चीटे का सामूहिक प्राण त्याग | चींटियों का पहाड़ | Mountain of Ants | Apennine Mountains Church
इटली में बोलोन्या से करीब २८ कि.मी. दूर एपीनाइन पहाड़ों की चोटियों पर एक चर्च स्थित है, जहां एक अद्भुत एवं अविश्वसनीय करिश्मा देखने को मिलता है । यहां हर साल पंखों वाली चींटियां एक नियमित समय एवं अंतराल के दौरान आती हैं । यह समय होता है, अगस्त-सितम्बर का ।
इस दौरान यहां लाखों की संख्या में चींटे चीटियां पहुंचते हैं, इसलिए इस पहाड़ को स्थानीय भाषा में “मोन्ते देल्ले फोरमीके” (Monte delle Formieke) अर्थात् चींटियों का पहाड़ कहा जाता है । ये चींटियां यहां पर मरने के लिए आती हैं ।
ऐसा लगता है कि चारों ओर चींटियों के बादल छाए हों । लोग अपनी आंखों से देखने आते हैं कि वाकई चींटे मरते हैं या नहीं, लेकिन हर जगह मृत चींटे ही नजर आते हैं । विज्ञान के पास सिर्फ एक ही विश्लेषण है कि जिस प्रकार पक्षी सर्दियों में गर्म देशों की ओर कूच करते हैं, उसी तरह का स्क्राब्रीनोटिस जाति की चीटियां यहां ‘मेट’ करने आती हैं। मेटिंग के बाद चींटियां तो अपने यथा स्थान लौट जाती हैं, किन्तु चीटों की जरूरत मेटिंग के साथ ही समाप्त हो जाती है ।
उसके बाद वे भूख व हवा के तेज थपेड़ों से गिरकर मर जाते हैं । उधर चींटियां प्रजनन का चक्र पूरा कर अगले साल फिर दूसरे चींटों के साथ पहुंच जाती हैं । लेकिन अब एक अहम प्रश्न यह उठता है कि वे यहीं क्यों आती हैं ? किन्तु इसका कोई ठोस जवाब नहीं है ।
इसी से एक मान्यता प्रचलित हो गई है कि चींटियों की जाति अपनी स्वामी भक्ति का परिचय देती है, ईसा तथा मरियम के सामने नतमस्तक होती है । चींटियां प्रजनन का धर्म निभाने लौट जाती हैं तथा चींटे अपने विश्वास को आखिरी प्रमाण के तौर पर अपने प्राण त्याग देते हैं ।
पता नहीं इस जगह ही यह क्यों होता है, क्या है ? मगर ऐसा होता आया है और अब भी हो रहा है । इन चींटों के प्रति यहां के लोगों में आदर की भावना व प्रेम है ।