पथवारी की कहानी – ४ (मारवाड़ी मे) | Pathwari ki Kahani – 4 (In Marwari)

पथवारी की कहानी (मारवाड़ी मे)

Pathwari ki Kahani (In Marwari)

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Pathwari Ki Kahani

एक बेन भाई हा बेन क नेम हो रोज भाई को मुंडो देख जीमती । रोज रास्ता म सासरासु आवती जणा पंथवारी माता की पुजा करती ओर केवती हे पंथवारी माता तुंहरों पीर वासो अमरराखीजे बा आंवती जड़ा बीक पगा में खरूठा लाग्योड़ा रेवता भोजाई रोंज पगां लागती।

एक दिन भोजाई आपका धणी न बौली थाकी बेन रोज इत्ती दूर सू आव पग म कांटा चुभ्यडा खरूठ आयोडा रेब थे रास्तो साफ कराबो कोनी बाइजी न तकलीफ हुव । भाई बोल्यो अबार नोकरा न के देवं बे सब रास्तो साफ कर देई। भाई के दियो। नोकर सब रास्तो साफ कर दिया बेन रोज पूजती जिकी पंथवारी न नौकर रास्तरो साफ करती टेम का बिखेर दिया दूज दिन बेन आयी पंथवारी सब बिखरयोंदी देखर बोली इशो कूण बुरो आदमी आयो ओर पंथवारी बिखेर दियो। बा बोलनां ई बठिन भाई की स्वर्गवास होयग्यो लोग हलावो चलावों करण लाग्या । भौजाई बोली म्हारी नणंद क नेम ह मुंडो देखर रोटी खाव । आज तो म्हारी नणंद न बुलार मुंडों देखण देवो नौकर बुलावन गया। बेन सब पंथवारी भेली करर पूजा कर ही नौकर जार बोल्या जलदी चालो थाफा भाई कौ स्वर्गवास होयग्यो है । बा रोबण लागी ओर पंथवारी माता न घोली हे माता म्हारो पीरवासो बन्यो रेवण थारी पूजा करती ही तू ओ कई करयो पथवारी माता बूढी को रुप लेर आर बोली बाई थारो भाई हो पथवारी माता न बिखेरयो हो । वेन बोली पथवारी माता तू की बी कर म्हारा भाई न जौंवतो कर जणा म्हे थन सच्ची जाणु | पथवारी माता बोली पानी को लोटो आखा लेजा थारा भाई पर छिडक दे भाई जीवतो हों जाई था हंसती हंसती गयी । लोग बोल्या देखों बेन गेली होयगी |

भाई तो मरयोडो पढयो ह आ हंस ह । बेन जाकर पाणी छिडकी आखा न्हाख्या । भाई उठर बेठ्यो । भाई बोल्यों बेन म्हन नींद घणी आयी वेन बोली भाई इशी नींद थारा दुश्मन न आवो बेन बोली भाई म्हे तो थेन अमर करण पथवारी की पुजा करती भाई गाजा बाजा, कच्चा दूध दही सू पीला को बेस ले जर सगला जणा जाकर पथवारी माता की पुजा करी । पक्को चबूतरो बणायो। हे पथवारी माता बीन पीर वासो दियो ज्यान सबन दीजो । म्हान भी दीजो।

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