कार्तिक चौथ माता की कहानी | करवा चौथ माता की कहानी | Karva Chauth Ki Katha

कार्तिक चौथ माता की कहानी | करवा चौथ माता की कहानी | Karva Chauth Ki Katha

एक साहुकार हो बीक सात बेटा हा एक बेटी ही काती बदी चौथ आयी। सगली भोजाइयां चौथ को बरत करी। नणद भी करी। शाम का भाई आया शिटटा ( बाजरी का) फल्यां, भूटटा, काचरा ल्यायां | भाई बोल्या आ बाई भूटटा सेकांखा। बेन बोली भाई आज म्हारे चौथ को बरत हैं। भाई बोल्या बाई कणा जीमी । बेन बोली भाई चांद दिखयाऊं जीमू ।

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एक भाई घास को पोलो ले गयो एक भाई अंगार लगाई ,एक भाई चालणी लियो एक भाई बेन बुलावण आयो चाल बाई चांद दिख । बा भोजाईयां न बुलाई आवो चांद दिख । भोजायां बोली म्हाको चांद तो चार घडी़ निकल्या पछ दिखी ओ थांको चांद है |म्हे कोनी आवां थे जावो । बेन चालणी म चांद देखर भटटा, फल्यां खार बरत भान लियो । थोडी सी देर हुवी बीको धणी परलोक सिधारग्यो ।

सासराऊँ बुलावो आयो। मां बोली बाई थारा भाग म ऐई लिख्या हैं । कपडा निकालण न लागी तो काला नीला निकल्या । मां बोली बांई तू जावे है पण जो भी रास्ता म मिल बीक पगा लागती जाईजे बा पीर सू निकली और रास्त म जो भी मिल्यो बीक पगां लागती गयी । लुगायां बोली धणी तो मरयोडो़ पडयो हैं कांई पगां लाग ? छे महिना की एक जेठूती पालणा म सूती ही । बीक वा पगां लागी तो वा बोली “सीलो हो सपूती हो बूढ़ सवागण्ण हो सात बेटा की मां हो” बा जवाब दियो थारो काको तो मरयोडो पडयो हैं कठवुं होऊं बा बोली काकी तू काका न जलावण मत दीजै । लोग हलावो चलावो करण लाग्या जण बा मना कर दी। लोग बोल्या आ तो दुकी म ही खराब करी।

एक नदी के किनार झोपड़ी बांध दीवी बी (मरयोड़ा धणी) की सेवा कर कीड़ा, मकोड़ा, माख्या सब सूं बीन बचाव । सब प्रकार सूं बीन बचाव ।यान करतां करतां मा महिना की चौथ [माई चौथ) आयी । केस खुल्ला दांत पीसती आंख्यां काढ़ती कड़रड़ाती करवो पीयो । करवो पी वा बिल्लण बाई करवो पी, भूख्याली करवो पी, बरत भांगणी करबो सात भाइयां की बेन करवो पी फुंक फल्यां खायी करवो पी, चालणी म चांद देखणी करबो पी यान बोलती रही मां म्हे इत्ता ही थोक करया । पर म्हने तो सवाग देर जा। चौथ माता का पग पकड़ कर बैठगी। चौथ बोली म्हारासूं बडी चौथ बैशाख की आयी बा थन सवाग देर जाई । बैशाग की चौथ आयी बा भी केश खुल्ला लट्टा कोसती, दांत पीसनी, आंख्यां फाडती कड़कड़ाती बोली करवो पी ये करवो पी बिल्लण बाई करवो पी धणी भुख्याली, बरत भांगणी करवो पी सात भाइयां की बेन करवो पी फुंक फल्यां खाणी, चालणी में चांद देखणी करवो पी बा कियो मां म्हे इत्ता ही थोक करया पण म्हने तू सवाग देर जा।

पांव पकड कर बैठगी। चौथ बोली म्हाराऊं बडी भादवा की चौथ आई बा थन सवाग देर जायी बिन तू छोडिजे मती। भादवा की चौथ आयी केस खुल्ला, बिजलियां चमकाती, दांत पीसती, आंख्यां फाडती किड़किडा़ती करवो पी ये करवो पी बरत भांगडी करवो पी सात भाईयां की बेन करवो पी फुंक फल्यां खांवणी, चालणी मे चांद देखणी करवो पी बा कहयो कि मां म्हे इत्ता ही थोक करया हा पण म्हने सवाग देर जा यान बोलर चौथ माता का पांव पकड़ लिया। चौथ बोली म्हाराऊं बडी करवा चौथ आई बा थन सवाग जरुर देर जाई तु बीन छोडिजे मती |करवा चौथ आयी केस बिखेरती. दांत किटकिटियां मारती, आंख्यां काढ़ती बोली करवो पी ये करवो पी ये बिल्लण बाई करबो पी, धणी भूख्याली, बरत भांगणी, सात भायां की बेन, फूंक फल्यां खावणी, चालणी म चांद देखणी करवो पी । बा बोली मां म्हे इत्ता ही थोक करया। चौथ माता बीन मारण लागी, लबुरण लागी, धक्का देवण लागी, पापिणी, हत्यारिणी |बाजू हठ मन छी मती।

बा पग पकडर बैठगी और बोली मां म्हे इत्ताई पांप करया मन सवाग देर जा चौथ माता चिटटी आंगलीस्यू अमृत को छीटो दियो। बीको धणी उठर बैठग्यो चौथ माता आपकी अन्तर्ध्यांन होयगी| धणी लुगाई चौपड़ पासा खेलण लागग्या एक गांव को गवाल्यो हो । बो रोज गांया चरावण आंवतो हो रोज निगराणी राखतो बा रोज बी की [मुर्दा] सेवा करती देखतो आज बा जवान आदमी के साथ चौपड़ पासा खेलती दिखी । गवाल्या न बुलाई तू म्हारे घर जाकर सन्देशो दे दे कि म्हाने सामा लेवो । गवाल्यो बोल्यो आज तांई तो या अच्छी थी अब खराब होयगी । बीक घर जाकर बोल्यो थांका बहु बेटा न सामा लेवो । मां बाप बोल्या म्हाका बेटा न तो मरर एक साल होयग्यो पण फेर भी चालर देखां तो सही । आग देख तो बेटा बहु चौपड़ पासा खेला हा । उल्ली तीर बेटा न उबो कर दीयो पली तीर बहु न उबी करी दोन्यां का गंजोडा जुडग्यो मां न लोहा को कांचली पेरा दी । बत्तीस धारा फुटर बटा का मुण्डा म पडगी । विश्वास आइग्यो कि म्हारो ही हैं । हे चौथ माता बीन सवाग दियो जिशो सबन दीजे । कहाणी केवण वाला न सुणन वालां न ।

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