मादक द्रव्य व्यसन को समझाइए | Hemp | Cannabis Sativa | Charas | Heroin Drug | Crack Cocaine | Brown Sugar | Cocaine | Rox | Speed Drug

मादक द्रव्य व्यसन को समझाइए | Hemp | Cannabis Sativa | Charas | Heroin Drug | Crack Cocaine | Brown Sugar | Cocaine | Rox | Speed Drug

मादक द्रव्य व्यसन को समझाइए | भांग क्या होती है | गांजा क्या होती है । चरस क्या होती है | हेरोइन ड्रग । क्रैक | ब्राउन शुगर ड्रग्स | कोकीन ड्रग | रॉक्स ड्रग | आइस ड्रग्स

मादक-द्रव्यों का व्यसन जड़ी-बूटियों और उनसे तैयार किये गये पदार्थों के ऐसे विवेकहीन इस्तमाल की अवस्था है जिसके कारण व्यसनी व्यक्ति उन पदार्थों का दास हो जाता है ।

मादक-द्रव्यों का सेवन मानव जाति के लिए कोई नयी बात नहीं है, आज मादक-द्रव्यों का प्रयोग जिस अविवेकपूर्ण रीति से तथा जितने बड़े पैमाने पर हो रहा है, उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी । मादक द्रव्यों के व्यसन ने मनुष्य को मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करने के बजाय उसे विनाश के गर्त में धकेल दिया है । यह विनाश शारीरिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और आध्यात्मिक अर्थात् सभी स्तरों पर मनुष्य की शक्ति, बुद्धि और चेतना का संपूर्ण विनाश है । मादक द्रव्यों ने मानव जाति को विनाश की जिस दिशा में धकेल दिया है, उसकी भीषणता को पूरी तरह समझने के लिए प्रमुख मादक-द्रव्यों, उनके निर्माण की प्रक्रियाओं, उनके उत्पादन क्षेत्रों, आदि का अध्ययन करना होगा ।

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भांग क्या होती है | गांजे क्या होता है । चरस क्या होती है | Hemp | Cannabis Sativa | Charas


मादक द्रव्यों का व्यापार भांग और गांजा से शुरू हुआ । भांग का पौधा अर्थात् कैनेबिस (Cannabis Sativa) अथवा हैम्प (Hemp) संभवतः मध्य एशिया-मूल का पौधा है, विशेषतः सोवियत संघ और चीन के तर्किस्तान क्षेत्र का । वहां से यह पौधा संसार के अन्य भागों में फैल गया, जिनमें भारत के पहाड़ी क्षेत्र भी शामिल हैं । हिमालय से शुरू होकर यह पौधा दक्षिण में पश्चिमी घाट तक फैल गया । भारत में इस पौधे के उत्पादनों का प्रयोग हजारों वर्षों से किया जाता रहा है । इसकी पत्तियों को भांग (पश्चिम में मेरी जेन अथवा मारिजुआना – Marijuana ) मारिजुआना ड्रग कहा जाता है ।

भारत में भांग का प्रयोग मानसिक गिरावट को समाप्त करने और खुलकर भूख लगाने के लिए किया जाता रहा है तथा मनुष्यों पर उसके मनोवैज्ञानिक तथा शारीरिक प्रभावों, जैसे-उन्मेष, उत्साह और आत्मगौरव की भावना के कारण उसको आदर मिलता रहा है ।

भांग के पौधे के उस ऊपरी भाग को सुखाकर धूम्रपान के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें फूल खिलते हैं । प्रत्येक स्वस्थ पौधे से लगभग एक किलोग्राम सूखा गांजा (Cannabis) प्राप्त होता है, जिसका मूल्य कई हजार रुपये से कम नहीं होता । इसका अर्थ यह है कि इसकी खेती से प्रति हेक्टेयर ९० लाख रुपये की आमदनी होती है । नीला गांजा सर्वश्रेष्ठ माना जाता है । यह पौधे के नीले और हरे फलों से तैयार किया जाता है । पश्चिम में गांजे को भी मारिजुआना ड्रग ही कहा जाता है ।

