इंसान की उत्पत्ति | आदिमानव का पद चिन्ह | Primordial Footprint | Origin of Man
विलियम जे. मीस्टर को जीवाश्म इकट्ठे करने का शौक था । १९६८ में उन्हें किसी रेगिस्तानी क्षेत्र में एक ऐसा जीवाश्म मिला, जो मानव पद-चिह्न से मिलता है, जिसने सैंडल जैसी आकृति पांवों पर पहनी हुई थी । यह जीवाश्म ३००० से ६००० लाख वर्ष पुराना था ।
आधुनिक विज्ञान के अनुसार इतने समय पूर्व मानव की उत्पत्ति भी नहीं हुई थी और यदि इसे सच मान लें, तो फिर यह पद-चिह्न किसका है ? क्या तब भी दूसरे ग्रहों के लोग धरती पर घूमने आते थे ?
अमेरिका के यूटा प्रदेश के अँटिलोप स्प्रिंग नामक स्थान में जे. मीस्टर अपने एक मित्र के परिवार के साथ जीवाश्म की खोज में लगे थे कि अचानक उन्हें एक ५ से.मी. मोटा जीवाश्म मिला । हथौड़ी की हलकी-सी चोट से ही यह जीवाश्म एक किताब की तरह खुल गया जीवाश्म के एक तरफ सैंडल पहने पांव का निशान था, तो दूसरी तरफ उसका सांचा बना हुआ था, जिस पर एड़ी और एक समुद्री कीड़े ट्रिलोबाइट का जीवाश्म लगा हुआ था ।
ट्रिलोबाइट नामक समुद्री झींगे आज से ३२०० लाख वर्ष पहले हुआ करते थे, जो २८०० लाख वर्ष पूर्व लुप्त हो गए थे । मानव की उत्पत्ति तो १० से २० लाख वर्ष पहले की मानी जाती है और जूते पहनना तो मनुष्य ने केवल कुछ हजार वर्ष पहले शुरू किया है । फिर यह सैंडल युक्त पद-चिह्न क्या दर्शाता है ? यूटा विश्वविद्यालय के भूमि विज्ञान संग्रहालय के निदेशक प्रोफेसर जेम्स मेडसेन के अनुसार, “आज से ६००० लाख वर्ष पूर्व मानव तो क्या बंदर और भालू भी नहीं थे, जो मानव से मिलता जुलता पद-चिह्न बनाते हों । रीढ़ की हड्डी वाले जानवरों की उत्पत्ति से पूर्व वह क्या वस्तु हो सकती है, जो ऐसा पद-चिह्न बनाए, कुछ कहा नहीं जा सकता ।“
इन पद-चिह्नों की विस्तृत खोज के बाद इसी जगह एक नहीं पूरी की पूरी कतार मिल गई, जो यह साफ दर्शाती है कि लंबे-लंबे पग भरता यह कौन था और कहां गया ?