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जैन साधना के सिद्ध मंत्र | जैन मंत्र
Jain Mantra | Jainism Mantras
जैन धर्म में मंत्र, तंत्र, यंत्र विद्या बहुत विस्तार से वर्णित है । णमोंकार महामंत्र जैन धर्म का मूल आधार है । जैन ग्रंथों में णमोंकार कल्प, लघुविद्यानुवाद, भैरव पद्मावती कल्प, ज्वालामालिनी कल्प, चक्रेश्वरी कल्प, भक्तांबर स्तोत्र कल्प, कल्याण मंदिर स्तोत्र, उपसर्गहर स्तोत्र इत्यादि उल्लेखनीय हैं । जैन धर्म का मूल आधार है णमोंकार महामंत्र, अर्थात्
णमों अरिहंताणं
णमों सिद्धाणं
णमों आयरियाणं
णमों उवज्जझायाणं
णमों लोए सव्वसाहूणं
अनादि निधन ण्मकार महामंत्र की महिमा अचित्य है। इस मंत्र का स्मरण करने से सब प्रकार के कष्ट दूर होते हैं। इसे मंत्र का मानसिक शांति के लिए, आध्यात्मिक उन्नति, आर्थिक लाभ, रोग निवारण, अंततः साधना के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचने में अत्यंत प्रभावशाली है। यदि जीवन में उन्नति के लिए णमोकार महामंत्र को आधार स्तंभ बना दिया जाए, तो यह मंत्र हर प्रकार के भौतिक और आत्मिक सुख दे सकता है । असंभव कार्य इस महामत्र की साधना से पूर्ण हो जाते है |
इस महामंत्र को प्रतिदिन १०८ बार पूर्व या उतर दिशा की तरफ मुख करके मानसिक जप करना चाहिए ।
किसी कार्य से पहले २७ बार पढ़कर कार्य करें, तो अवश्य सफलता मिलेगी
णमोंकार महामंत्र के अनेक प्रयोगों में से कुछ प्रमुख प्रयोग हैं, जो दैनिक जीवन में उपयोग आनेवाले हैं | इन्हें हम यहां प्रस्तुत का रहे हैं।
लक्ष्मी प्राप्ति मंत्र
ॐ णमों अरिहंताणं,
ऊं णमों सिद्धाणं,
ॐ णमों आयरिया्णं,
ॐ णमों उवज्ञ्झायाणं,
ॐ णमो लेए सव्वसाहूणं ।
ॐ हां हीं हूं हौ ह: नमः स्वाहा ।
णमों लोए सव्वसाहूणं
प्रतिदिन इस मंत्र को १०८ बार जाप करे, तो यह लक्ष्मी प्राप्ति में अटूट मंत्र है
ॐ ह्रीं हूं णमों अरिहंताणं हूं नमः।
इस मंत्र का प्रतिदिन पूर्व दिशा की तरफ मुख करके जाप करें, तो लक्ष्मी लाभ अवश्य होता है ।
नवग्रह शांति मंत्र
ऊ हां हीं हूँ हौ हुःअसि आ उ सा नमः मम सर्व विघ्नं शांति कुरु कुरु स्वाहा ।
इस मंत्र का सवा लाख जाप करने से ग्रह पीड़ा दूर होती है । क्रूर ग्रह शांत हो जाते हैं।
फिर एक माला का रोज जाप करें ।
वशीकरण मंत्र
ऊ हीं णमों अरिहंताणं, ॐ ह्रीं णमों सिद्धाणं, ऊं ही णामों आयरियाणं,
ॐ णमों उवज्ज्झायाणं, ॐ ह्रीं णमों लोए सव्वसाहूणं (अमुकं) मम वश्यं कुरु कुरु स्वाहा ।
इस मंत्र को २१ बार पढ़े । अमुकं के स्थान पर उस व्यक्ति का नाम लिख लें, जिसका वशीकरण करना है ।
रोग निवारण मंत्र
ॐ णामों पार्श्वनाथाय ही णमों धरणैन्द्र पद्मावती नमों नमः ।
इस मंत्र की २१ दिन तक १०८ बार प्रातः पूर्व दिशा की ओर मुख करके, पीला वस्त्र पहनकर जाप करें, तो अवश्य रोग निवारण होता है ।
सर्व कार्य सिद्धि दायक मंत्र
ॐ नमों भगवती पद्मावती, सर्वजन मोहनी, सर्व कार्य करणी मम विकट संकट हरणी, मम मनोरथ पूरणी, मम चिंता चूरणी ऊ नमो पद्मावत्यै नमः स्वाहा ।।
यह मंत्र अटूट, सर्वसिद्धिदायक, उपद्रवनाशक जैन धर्म की अधिष्ठात्री देवी पद्मावती का मंत्र है । इस मंत्र का प्रतिदिन १०८ बार जाप करने से तुरंत लाभ होता है।
उक्त मंत्रों की साधना में यदि शुद्ध शाकाहारी भोजन का प्रयोग करें, तो शीघ्र लाभ होगा।