भांग के पौधे से प्राप्त होने वाला तीसरा तथा सबसे अधिक तेज मादक द्रव्य चरस (Charas) है, जिसे पश्चिम में हशीश (हशीश ड्रग) Hashish कहा जाता है । भांग की हरी पत्तियों को मसलने से जो राल जैसा पदार्थ प्राप्त होता है, वही चरस है ।

हेरोइन ड्रग । Heroin Drug


हेरोइन अफीम (Opium) से तैयार की जाती है । अफीम के प्रशोधन की चार अवस्थाएं हैं-मार्फीन (Morphine), मार्फीन-हाइड्रोक्लोराइड, ब्राउन शुगर (Brown Sugar) और हेरोइन (Heroin) । इस प्रकार हेरोइन अफीम की चौथी अथवा शुद्धतम अवस्था है ।

अफीम के सत पर एसिटिक और हाइड्राइड की रासायनिक प्रक्रिया द्वारा हेरोइन तैयार की जाती है । १०० किलोग्राम अफीम से १० किलोग्राम हेरोइन तैयार होती है । गहरे नशे के लिए हेरोइन का इंजेक्शन धमनियों में लगाया जाता है । हेरोइन के व्यसनी प्रायः स्वयं ही इंजेक्शन लगा लेते हैं । इस कार्य के लिए हलकी हेरोइन की आवश्यकता होती है । बर्मा, थाईदेश, लाओस की हेरोइन शुद्ध तथा सघन होती है, अतः न्यूयार्क, बोस्टन तथा अन्य शहरों में धूम्रपान के लिए उसे ही इस्तेमाल किया जाता है । इन जगहो की हेरोइन के भाव महंगे हैं । उसकी ०.०५ ग्राम की एक थैली नब्बे डॉलर में मिलती है । यह चायना व्हाइट (China White) के नाम से प्रसिद्ध है ।

क्रैक । Crack Cocaine


प्रायः ऐसा मान लिया गया था कि कोकीन और क्रैक मिलकर हेरोइन को बाजार में से खदेड़ देंगे । उनके कारण शुरू में हेरोइन की खपत में कमी आयी भी, लेकिन क्रैंक के प्रयोग में एक ऐसी अवस्था आ जाती है, जब उससे नशा चढ़ना बंद हो जाता है। यही कारण है कि अमरीका में कोकीन या क्रैक के व्यसनी फिर से हेरोइन का प्रयोग करने लगे हैं । हेरोइन को आमतौर पर स्मैक (स्मैक ड्रग्स) भी कहा जाता है । भारत में इसका प्रयोग सन् १९८० के आसपास शुरू हुआ । अब तो भारत भी पूरी तरह से स्मैक का शिकार हो चुका है ।

कोकीन में से एक सस्ता और अत्यंत उग्र मादक द्रव्य-क्रैक निकाला जाता है । क्रैक अपने आप में एक अनूठा और घातक मादक-द्रव्य है। फ्लोरिडा के डेड परगने की पुलिस की अपराध (हत्या) शाखा का कमांडर वेन मैक्कार्थी सन् १९८४ में संयुक्त राज्य अमरीका पर क्रैक के प्रथम आक्रमण के समय से ही क्रैक और उसके घातक प्रभावों के विरुद्ध संघर्ष कर रहा है । वह कहता है, “क्रैक सबसे खराब मादक-द्रव्य है । क्रैक अथवा कोकीन का इस्तेमाल करने वालों में से एक भी व्यक्ति यह दावा नहीं कर सकता कि वह मनोरंजन के लिए ऐसा कर रहा है । उन सभी को उसकी बुरी लत पड़ जाती है और वे उसके दास बन जाते हैं । युवा वर्ग के लोग तो उसे प्राप्त करने के लिए हत्या करने तक को उद्यत रहते हैं । “

