शापग्रस्त राजा | अल्फोन्सो तेरहवां | Cursed King | Alfonso XIII
वह दिखने में सुंदर थे । उनकी आंखें हलकी नीले रंग की थीं । ऐसी आंखें काफी सुंदर मानी जाती हैं, पर लोग उसे पापदृष्टि कहते थे, उसे अभिशप्त मानते थे तथा उससे ऐसे कतराते थे, मानो वह साक्षात् काल हो । कोई न तो उससे मिलना चाहता था और न उसे देखना ही चाहता था । पर क्यों ?
क्योंकि उसके जन्म के समय एक जिप्सी महिला ने भविष्यवाणी की थी कि वह जिसे भी देख लेगा, उसे एक देवता के कोप का शिकार बनना पड़ेगा । यह कोप सर्वनाश से लेकर मृत्यु तक कोई भी रूप धारण कर सकता है ।
अपनी भविष्यवाणी में जिप्सी महिला ने यह भी कहा था कि देवता का श्राप जिंदगी-भर उसके साथ लगा रहेगा । यह शापग्रस्त व्यक्ति था, स्पेन का राजा एल्फोन्सो तेरहवां, जिसकी मृत्यु ५५ साल की आयु में सन् १९४१ में हुई ।
सचमुच बहुत अभागा था वह पैदा भी न हुआ था कि उसके पिता का देहान्त हो गया और जब उसने अच्छी तरह चलना भी न सीखा था, कि स्पेन अपना सारा साम्राज्य गवां बैठा, अमेरिका के साथ हुए दुर्भाग्यपूर्ण युद्ध में ।
उसकी प्रजा, जो जिप्सी की भविष्यवाणी से परिचित थी, उसे “जेत्तातुर” (श्रापित) कहकर पुकारने लगी, तथा उसके दर्शनों से, उसके आदर-सत्कार से दूर भागने लगी । स्पेन में एक कहावत है कि जैत्तातुर (श्रापित) की आंखों में ध्यानपूर्वक देखने पर अपनी परछाई उलटी दिखाई पड़ती है । राजकुमार के जैत्तातुर होने का प्रमाण उस दिन सारे स्पेन को मिल गया, जिस दिन उसको पालने वाली आया ने यह घोषणा की कि उसे राजकुमार की आंखों में अपनी परछाई उलटी दिखाई दी थी । उस समय राजकुमार एल्फोन्सो की उम्र ५ साल की थी ।
सोलह साल की छोटी उम्र में एल्फोन्सो स्पेन का राजा बना । वह एल्फोन्सो राजवंश का राजा बना । वह एल्फोन्सो राजवंश का तेरहवां राजा था । अभिशाप की एक और छाप उसके जीवन पर लग गई ।
२१ साल की उम्र तक उसकी हत्या के ६ प्रयत्न किए गए । वह हर बार मौत के मुंह में जाने से बाल-बाल बचा । दुर्भाग्य ने साथ तब भी न छोड़ा, जब वह पेरिस में फ्रांस के राष्ट्रपति के साथ एक स्वागत समारोह में भाग लेने जा रहा था । किसी ने उस बग्घी के, जिस पर सवार होकर वह तथा फ्रांस के राष्ट्रपति लूवेत जा रहे थे, नीचे बम फेंका । एल्फोन्सो तेरहवां, फिर मरने से बाल-बाल बचा ।
बीस साल की उम्र में उनका विवाह महारानी विक्टोरिया की पोती-बेटनबर्ग की राजकुमारी विक्टोरिया यूजीन के साथ हुआ । इस शुभ अवसर पर भी एक दुर्घटना होते-होते बची | लोग नव दंपती को भेंट-उपहार दे रहे थे, किसी ने उपहार में फूलों का एक गुच्छा दिया, जिसके अंदर बम छिपा था । इस बम के फटने से कई लोग मृत्यु को प्राप्त हुए । अगले दो सालों में उसे जान से मारने के दो जोरदार प्रयत्न और किए गए ।
पहली बार उस पर दो बम गिराए गए, जो अपने लक्ष्य से काफी दूरी पर गिरे । दूसरी बार, जब वह मैड्रिड में एक जुलूस में जा रहा था, तो किसी ने उसे निशाना बनाकर गोलियां चलाई, जो निशाना चूक गया, तथा भीड़ में खड़े लोगों को लगीं ।
इस बार एल्फोन्सो ने आगे बढ़कर अपने दुश्मन का सामना किया तथा अपने घोड़े के पांवों तले रौंदकर उसे जान से मार डाला । अपने हत्यारे की हत्या करने के पश्चात् उन्होंने लोगों से पूछा, “गौर से मेरी तरफ देखिए, क्या मैं सचमुच में जैत्तातुर हूं ? नहीं । आपको विश्वास हो गया न।“ परन्तु किसी को भी विश्वास नहीं हुआ । सब उससे दूर भागते थे । कोई उसे देखने या उसके पास ठहरने को तैयार न होता था ।
रोम में जब एल्फोन्सो एक सिनेमा में गया, तो अन्य दर्शकों के आग्रह पर उसे सिनेमा में तभी घुसने दिया गया, जब सब लोग अपनी-अपनी जगहों पर बैठ गए और फिल्म शुरू हो गई । एक बार जब ऐसा नहीं हुआ तथा एल्फोन्सो बिना रोशनी बुझे हाल में आ गया, तो हाल में बैठी औरतें चीखने-चिल्लाने लगीं तथा पुरुष लोहे की चाबियां बजाने लगे । पर शापित एल्फोन्सो का प्रकोप इतने से ही शांत नहीं हुआ । जब वह इटली की यात्रा करके स्वदेश वापस लौटने लगा, तो उसकी रेल ग्लेनो नामक झील के पानी को रोकने वाले बांध के समीप से गुजरी तथा रेल के गुजरते ही तीस सालों से चुपचाप खड़ा बांध अचानक बिना किसी वजह के फट पड़ा, जिसके कारण पचास से अधिक परिवारों के सदस्य पानी में डूबकर मर गए तथा सैकड़ों बे-घर हो गए ।
