भीष्म पंचक व्रत विधि | भीष्म पंचक व्रत कथा | भीष्म पंचक व्रत का महत्व | भीष्म पंचक की कहानी | bhishma panchak vrat vidhi | bhishma panchak katha
यह व्रत कार्तिक शुक्ल एकादशी से प्रारम्भ होकर पूर्णिमा तक चलता है । कार्तिक स्नान करने वाली स्त्रियाँ एवं पुरुष निराहार रहकर व्रत करते हैं ।
भीष्म पंचक व्रत विधि | bhishma panchak vrat vidhi
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”
इस मंत्र से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है । पाँच दिनों तक लगातार घी का दीपक जलता रहना चाहिए ।
“ॐ विष्णुवे नमः”
स्वाहा मंत्र से घी, तिल और जौ की 108 आहुतियाँ देते हुए हवन करना चाहिए ।
भीष्म पंचक व्रत कथा | bhishma panchak katha
महाभारत का युद्ध समाप्त होने पर जिस समय भीष्मपितामह सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतिक्षा में शरशय्या पर शयन कर रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण पाँचों पाण्डवों को साथ लेकर उनके पास गए थे । उपयुक्त अवसर जानकर युधिष्ठिर ने भीष्म पितामह से प्रार्थना की – आप हमें राज्य सम्बंधी उपदेश देने की कृपा करें ।
तब भीष्म पितामह ने पाँच दिनों तक राजधर्म, वर्णधर्म, मोक्षधर्म आदि पर उपदेश दिया था । उनका उपदेश सुनकर श्रीकृष्ण संतुष्ट हुए और बोले – पितामह ! आपने कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक पाँच दिनों में जो धर्ममय उपदेश दिया है उससे मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई है । मैं इसकी स्मृति में आपके नाम पर भीष्मपंचक व्रत स्थापित करता हूँ । जो लोग इसे करेंगे वे जीवन भर विविध सुख भोगकर अन्त में मोक्ष प्राप्त करेंगे ।