ब्राउन शुगर ड्रग्स | Brown Sugar


ब्राउन शुगर अथवा डाई-एसीटोन मार्फिन, अफीम की तीसरी अवस्था है । अफीम से निकाली गयी मार्फीन को एसिटाइलीकरण की प्रक्रिया द्वारा ब्राउन शुगर में बदल लिया जाता है । व्यापारी प्राय: इसे ग्लुकोज़, चावल के पाउडर तथा कभी-कभी तो सीमेंट मिलाकर भी बेचते हैं । प्रायः ब्राउन शुगर का एक बार का धूम्रपान ७ या ८ घंटे के लिए नशा बनाये रखता है । ब्राउन शुगर का नशा बहुत तेजी से व्यसन का रूप ग्रहण कर लेता है, अर्थात् दो बार के प्रयोग में ही और जब व्यसनी को ब्राउन शुगर नहीं मिल पाती तो उसके बिना उसे बहुत पीड़ा होती है – शरीर में भयंकर दर्द, घबराहट, पसीना, पेडू में असह्य वेदना और मस्तिष्क की संपूर्ण निष्क्रियता ।

ब्राउन शुगर आमतौर पर धूम्रपान के काम आती है । ब्राउन शुगर का आधा ग्राम पाउडर एल्युमिनियम की पन्नी पर डाल दिया जाता है तथा उसे दियासलाई की सींक जलाकर जब नीचे से गर्म किया जाता है तो उसमें से धुआं उठता है, जिसे एल्यूमिनियम की पन्नी की पोली नली द्वारा पिया जाता है ।

कोकीन ड्रग । Cocaine


सन् १८८० में पहली बार लातीनी अमरीका की एंडीज़ पर्वत श्रृंखला के जंगली पौधे कोका की लुगदी से कोकीन तैयार की गयी थी तथा आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में उसे एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि माना गया था । प्रारंभ में उसका उपयोग आंख की शल्यक्रिया के लिए किया गया था, बाद में नाक और गले की शल्यक्रिया के लिए भी उसका प्रयोग किया जाने लगा ।

कोकीन में यह गुण है कि वह तंतुओं को सुन्न कर देता है तथा कोशिकाओं को सिकोड़ देता है, जिसके फलस्वरूप रक्तस्राव अधिक नहीं हो पाता । कोका से शुद्ध कोकीन निकालने वाले जर्मन औषधि-निर्माताओं को स्वप्न में भी कल्पना न थी कि उनके द्वारा की गयी इस खोज के परिणामस्वरूप किसी दिन अवैध मादक द्रव्य-व्यापार का साम्राज्य विश्व भर में तथा विशेषतः समूचे अमरीका, महाद्वीप पर फैल जायेगा ।

कोकीन ने पश्चिमी जगत में गांजे, चरस और हेरोइन का स्थान ले लिया तथा वह सन् १९९० के दशक का सबसे अधिक मुनाफा देने वाला बड़े पैमाने का उत्पाद बन गया । भांग, गांजा, चरस और अफीम तथा हेरोइन का प्रयोग विश्व के अनेक भागों में बहुत पुराने समय से होता आया है, इसके विपरीत कोकीन मादक-द्रव्य जगत में अपेक्षाकृत नया है । सन् १९८७ में संसार भर में कोकीन की अपेक्षा भांग का उत्पादन ३३ गुना और अफीम का चार गुना था । कोकीन के व्यापक उपयोग के पीछे अनेक कारण रहे हैं – उत्पादन की सुगमता, कोका-लुगदी को कोकीन में बदलने तथा उसके मूल्य में अनंलगुना वृद्धि और कोकीन के उत्पादन क्षेत्र अर्थात् एंडीज़ पर्वत श्रृंखला वाले देशों-मुख्यतः कोलंबिया, पेरू और बोलीविया से संयुक्त राज्य अंमरीका के बाजारों की समीपता । कोकीन के व्यापार में कल्पनातीत वृद्धि का एक कारण यह भी है कि यह गांजे और चरस की अपेक्षा कम जगह घेरती है । अतः इसका परिवहन अपेक्षाकृत सुगमतर होता है ।

