कबीर के दोहे | Kabir Ke Dohe
कबीर के दोहे का संकलन | Kabir Ke Dohe Ka Sankalan
हिन्दू कहो तो हूँ नही
हिन्दू कहो तो हूँ नही, मुसलमान भी नाहि |पाँच तत्व का पुतला, गैबी खेले माहि ||
सद्गुरु कबीर साहब सबके हुए, उनका संदेश, उनकी शिक्षा, विश्व मानव के लिए था | किसी जाती विशेष के लिए नही, किसी संप्रदाए विशेष के लिए नही, किसी एक वर्ग विशेष के लिए नही | इस पंक्ति मे उन्होने ये स्पष्ट कहा है |
FAQ`s
Questation : कबीर के दोहे धर्म पर कौन-कौन से है ?
Answer : वैसे तो कबीर ने बहुत से दोहे लिखे है, पर मुख्यत: और प्रसिद्ध दोहे इस प्रकार से है :
हिन्दू कहो तो हूँ नहीजहाँ दया तहँ धर्म है
राम रहीमा एक है
Questation : पाखंड पर कबीर के दोहे कौन-कौन से है ?
Answer : वैसे तो कबीर ने बहुत से दोहे लिखे है, पर मुख्यत: और प्रसिद्ध दोहे इस प्रकार से है :
कौन तुम्हारा नामऐसा कोई ना मिले
कामी क्रोधी लालची
माला तौ कर में फिरै
अलख इलाही एक है
पाहन पूजे हरि मिलें
Questation : कबीर के कर्म के दोहे क्या है ?
Answer : वैसे तो कबीर ने बहुत से दोहे लिखे है, पर मुख्यत: और प्रसिद्ध दोहे इस प्रकार से है :
मनिषा जनम दुर्लभ हैजब गुण कौ गाहक मिलै
Questation : कबीर के दोहे मित्रता पर कौन-कौन से है ?
Answer : वैसे तो कबीर ने बहुत से दोहे लिखे है, पर मुख्यत: और प्रसिद्ध दोहे इस प्रकार से है :
निन्दक नियरे राखियेसाखी आँखी ज्ञान की