संक्रांति 2022 | मकर संक्रांति 2022 | तिलकुट की चौथ | तिलकुट कहानी | Makar Sankranti 2022 | Tilkut Chauth

संक्रांति 2022 | मकर संक्रांति 2022 | तिलकुट की चौथ | तिलकुट कहानी | Makar Sankranti 2022 | Tilkut Chauth

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संक्रांति 2022 | मकर संक्रांति 2022 | Makar Sankranti 2022


आ संक्रान्त कणाई पो म आव कणाई मा महीना म आव । अंग्रेजी तारीख सू १४ जनवरी न आव । कणाई कणाई १५ जनवरी न आव । संकरात क पेला दिन भोगी रेव । बी दिन तिल्ली घालर रोटयां करणू । सगलो साग मिलार करणू माथो न्हाणू मेंहदी लगाणू । न्हावण का पाणी म तिल्ली डालणू । सवासणियां न कूंक लगाणू ।

संक्रान्त


बेगो उठणू । स्नान करणू । मिंदर जाणू चोखी रसोई बनाणू मीठी रसोई बनाणू तिल्ली का लाडू घेवर, फीनी खिचडी ब्राम्हण न देणू। कलाणो काढ़णू तेरुण्डो कलपणो सासू, ननद, जेठानी न कोई न भी एक न कलपणो देणू तिल्ली को दान करणू आपसू सज आव जितो दान करणू । संक्रान्त का टूणा करणू। महिना को तेरुण्डो बी दिन सू झेलणू । साल भर का टाबर न जाम, बोर, गन्ना, हरी बुट सू न्हलाणू |

संक्रान्त की कर


कर के दिन तेल म बडा़ या चिलड़ा बणाकर कुत्ता और चीलां न न्हाकणो, कर क दिन कठई गांव नहीं जाणू । बेन बेटो न सीख नहीं देणू।

तिलकुट की चौथ | तिलकुट कहानी | Tilkut Chauth


एक साहुकार हो बींक टाबर टूबर कोई कोनी हो । माह को महिनो आयो। लुगाया चौथ की पूजा करण बैठी । बाबठ चली गयी । लुगायां न बोली कि थे कांई करो ? बे बोली म्हे चौथ माता की पूजा करां । ई सू कांई हुव लुगायां बोली अनपुत्रा न पुत्र हुवे बिछडया को मेंल हुव अन्न धन हुब चौथ माता सुवाग देव । बा बोली म्हारा भी बेटो कोनी लुगायां बोली हे चौथ माता इक नवे महिनो बेटो होवे तो सवा सेर को तिलकुट्टो करां। भगवान की कृपा हुई नवे महिना बेटो होयग्यो । बा तो तिलकुट्टो ([चौथ माता को प्रसाद] करणो भूल गयी। पछ बोली हे चौथ माता ओ बडी हो जाई तो थार सवा पाँव सेर को तिलकुट्टो चढावूं बो भी भूलगी पछ बोली हे माता ईको ब्याव हो जाई तो थारा ग्यारा सेर को तिलकुट्टो चढ़ावूं । ब्याव मंडग्यो तिलकुट्टो चढ़ाणू भूलगी ।

परणीजबान गयो एक फेरो लियो दूजो फेरो लियो तीजा फेरा म गायब होयग्यो घणो ही ढूढ़या । देवतां का नाक नीमण करया बोलवां करी पण तिलकुट्टो चढाणो भूलग्या । बेटो मिल्यो कोनी । बहू न घर लेर आयग्या । सब लुगायां पाणी भरण जाव जणा बहु भी पाणी भरण जाव । सब लुगायां भर लेब बा भरण जाव हाथां म मेंदी राचणी जामो पेरयां तुर्रां किलंकी लगायोडो बो बोल एक धोबो दो धोबा तीजो धोबो अध परणी को| बा सासू न आकर बोल म्हे पाणी भरण जावूं जणा म्हन रोज यान सुणाई देव ।

सासू बोली यानो सुणाई देतो होसी । ध्यान दीयो कोनी । पाछी चौथ आयो। बा पाडोस म गई लूगायां चौथ को बरत करर पूजा कर ही। बी न एकदम ध्यान आयो म्हारे बेटो कोनी हो म्हे भी तिलकुट्टो सवा सेर को बोली ही । हे चौथ माता म्हारो बटो मिल जाई तो म्हे थार सवा मण को तिलकुट्टो करुं । दूज दिन लुगायां पाणी भरबा न गई तो आग देख तो बींको बेटो तलाब का तीर पर बेठयोडो दिख्यो । म्हारी मां न बोलजो म्हन सामा लेव । बा बोली म्हारा मन म तो विश्वास आ जाई पर दुनियां न कोनी आव । ई तीर बेटा न ओर पेली तीर बहु न ऊभी कर दी। गंजोडो अप आपणे जुडग्यो । मां न लोहा की कांचली पेराई बत्तीस धारा फुटर बीका मुण्डा म पडगी । सगलां न विश्वास आईग्यो । सवा मण को तिलकुट्टो रयो चौथ माता को बरत करयो । पूजा पाठ करर भोग लगार सगला गांव म प्रसाद बांटयो। हे चौथ माता बीन बेटो दीयो ज्यान सबन दीजे । कहाणी केणे वाला न हुंकारो भरणे वाला न भी देईज्ये ।

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