मिर्गी झाड़ने का मंत्र | प्रसव आसानी से होने का मंत्र | भूत प्रेत भयनाशक यंत्र | सर्व ग्रह बाधा दूर करने का यंत्र | Epilepsy Mantra | Mantra for easy delivery Bhoot Pret Scary Yantra | Universal Obstacle Remover

मिर्गी झाड़ने का मंत्र | प्रसव आसानी से होने का मंत्र | भूत प्रेत भयनाशक यंत्र | सर्व ग्रह बाधा दूर करने का यंत्र | Epilepsy Mantra | Mantra for easy delivery Bhoot Pret Scary Yantra | Universal Obstacle Remover

मिर्गी मंत्र | मिर्गी का टोटका | मिर्गी झाड़ने का मंत्र


ओम् हाल हलं स्मगत मंड़िका पुड़िया श्रीराम
फुंकै मिरगी वायु सूखे । ओम् ठः ठः स्वाहा ।।

इस मन्त्र को भोजपत्र पर लिखकर किसी ताँबे के यन्त्र में भर कर बाँधने से मिर्गी रोग दूर होता है ।

पेट का शूल का मंत्र | आँव का मंत्र | खून बन्द करने का मंत्र


सागरेर कूले उपजिलो सूल ओर पीभौ पीओ पानी
(अमुके) धूचिलाम रक्त शूल छाडानि जर्मेर आज्ञा ।

मन्त्र में जहाँ अमुक है, वहाँ पर अमुक की जगह रोगी का नाम लेना चाहिये । उपरोक्त मन्त्र को आठ बार पढ़-पढ़ कर पानी में फूँक डाल कर और उस पानी को रोगी को पिलावे ।

प्रसव आसानी से होने का यंत्र | प्रसव आसानी से होने का मंत्र


अस्ति गोदावरी तीरे जम्भला नाम राक्षसी ।
तस्याहः स्मरणमात्रेण विशल्या गर्भिणी भवेत् ।।

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प्रसववेदना से गर्भिणी बहुत परेशान हो तो वट (बरगद) के पत्ते पर ऊपर लिखा यंत्र तथा मन्त्र लिख कर उसके (गर्भिणी) मस्तक पर रखने से सुखपूर्वक प्रसव हो जाता है ।

गंगा तीरे वसेत काशी चरतेय हिमालये ।
तस्याः पक्षच्युतं तोयं तोप पाप येच्चैव तत् क्षारणात् ।।
ततः प्रसूयते नारी काक रुद्रो वचो यथा ।

साँस को रोककर जितनी बार यह मन्त्र जपा जा सके उतनी बार जपकर, गुड़ या गरम जल अथवा गरम दूध को अभिमंत्रित करके गर्भिणी को खिलाने तथा पिलाने से प्रसव में बालक सुखपूर्वक पैदा होगा, परीक्षित है।

नेत्र कष्ट नाशक मंत्र | आंखों में है तकलीफ है तो इन मंत्रों का जप करें


ओम् नमो झलमल जहर नली तलाई अस्ताचल
पर्वत से आई जहाँ जा बैठा हनुमान जाई, फूटे न
पाके करे न पीड़ा यती हनुमन्त की दोहाई ।

नीम की हरी पत्तीदार डाली से सात बार मन्त्र पढ़-पढ़कर झाड़ना चाहिये ।

दुखती आँख अच्छी होने का यंत्र


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स्याही से कागज पर इस यन्त्र को लिख कर दुखती आँख वाले को दिखावे तो दुखती आँख ठीक हो ।

खुरहा रोग मंत्र तथा यंत्र


अर्जुन फलानी जिस्न सेत बाजी कपिध्वज,
गिरउ विकामुक पार्थैव सव्यसाची धनंजयः
इति अर्जुन दश नामानि पशु पीड़ा हराणि च ।

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नीम की डाली से मन्त्र द्वारा (मन्त्र पढ़ कर) झाड़ना चाहिये । इस यन्त्र को लिखकर पशु के गले में बाँधने से खुरहा रोग दूर होता है ।

भूत प्रेत भयनाशक यंत्र


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इस यंत्र को गोरोचन से भोजपत्र पर लिखकर गले में बाँधने से भूत-प्रेत की बाधा आदि दूर होते हैं और भय नहीं लगता है ।

सर्व ग्रह बाधा दूर करने का यंत्र


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लालचन्दन को गाय के दही में मिला कर स्वर्ण की लेखनी (कलम) से ग्यारह सौ बिल्व पत्रों पर इस यन्त्र को लिखकर अग्नि में हवन करे, सर्व अरिष्ट ग्रह बाधा दूर हो । परीक्षित है।

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