Muh Ki Laar Ke Fayde | Basi Lar ke Fayde
लार दुनियाँ की सबसे अच्छी औषधि है । इसमें औषधीय गुण बहुत अधिक है । किसी चोट पर लार लगाने से चोट ठीक हो जाती है ।
लार पैदा होने में एक लाख ग्रन्थियों का काम होता है । जब कफ बहुत बढ़ा हुआ हो तभी आप थूक सकते हैं अन्यथा लार कभी नहीं थूकना चाहिए । सुबह की लार बहुत क्षारीय होती है । इसका PH 8.4 के आस-पास होता है ।
पान बिना कत्था, सुपारी और जर्दे (तम्बाकू) का खाना चाहिए जिससे कि उसकी लार को थूकना न पड़े । कत्था और जर्दा कैंसर करता है इसलिए इसे लार के साथ अन्दर नहीं ले सकते हैं । गहरे रंग की वनस्पतियाँ कैंसर, मधुमेह, अस्थमा, जैसी बीमारियों से बचाती हैं । पान कफ और पित्त दोनों का नाश करता है । चूना वात का नाश करता है । जिस वनस्पति का रंग जितना ज्यादा गहरा हो वह उतनी ही बड़ी औषधि है ।
देशी पान (गहरे रंग वाला जो कसेला हो) गेहूँ के दाने के बराबर चूना मिलाएं, सौंफ मिलाएं, अजवाइन डालें, लौंग, बड़ी इलायची, गुलाब के फूल का रस (गुलकन्द) मिलाकर खायें ।
ब्रह्म मुहूर्त की लार अथवा सुबह उठते ही मुँह में जो लार होती है, वह बाकी के समय से ज्यादा फायदे-मन्द होती है । इसलिए सुबह उठते ही ये लार अन्दर जानी ही चाहिए ।
शरीर के घाव जो कि किसी दवा से ठीक नही हो रहे हों, उन पर सुबह उठते ही अपनी बासी मुँह की लार लगानी चाहिए । 15-20 दिन में घाव भरने लगता है और 3 महीने के अन्दर घाव पूरी तरह ठीक हो जायेगा ।
गैंगरिन जैसी बीमारी 2 साल में ठीक हो जायेगी । जानवर अपना सब घाव चाट चाट कर ठीक कर लेते हैं । लार में वही 18 पोशक तत्व होते हैं जो कि मिट्टी में होते हैं । शरीर पर किसी भी प्रकार के दाग-धब्बे हो, सुबह की लार लगाते रहने से 1 साल के अन्दर सब ठीक कर देती है । एक्जिमा और सोराइसिस जैसी बीमारियों को भी सुबह की लार से ठीक कर सकते हैं । 1 साल के अन्दर परिणाम मिल जाते हैं ।
सुबह की लार आँखों में लगाने से आँखों की रोशनी बढ़ती है और आँखों के चश्में उतर जाते हैं । आँखें लाल होने की बीमारी सुबह की लार लगाने से 24 घण्टे के अन्दर ठीक होती है । सुबह-सुबह की लार, आँखें टेढ़ी हो अर्थात आँखो में भेंगापन की बीमारी हो, को सही कर देती है ।
आँखों के नीचे के काले धब्बों के लिए रोज सुबह की लार (बासी) लगायें । सुबह उठने के 48 मिनट के बाद मुँह की लार की क्षारीयता कम हो जाती है । जितने भी टूथपेस्ट है सब एंटी-एल्क्लाइन है । इसमें एक केमिकल होता है, सोडियम लारेल सल्फेट, जो लार की ग्रंथियों को पूरी तरह से सुखा देता है । नीम की दातून चबाते समय बनने वाली लार को पीते रहना चाहिए ।