इटली की सरकार तथा इतालबी लोग इन आपदाओं को कभी नहीं भूले । इस कारण जब १९३१ में पद से हटने के बाद एल्फोन्सो ने स्पेन छोड़कर रोम में शरण लेनी चाही, तो इटली की सरकार तथा जनता ने इसका कड़ा विरोध किया । उसके पदच्युत होने का कारण यह था कि स्पेन में रिपब्लिकन दल की विजय हो गई थी तथा उसके नेताओं ने उसे स्पेन छोड़ने को मजबूर कर दिया था ।
इटली की सरकार तथा जनता के प्रकट विरोध के बावजूद एल्फोन्सो रोम में मकान लेकर वहां रहने लगा । परन्तु जैसे ही वह बाहर सड़क पर आता था, सड़क लोगों से खाली हो जाती थी । लोगों में उसके प्रति डर अभी भी कम नहीं हुआ । एक बार एल्फोन्सो ने इटली के सर्वेसर्वा मुसोलिनी से मिलने की इच्छा व्यक्त की, पर मुसोलिनी ने उससे मिलने से साफ इनकार कर दिया । इसके बाद एल्फोन्सो को मुसोलिनी को जो भी संदेश भिजवाना होता था, वह अपने दूत के हाथ भिजवाता था ।
एक बार वेनिस के एक प्रसिद्ध व्यक्ति ने उसे अपने यहां भोज पर आमंत्रित किया । साथ में उसने इटली के बीस विख्यात व्यक्तियों को भी बुलाया । खाने के समय सिर्फ एल्फोन्सो उपस्थित था, आमंत्रित बीस व्यक्तियों में से कोई भी नहीं आया । अभागे एल्फोन्सो के चार पुत्रों में एक भी जीवित नहीं रह पाया । एक की मृत्यु कार दुर्घटना में हुई, दूसरा २५ साल की उम्र में चल बसा, तीसरा जेनेवा झील में डूबकर मर गया तथा चौथा भी, जो गूंगा तथा बहरा था, उसके सामने ही मरा ।
स्पेन में विश्वास है कि श्रापित व्यक्ति अपने शाप के बारे में जितनी अधिक बातें करता है, उतना ही अधिक उसके श्राप का कुप्रभाव पड़ता है । इस डर से बेचारा एल्फोन्सो अपने श्रापित जीवन के बारे में किसी से कुछ नहीं कहता था, यद्यपि वह जानता था कि वह सचमुच एक ऐसे भयंकर श्राप से ग्रस्त है, जिससे उसे मरने पर ही छुटकारा मिल सकेगा ।
१९२३ में जब इटली ने यह घोषणा की कि स्पेन का राजा एल्फोन्सो शाही मेहमान के रूप में इटली पधारने वाला है, तो इतालवियों में भय तथा आशंका की एक लहर दौड़ गई । उन्हें लगा, यह शापग्रस्त राजा अपने साथ-साथ दुर्घटनाएं भी लाएगा ।
जैसे ही एल्फोन्सो का जहाज इटली के जेनोआ नामक बंदरगाह के निकट आने लगा, तभी एक भयंकर तूफान ने न जाने कहां से आकर बंदरगाह में खड़ी पांच नावों को डुबो दिया । उन नावों के साथ-साथ उनके चालक भी, जो एल्फोन्सों के स्वागत के लिए प्रस्तुत थे, पानी में डूब गए । बंदरगाह के पास खड़ी एक नई पनडुब्बी में भी अज्ञात कारणों से विस्फोट हुआ । यह पनडुब्बी राजा एल्फोन्सो को दिखाने के लिए वहां खड़ी की गई थी ।
इन दुर्घटनाओं के कारण तट पर उपस्थित दर्शक भागने लगे । जैसे ही स्पेन के जहाज ने बंदरगाह में प्रवेश किया, राजा एल्फोन्सो के सम्मान में तोपों की सलामी दी जाने लगी, परन्तु इस सलामी ने भी तब एक खूनी दुर्घटना का रूप ले लिया, जब पहली बार छूटते ही तोप फट गई तथा उसके आस-पास खड़े एक दर्जन व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त हो गए । एल्फोन्सो की अगवानी के लिए आए हुए उच्चाधिकारी यह विनाशलीला देखकर भय-स्तब्ध भी थे तथा दुखी भी, फिर भी अपना कर्तव्य पूरा करने के उद्देश्य से वे राजा के स्वागत के लिए आगे बढ़े । उनके नेता ने राजा एल्फोन्सो से हाथ मिलाते हुए उसे आश्वस्त किया कि अभी-अभी जो दुर्घटनाएं हुई हैं, उनके लिए वह कतई जिम्मेदार नहीं है । वह सब महज इत्तिफाक है ।
परन्तु उसने इतना ही कहा था कि वह गश खाकर गिर पड़ा तथा फिर कभी होश में नहीं आया । जल्दी ही अस्पताल में उसकी मृत्यु हो गई ।
रास्ते में किसी इतालवी ने नारे लगाकर या तालियां बजाकर एल्फोन्सो का स्वागत नहीं किया उलटे, वे एल्फोन्सो पर लगे श्राप से अपनी सुरक्षा करने के उद्देश्य से लोहे की चाबियां आपस में बजाते रहे । इटली में ऐसा विश्वास है कि लोहे की चाबियां आपस में बजाने से शापग्रस्त व्यक्ति का अभिशाप नहीं लगता ।