जेरिको परिचय | जेरिको के बारे में | Jericho | Jericho Facts And History

जेरिको परिचय | जेरिको के बारे में |Jericho | Jericho Facts And History

बाइबिल में “जेरिको” का उल्लेख “ताड़-वृक्षों के नगर” के रूप में मिलता है । इस नगर के बारे में मूल जानकारी जोशुआ (Joshua)की पुस्तक (The Book of Joshua) में है । नगर से संबंधित पौराणिक कथा इस प्रकार है कि मूसा (Moses) के नेतृत्व में इजरायल के लोगों को नदी और रेगिस्तान के पार जाना था । लेकिन दुर्भाग्यवश मार्ग में ही मूसा की मृत्यु हो गयी । यह अधूरा काम उनके उत्तराधिकारी जोशुआ (Joshua) ने पूरा किया । जोशुआ (Joshua) ने इजरायल के लोगों को रेगिस्तान से निकाला और सबसे पहले जिस नगर को उन्होंने उजाड़ा, वह जेरिको ही था । इस नगर को पूरी तरह से जला दिया गया और इसकी विशाल दीवारें भी गिरा दी गई। इस कथा का बाइबिल में भी वर्णन है ।

इस वर्णन से प्रेरणा लेकर १९वीं शताब्दी के अन्त में कुछ पुरातत्त्ववेत्ता जेरिको नगर की खोज में निकले । अनेक वर्षों की खुदाई के बाद उन्हें इस काम में सफलता मिली । उन्हें मिट्टी से ढकी हुई ८,००० वर्ष पुरानी मानव-खोपड़ियां मिलीं । इन खोपड़ियों में आंखों के स्थान पर सीपियां थीं । फिर भी पुरातत्त्ववेत्ता आज तक उन शाही दीवारों को खोजने में असफल रहे हैं, जिन्हें जोशुआ ने नष्ट किया था । अब यह मान लिया गया है कि संभवतः भूमि कटाव ने उन्हें पूरी तरह से मिट्टी में मिला दिया है ।

Jericho

मुख्य नगर से कुछ दूर, टेल-एस-सुल्तान (Tell es Sultan) में ब्रिटिश पुरातत्त्ववेत्ता डॉ. कैथलीन केन्योन (Kathlean Kenyon) ने सन् १९५८ में कुछ आश्चर्यजनक तथ्य खोज निकाले । उन्हें वहां कुछ दीवारें मिलीं । पुरातत्त्वशास्त्रीय परीक्षणों के बाद इन दीवारों को ७,००० ई.पू. निर्मित पाया गया । इस खोज ने वर्तमान सिद्धांतों को एक नयी दृष्टि प्रदान की । इससे यह सिद्ध हो गया कि जोशुआ ने जेरिको नगर को कांस्य युग में यानि १४०० से २५०० ई.पू. के बीच उजाड़ा होगा और इस प्रकार उसने कम से कम ६,००० वर्ष पुराने नगर को जीता और पूर्णतः नष्ट किया होगा । इस नगर के सूक्ष्म परीक्षण ने पूर्ण रूप से यह सिद्ध कर दिया कि सबसे पहली सभ्यता सुमेरिया के बजाय निश्चय ही इसी नगर में जन्मी होगी ।

जेरिको नगर के अवशेषों का संबंध मध्यपाषाण युग से है । इसका अर्थ यह हुआ कि यह संस्कृति पूर्वपाषाण युग तथा नवपाषाण युग के बीच वाले दौर में जन्मी थी । उस समय इस संस्कृति का बहुत अधिक विस्तार नहीं हुआ था, इसलिए इसे अक्सर जेरिको के निकट स्थित वादी-अल-नातूफ (Wadiel Natuf) नगर के नाम के आधार पर नातफी के नाम से जाना जाता था । वहां पर पाये गये भवनों के अवशेष मंदिरों जैसे प्रतीत होते हैं । उन अवशेषों को देखकर लगता है कि इन भवनों को जला दिया गया होगा । इनकी खुदाई में मूसल और दरांतियां पायी गयी हैं । मूसल खुरदुरे पत्थर के हैं, जो एक ओर से कटे हुए हैं । ऐसा लगता है कि इनका प्रयोग अनाज कूटने के लिए किया जाता होगा । दरांतियां छोटे-छोटे सख्त पत्थरों की हैं । इनका प्रयोग अपेक्षाकृत सख्त वस्तुओं को काटने के लिए किया जाता होगा ।

