए हुए थे । इस पतंग को बनाने के लिए उन्होंने एक बड़ा रेशमी रूमाल लिया और उसे लकड़ी की पट्टियों से बने क्रॉस पर बांध दिया । लकड़ी की एक खड़ी पट्टी पर लोहे का तार इस प्रकार लगा दिया कि वह पतंग के सिरे से एक फुट बाहर रहे । उसने पतंग को उड़ाने के लिए एक डोरी इस्तेमाल की और डोरी के सिरे पर सिल्क का एक रिबन बांध दिया । डोरी तथा सिल्क के मिलने वाले स्थान पर उन्होंने लोहे की एक बड़ी चाबी लगा दी । पतंग को उड़ाने के लिए वे एक शेड के नीचे खड़े हो गए ताकि सिल्क का रिबन वर्षा से भीग न जाए । इसके भीगने पर उन्हें विद्युत का झटका लग सकता था ।

पतंग उड़ती रही । फ्रैंकलिन ने अपनी अंगुलियों की गांठ को चाबी के पास रखा, जहां से अनेक स्फुलिंग (Sparks) निकल रहे थे । इस प्रयोग के आधार पर उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला कि बादलों की विशाल विद्युत को बादलों से जमीन तक लाया जा सकता है । इसी के आधार पर विशाल भवनों को बादलों की विद्युत से सुरक्षा प्रदान करने के लिए तड़ित चालकों का विकास किया गया ।

बैंजामिन फ्रैंकलिन ने विशाल भवनों को बिजली की कड़क और तड़ित द्वारा होने वाली हानि से बचाने के लिए स्वयं एक तरीका विकसित किया । उनके द्वारा विकसित तरीके कुछ इस प्रकार है –

इतनी लम्बी लोहे की एक पतली छड़ ली जाए, जिसका एक सिरा गीली जमीन में तीन चार फुट नीचे हो तथा दूसरा सिरा इमारत के सबसे ऊंचे भाग से छः-सात फुट ऊपर निकला रहे । छड़ के ऊपरी सिरे पर लगभग एक फुट लम्बा पीतल का पतला तार बांध दिया जाए, जिसका सिरा नकीला हो । यदि भवन में ऐसी व्यवस्था कर दी जाए तो उसको तड़ित से कोई हानि नहीं पहुंचेगी, बल्कि तड़ित नुकीले सिरे द्वारा आकर्षित होकर बिना किसी को हानि पहुंचाए धातु की छड़ में से होती हुई जमीन के भीतर पहुंच जाएगी ।

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उन्हीं दिनों प्रोफेसर रिचमैन भी बादलों की बिजली से सम्बन्धित प्रयोग कर रहे थे । उन्होंने बादलों से प्राप्त बिजली का अध्ययन करने के लिए एक उपकरण बनाया । जब बिजली कड़कने वाली थी, तब वे इस उपकरण का निरीक्षण करने गये । वे इस प्रकार खड़े थे कि यह उपकरण उनके सर से लगभग एक फुट ऊपर था । जैसे ही बिजली चमकी, आग का एक नीला गोला उपकरण से निकलकर प्रोफेसर के सिर की ओर आया । इससे पिस्तौल की गोली चलने जैसी आवाज हुई और उपकरण के टुकड़े कमरे में बिखर गए । यहां तक कि कमरे का दरवाजा भी उखड़कर अलग जा गिरा । प्रोफेसर की तुरंत ही मृत्यु हो गई । इसी प्रकार की और भी घटनाएं विश्व में घटित हुई । यह सौभाग्य की बात थी कि अपने प्रयोग के दौरान फ्रैंकलिन बच गए थे ।

सन् १७५३ के बाद अमरीका में भी बहुत से तड़ित चालक बनाए गए । उन दिनों इन्हें फ्रैंकलिन छड़ कहते थे । सन् १७६० में एडिस्टोन लाईट हाउस ऐसी ही छड़ द्वारा सुरक्षित किया गया था । तड़ित चालक बनाने के लिए अक्सर फ्रैंकलिन की सलाह ली जाती थी ।

सन् १७६९ में विशाल भवनों को तड़ित प्रभावों से बचाने के लिए लन्दन में एक कमेटी बनाई गई, जिसके वे प्रमुख सदस्य थे । इसी प्रकार सन् १७७२ में जब इटली का बारूदखाना तड़ित द्वारा नष्ट हो गया तब परफ्लीट में ब्रिटिश बारूदखाने को सुरक्षित रखने के लिए बनाई गई कमेटी में भी फ्रैंकलिन एक सदस्य के रूप में मनोनीत किये गए थे ।

