कार्ल जुंग का अद्भुत अनुभव | कार्ल गुस्टाफ युंग । Carl Jung | Carl Jung’s Amazing Experience
अपनी विश्व प्रसिद्ध कृति ‘मेमोरीज, ड्रीम्स, रिफ्लेक्शन्स’ में विश्व प्रसिद्ध तत्वदर्शी, चिंतक तथा मनोवैज्ञानिक कार्ल जुंग । कार्ल गुस्टाफ युंग (Carl Jung) ने अपने एक असाधारण अनुभव का वर्णन इन शब्दों में किया है –
“१९४४ में, एक मामूली-सी दुर्घटना के बाद मुझे दिल का दौरा पड़ गया था तथा डॉक्टरों के अनुसार मेरी मौत नजदीक थी । जब मुझे ऑक्सीजन तथा कपूर के इंजेक्शन दिए जा रहे थे, तब मुझे अनेक विचित्र अनुभव हुए । मैं कह नहीं सकता कि उस समय मैं अचेतावस्था में था या स्वप्नावस्था में, परंतु मुझे यह स्पष्ट अनुभूति हो रही थी कि मैं अंतरिक्ष में लटका हूं तथा अपने से लगभग एक हजार मील, नीचे स्थित यरूशलम नगर को देख रहा हूं । फिर मुझे लगा कि मेरा सूक्ष्म शरीर एक पूजागृह के प्रकाशयुक्त कक्ष में प्रवेश करने वाला है तथा मेरी भेंट उन सब कृतियों से होगी, जिनके शरीर मैं अपने पूर्वजन्मों में धारण कर चुका था । मुझे लग रहा था कि मैं निस्सीम इतिहास का एक खंड हूं तथा अंतरिक्ष में कहीं भी विचरण करने को आजाद हूं । तभी मुझे अपने ऊपर मंडराती एक छाया दिखाई दी, जो वास्तव में मेरे डॉक्टर की थी । मुझे लगा, डॉक्टर मुझसे कह रहे हैं कि फौरन अपने भौतिक शरीर में लौट आओ । जैसे ही मैंने इस आदेश का पालन किया मुझे लगा कि अब मैं आजाद नहीं हूं । तथा मेरा बंदी जीवन फिर से शुरू हो गया है । इस असाधारण अनुभव के कारण जो अंतर्दृष्टि मुझे प्राप्त हुई, उसने मेरे सब संशयों का अंत कर दिया तथा मैंने जान लिया कि जीवन की समाप्ति पर क्या होता है ? “
हिटलर का रहस्यमय स्वप्न | Hitler’s Mysterious Dream
सपने अमूमन सच नहीं होते, किन्तु मनुष्य को सपनों में कभी-कभी अपने भविष्य में होने वाली अप्रत्याशित घटनाओं का पूर्वाभास हो जाता है । जर्मनी के तानाशाह हिटलर को ऐसा ही एक सपना दिखाई दिया, जब वह प्रथम विश्व युद्ध के तृतीय वर्ष में जर्मन सेना में एक वरिष्ठ अधिकारी था ।
बावेरिया प्रदेश तथा फ्रांस की सीमा पर उसे तैनात किया गया था । एक रात को उसे स्वप्न आया जिसमें एक विस्फोट के कारण उसकी छावनी तहस-नहस हो जाती है तथा पिघला हुआ लोहा उसके चारों ओर फैल रहा है । बहता हुआ खून उसकी छाती को स्पर्श कर रहा है । जगने पर उसने देखा कि कहीं कुछ ऐसी घटना नहीं घटी थी । सब कुछ शांत था, फिर भी उसके अचेतन मन ने उसे सचेत कर दिया था । अतः वह अपनी छावनी छोड़कर दुश्मन की छावनी की ओर भागने लगा, तभी उसके अंतर्मन से चेतावनी आई कि वहां जाने की बेवकूफी क्यों कर रहे हो ? दुश्मन तुम्हें गोलियों से भून डालेंगे । इसके बावजूद भी वह किसी अदृश्य शक्ति से खिंचा हुआ अपनी छावनी से काफी दूर निकल गया । ज्यों ही उसने पीछे मुड़कर देखा, तो पाया कि सपना सत्य बन चुका था । दुश्मन की गोलीबारी से छावनी तथा उसके आस-पास के सभी व्यक्तियों, वस्तुओं का सफाया हो चुका था । वही अकेला बचा था, बाकी सब खत्म हो गया था ।