जहां तक यहां के वासियों के मुख्य व्यवसाय का संबंध है, खुदाई में निकली सभी वस्तुएं इसी ओर संकेत करती हैं कि जेरिको के लोग किसान थे । साक्ष्यों से ज्ञात होता है कि वहां मुख्यतः अनाज ही की खेती होती थी, जिसमें जौं और गेहूं प्रमुख थे ।

कुछ समय बाद ८८०० ई.पू. के लगभग लोगों ने गोलाकार घरों में रहना आरंभ कर दिया । ये घर मिट्टी की ईंटों के बने हुए थे । इनके फर्श भूमि में धंसे हुए थे और एक प्रकार के महीन प्लास्टर (Stucco) से ढके हुए थे । ६५०० ई.पू. से गोलाकार घरों का स्थान आयताकार मकानों ने ले लिया । ये गोलाकार के मकानों की तुलना में अधिक विकसित थे । मिट्टी की ईंटों का प्रयोग अभी भी हो रहा था, लेकिन अब वे चपटी बनायी जाने लगीं थीं और उनमें गारा (Mortar) भरने के लिए उन्हें अंगूठे से दबाया जाने लगा था । फर्श और दीवारों को भी सख्त चूने और गारे से ढका जाने लगा ।

भौतिक सम्पदा में वृद्धि होने के साथ ही जेरिको के लोगों ने अपने नगर की रक्षा के लिए इसके चारों ओर एक खाई खोदी । उन्होंने नगर के चारों ओर ४०,००० वर्गमीटर क्षेत्र में पत्थर की ऊंची-ऊंची दीवारों का निर्माण भी किया । संभवतः ये वही दीवारें थीं, जिनका बाइबिल में उल्लेख मिलता है । इन दीवारों के अतिरिक्त वहां के लोगों ने सुरक्षा-किलो का भी निर्माण किया । उनमें से कुछ तो १० मीटर (३३ फुट) तक ऊंचे थे ।

वास्तव में जेरिको के लोग काफी वैभवपूर्ण जीवन व्यतीत कर रहे थे । जब कोई समुदाय धन-संपत्ति जमा कर लेता है तो उस पर आसपास के समुदायों की बुरी नजर पड़ना स्वाभाविक ही है । पुरातत्त्ववेत्ताओं का विचार है कि बाहरी शक्तियों के आक्रमण के भय से ही उन लोगों ने अपने क्षेत्र की किलेबंदी की थी और बाइबिल के अनुसार उन पर जोशुआ द्वारा आक्रमण भी किया गया । इस नगर की विशाल दीवारों के जलने के साथ ही मानों यह संपूर्ण सभ्यता ही जल गयी । दरअसल, इस सभ्यता के अस्तित्व का एकमात्र प्रमाण ये दीवारें ही थीं ।

उस समय तक यहां के लोग लेखन- कला का विकास नहीं कर पाये थे । किसी भी प्रकार की लिखित सामग्री के अभाव में यह अनुमान ही लगाया जा सका है कि यहां के लोग धरती माता की पूजा करते थे, खुदाई में धरती माता की काफी मूर्तियां पायी गयी हैं । मिट्टी की कुछ ऐसी मूर्तियां भी मिली हैं, जो पशुओं की आकृतियों के समान हैं । इससे संकेत मिलता है कि पशुओं की भी यहां किसी-न-किसी रूप में पूजा होती होगी । जहां तक पायी गयी असंख्य मानव खोपड़ियों का संबंध है, पुरातत्त्ववेत्ताओं ने यह प्रश्न अनसुलझा ही छोड़ दिया है । ये खोपड़ियां किसी युद्ध का परिणाम भी हो सकती हैं और देवताओं के सम्मुख दी गयी बलियों का परिणाम भी ।

फिर भी इसमें कोई संदेह नहीं है कि जेरिको ही वह प्रथम सुसंगठित नगर था, जिसका एक अपना सामाजिक और धार्मिक जीवन था ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *