मेडोना की मूर्ति का रोना | Crying Madonna Italy
५० के दशक में “रोने वाली मेडोना” के प्रसंग ने काफी प्रसिद्धि पाई थी । हुआ यह कि सिराक्यूज (इटली) की एंटोनिएटा की शादी १९५३ के बसंत में एजेलो इयानुसो से हो गई । शादी के उपहार स्वरूप एंटोनिएटा को अन्य सामानों के साथ प्लास्टर से बनी मेडोना की एक छोटी मूर्ति भी मिली । देवी मेडोना को उसने अपने शयनकक्ष में सिरहाने एक आले पर रख दिया ।
शादी के कुछ दिन सुखपूर्वक कटे, फिर अचानक एंटोनिएटा बीमार पड़ गई । उसके सिर में भयंकर दर्द आरम्भ हुआ । दर्द बर्दाश्त न कर पाने के कारण एंटोनिएटा रोती रहती तथा मन-ही-मन देवी मेडोना से स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रार्थना किया करती ।
एक सप्ताह बीत गया । एक दिन अचानक एंटोनिएटा की दृष्टि मेडोना पर पड़ी, तो वह हतप्रभ रह गई । मूर्ति की आंखों में आंसू भरे थे । बिस्तर से तनिक सिर उठाकर देखा, तो मालूम हुआ कि मूर्ति के नीचे का आधार भी भीगा हुआ है । घटना आग की तरह फैल गई । पुलिस के कानों में भी बात पड़ी । कुछ अधिकारी आए तथा मूर्ति का सूक्ष्मतापूर्वक निरीक्षण किया ।
जांच के दौरान ऐसा कुछ भी नहीं देखा गया, जिसे संदेहास्पद कहा जा सके । उन्होंने मेडोना की मूर्ति की आंखों को बार-बार पोंछा, पर थोड़ी-थोड़ी देर में आंखें पुनः भर आतीं । अंत में आंसुओं के रासायनिक विश्लेषण के लिए पुलिस मूर्ति को पुलिस स्टेशन उठा लाई । मूर्ति की आंखों में आंसुओं का आना अभी भी जारी था । वह इस कदर तथा इतनी मात्रा में बह रहे थे कि उसे उठाकर ले जाने वाले कर्मचारी की कमीज भीग गई थी ।
आंसुओं के विश्लेषण से ज्ञात हुआ कि वह मानवीय आंसू के समस्त गुणों से युक्त है । इस बीच एक आश्चर्यजनक बात यह देखने में आई कि जब से देवी मेडोना ने रोना प्रारंभ किया था, एंटोनिएटा का स्वास्थ्य सुधरने लगा था । सिर दर्द भी अब असहनीय नहीं रहा था । अंततः कुछ दिनों बाद मूर्ति का विलाप अपने आप बंद हो गया । इसके साथ ही एंटोनिएटा भी पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गई ।