रहस्यमय नक्शा – पिरी रीस | पिरी रीस का नक्शा | Piri Reis Map
पुरातत्व संबंधी नई खोजों ने अतीत के रहस्यों को और भी गूढ़ बना दिया है । इक्कीसवीं सदी के मनुष्य को यह देखकर आश्चर्य होता है कि प्राचीन समय का मानव भी बहुत आगे बढ़ चुका था । उसने अपने पीछे ऐसी विलक्षण कलाकृतियां तथा इमारतें छोड़ी हैं, जो तकनीकी रूप से आज भी एक पहेली है ।
इसी तरह की पहेली है, पिरी रीस (Piri Reis Map) नामक एक नौ-सेनाध्यक्ष का १५१३ से १५१७ के मध्य बनाया गया एक नक्शा, जो तुर्की के राष्ट्रीय संग्रहालय में सुरक्षित है । इस मानचित्र में दक्षिणी ध्रुव के अंटार्कटिका महाद्वीप का भूलेख भी सम्मिलित था, जो सैकड़ों फुट बर्फ के नीचे हजारों वर्षों से दबा है तथा जिसकी जानकारी १९५२ के पूर्व विश्व में किसी को नहीं थी ।
अक्षांश तथा देशांतर रेखाएं खींचने पर यह प्राचीन मानचित्र आधुनिक मानचित्र में बदल जाता है । इसमें दक्षिणी अमेरिका एक पतले भूखंड द्वारा दक्षिणी ध्रुव के अंटार्कटिका महाद्वीप से जुड़ा है ।
यह स्थिति ११,६०० वर्ष पूर्व थी, जब पिरी रीस ने अंटार्कटिका के पर्वतों, खाड़ियों, समुद्र तटों आदि का एकदम सही चित्रण किया था, जो आज भी हमारे लिए अदृश्य है, केवल कंप्यूटर तथा अन्य यंत्रों में उनका पता लगता है । किनारे की रेखाएं अंटार्कटिका के बर्फ के नीचे दबने से भी पूर्व ही खींची जा सकती थीं । अभी वहां डेढ़ किलोमीटर के लगभग बर्फ जमी है ।
डॉ. ऐरिक वोन डेनीकेन का कहना है कि यह मानचित्र अति प्राचीन व्योम यात्रियों द्वारा तैयार कर प्राचीन मानवों को दिया गया था, अन्यथा ऐसा मानचित्र उस युग या काल में किसी के लिए भी बनाना संभव नहीं था । इसी प्रकार १५०२ में बना राजा जेम्स का विश्व मानचित्र है, जिसमें वर्तमान सहारा के मरुस्थल को विशाल नदियां, झीलों तथा नगरों से युक्त उपजाऊ भूमि के रूप में दिखाया गया है ।
सन् १७३७ में पाए गए बाउन विश्व मानचित्र में अंटार्कटिका को दिखाया गया है, जिसकी तब कल्पना भी नहीं की जा सकती थी । ये मानचित्र ८००० से १०,००० वर्ष पूर्व बने थे, जब खगोलीय ज्यामिति तथा जियोडेटिक यंत्र का, जिनके प्रयोग के बिना ये मानचित्र बन ही नहीं सकते थे, अस्तित्व मान लेना कठिन ही नहीं, असंभव है ।