कार्तिक पूर्णिमा की कहानी | Kartik Purnima Ki Katha

Kartik Purnima Ki Katha

कार्तिक पूर्णिमा की कहानी | Kartik Purnima Ki Katha

इस दिन महादेव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का संहार किया था । इसलिए इसे त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहते हैं । इस तिथि का विशेष महत्व है । इस दिन यदि कृतिका नक्षत्र हो तो महाकार्तिकी होती है, भरणी होने से विशेष फल देती है । रोहिणी होने पर इसका महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है ।

ब्रह्मा, विष्णु, महेश, त्रिदेवों ने इसे महापुनीत पर्व कहा है ।

इस दिन अगर कृतिका नक्षत्र पर चन्द्रमा हो और विशाखा नक्षत्र पर सूर्य हो तो पद्म योग होता है, जिसका बहुत बड़ा महत्व है । इस दिन चन्द्रोदय पर शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूइया और क्षमा कृतिकाओं का पूजन और वन्दना करने से संभूत पुण्य फल मिलता है ।

रात्रि में व्रतोपरांत वृषदान करने से शिवलोक की प्राप्ति होती है । सिखों के गुरु नानक का जन्म भी कार्तिक पूर्णिमा को हुआ था । अतः इस दिन गुरु नानक जयंती भी मनाई जाती है ।

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