मादक द्रव्यों के अमरीकी व्यसनियों में कोकीन इस गलत धारणावश प्रचलित हुई कि यह स्वास्थ्य की दृष्टि से हेरोइन की अपेक्षा कम हानिकारक होती है । कोकीन के प्रयोग से मादक-द्रव्यों के व्यसन की समस्या और हो गयी है । कोकीन उत्पादन की प्रक्रिया कोका पत्तियों को पानी में गलाकर उनकी लुगदी तैयार करने से शुरू होती है । प्रयोगशालाओं में इस लुगदी पर रासायनिक प्रक्रियाएं की जाती हैं । इसके लिए प्रमुखतः ईथाइल ईथर (Ethyl Ether) और पोटेशियम परमैंगनेट (Potassium permanganate) का इस्तेमाल होता है । कोकीन लुगदी को सफेद हाइड्रोक्लोराइड पाउडर में रूपांतरित करने की अंतिम प्रक्रिया में ईथाइल ईथर का प्रयोग अनिवार्य होता है ।

रॉक्स ड्रग । Rox


क्रैक के टुकड़े रॉक्स कहलाते हैं । उसका नशा बहुत थोड़े समय रहता है । अतः उसका सेवन थोड़े-थोड़े अंतराल पर करना पड़ता है और उससे व्यसनी की मनःस्थिति में उग्र परिवर्तन आते हैं । क्रैक ने मादक द्रव्य-परिप्रेक्ष्य को बदल डाला है । डैट्रॉयट पुलिस का कमांडर वारेन हैरिस कहता है, “हेरोइन का सेवन करने वाले लोगों में हिंसापूर्ण अपराध की यह प्रवृत्ति नहीं होती थी । क्रैक तो तुरंत आवेश और उत्तेजना भर देती है । उसका प्रयोग कर लेने पर व्यसनी अधिक सक्रिय, आक्रामक और हिंसक हो उठता है ।”

आइस ड्रग्स


क्रैक की अपेक्षा आइस और भी अधिक घातक मादक द्रव्य है । आइस कोई नया मादक द्रव्य नहीं है, वरन् वह एक पुराने मादक द्रव्य क्रिस्टल मैथ अथवा क्रिस्टलाइज्ड मेथमफेटामाइन (Methamphetamine) का ऐसा रूप है, जिसे धूम्रपान के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है । आइस के निर्माण में बुनियादी तत्त्व एफिड्रीन, लाल फॉसफोरस और हाइड्रियोडिक एसिड हैं । वह एम्फेटामीन की सबसे अधिक उग्र किस्म है । क्रिस्टल मैथ सन् १९६० और सन् १९७० के दशकों में प्रचलन में आया तथा ‘स्पीड’ (Speed Drug) के नाम से मशहूर हुआ । उस समय वह गोली अथवा इंजेक्शन के रूप में इस्तेमाल किया जाता था । धूम्रपान के लिए बने विशेष किस्म के क्रिस्टल मेथ को आइस कहा गया । आइस की बिक्री पहले-पहल सन् १९८९ में हवाई द्वीप पर शुरू की गयी । आइस के एक सैलोफेन-पैकेट का दाम ५०० डॉलर होता है, जिसमें लगभग एक ग्राम का दसवां अंश आइस होता है, जिसका एक अथवा दो बार सेवन किया जा सकता है ।

आइस का धूम्रपान आठ घंटे में एक बार करना आवश्यक होता है, जबकि क्रैक की अवधि केवल ३० मिनट है । क्रैक की तरह आइस भी दो-तीन बार सेवन करने पर अपना व्यसनी बना लेता है तथा उसके समान ही मानसिक गिरावट, दूसरों के प्रति शंकाल तथा मांसपेशियों में सिकुड़न पैदा करता है । सन् १९६०के दशक में ‘स्पीड’ का निर्माण ‘हेल्स एंजिल्स’ नामक मोटर साइकिल सवार गिरोह ने किया था ।

हवाई में आइस सबसे प्रमुख मादक द्रव्य बन गया है, वहां इसे तस्करी द्वारा दक्षिण कोरिया और फिलिपींस से लाया जाता है । संयुक्त राज्य अमरीका में इसका उत्पादन मुख्यतः कैलिफोर्निया, ओरेगन और टैक्सास राज्यों में होता है ।

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