आज भी फ्रैंकलिन के आविष्कार के आधार पर तड़ित चालक बनाए जाते हैं यद्धपि उनका रूप बदल गया है ।

बैंजामिन फ्रैंकलिन एक साबुन और मोमबत्ती निर्माता के पुत्र थे । उनका जन्म १७ जनवरी १७०६ को हुआ था | उनके १७ भाई बहन थे और वे इन बच्चों में १०वें बच्चे थे । वे अमेरिका के सुप्रसिद्ध दार्शनिक और पत्रकार रहे लेकिन शायद वैज्ञानिक के रूप में आज उन्हें अधिक लोग जानते हैं । विद्युत के क्षेत्र में किये गये प्रयोगों के लिए उनका नाम आज भी संसार भर में प्रसिद्ध है ।

बैंजामिन फ्रैंकलिन की दिलचस्पी विज्ञान के क्षेत्र में केवल विद्युत धारा तक ही नहीं थी । वे पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने अंध महासागर में गर्त की धारा की गति का अध्ययन किया । उन्होंने अपना बहुत सारा समय इस धारा के तापमान वेग और गहराई को मापने में लगाया ।

फ्रैंकलिन ने नौसेना अधिकारियों और वैज्ञानिकों को यह दिखाया कि उथल-पुथल वाले सागर को भी मल्लाह लोग इसमें तेल डालकर शांत कर सकते हैं ।

तड़ित चालक के अतिरिक्त और भी अनेक प्रक्रम इस वैज्ञानिक द्वारा विकसित किए गए । फ्रैंकलिन द्वारा विकसित स्टोव कमरों को गर्म करने के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध हुआ । उनका यह स्टोव एक ऐसा उपकरण था, जिसके द्वारा एक चौथाई ईंधन प्रयोग करने पर दुगूनी ऊष्मा पैदा की जा सकती है ।

फ्रैंकलिन ने बाईफोकल नेत्र लैंसों (Bifocal eye glasses) का भी आविष्कार किया । जिन्हें आज अनेक व्यक्तियों द्वारा प्रयोग किया जाता है । इस आविष्कार के आधार पर ऐसे चश्मों पर निर्माण संभव हुआ जिनके द्वारा नजदीक की पुस्तकों को पढ़ना तथा दूर की वस्तुओं को एक साथ देखना संभव हो गया है ।

फ्रैंकलिन ने यह भी सिद्ध किया कि जिन मकानों में रोशनदानों और खिड़कियों की उचित व्यवस्था नहीं होती, वहां रोग तेजी से फैलते हैं । उन्होंने यह भी साबित करके दिखाया कि अम्लीय जमीन को चूने के प्रयोग के द्वारा ठीक किया जा सकता है ।

बैंजामिन फ्रैंकलिन ने अपने आविष्कारों का पेटेंट लेने से सदा ही इन्कार किया । वे इनसे धन कमाने की लालसा नहीं रखते थे । उन्होंने इन आविष्कारों को सदा ही जनहित में प्रयोग किया । उनके इन वैज्ञानिक कार्यों के फलस्वरूप उन्हें बहुत से सम्मान प्राप्त हुए | लन्दन की रॉयल सोसायटी ने उन्हें अपने सदस्य के रूप में सम्मानित किया, जो कॉलोनियों में रहने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए एक दुर्लभ सम्मान था ।

वैज्ञानिक के अतिरिक्त वे एक प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ भी रहे । उन्होंने अमरीका के स्वतंत्रता संग्राम में बहुत बड़ा योगदान दिया । वे उपनिवेशों के उन पांच राजनीतिज्ञों में से एक थे, जिन्होंने ४ जुलाई, १७६६ को प्रसिद्ध घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए थे । इसी से संयुक्त राज्य अमरीका की नींव डली थी ।

एक सुप्रसिद्ध लेखक ने उनके जीवन की दो घटनाओं का उल्लेख करते हुए लिखा है कि ‘जब फ्रैंकलिन ने अपनी पतंग की चाबी को छुआ तो उसे जितना आनंद प्राप्त हुआ संभवतः इतना ही आनंद उसको उस समय प्राप्त हुआ, जब उसने उसी हाथ से अपने देश की चिरविवादग्रस्त स्वतंत्रता पत्र पर हस्ताक्षर किए ।

सन् १७८७ में संयुक्त राज्य अमरीका के संविधान के निर्माण में भी उन्होंने महान योगदान दिया । विज्ञान और राजनीति की सेवा करते हुए इस महान पुरुष की १७ अप्रैल, १७९० में मृत्यु हो गई ।

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