राम सा पीर अवतार की कथा | रामसापीर की कथा | राम सा पीर बाबा | रामसापीर की कथा | बाबा रामदेव की जन्म कथा | बाबा रामदेव की संपूर्ण कथा | Ramsa Peer in Hindi | Ramsa Peer in Hindi

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अजमलजी-बरसा गैरी गैरी भाईड़ा पाछा कीकर जाओ माने साचो साचो भेद बताओ जीओ, खमा खमा खमा मारे द्वारका रे नाथ ने ।

किसान – अजमलजी रे वीरा थे तो बांझिया रे कहिजो माने सुगन नहीं होवे जीओ, इण सुगना सु वीरा काल चरणा पड़सी सांचा सुगन वीरा जावणो जीओ ।

खमा खमा खमा मारे द्वारका रे नाथ ने ।

( यह सुनकर अजमलजी दुःखी हृदय से अपने मन में यो कहते हुए द्वारकापुरी की ओर चले ।)

गाना

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द्वारिका रे नाथ ने मारी अरज सुनावाँ या जीवतो पाछा नहीं आवा जीओ । कोमल चित मा आ दीनदयालु भक्त जान माने राखसी जीयो । हाथ जोड़ धरणी अज करु छू द्वारका रा नाथ हेलो सांभलो जीओ खमां ३ मारे द्वारका रे नाथ ने । कई २ पाप किया रे मारा बापजी सब जुग मोसा माने बोले जीयो । खमा ३ । अन्तर्यामी दाता दीन दयालु भक्त जान माने राखो जीओ खमा ३ धुप कियोड़ों मारो धूड़ में पड़ियों द्वारका रा नाथ धरणी बोलो जीओ खमा ३ ।

( इतने पर भी भगवान नहीं बोले तो उनको क्रोध आया इस पर अजमल जी ने मोदक को भगवान की मूर्ति के ललाट पर दे मारा जो उनके हाथ में था वे पुजारी से बार-बार पूछने लगे । )

गाना

अजमालजी – पुजारी बतादे कठे द्वारका रा नाथ अर्ज करु वीरा बोलो जीओ । खमा ३ द्वारका रे नाथ ने ।

पुजारी – गर्मी घणी पड़े वीरा वे तो समुदरिया में सुता, ठंडी २ लहरां जठे पोढिया जीयो जिण रे खाड़ी में वीरा पीरजी ने मिलिया, द्वारका रा नाथ वठें पोढिया जीओ । खमा ३ मारे द्वारका रा नाथ ने ।

( पुजारी की बात सुनकर अजमल जी समुद्र में कूद पड़े वहां द्वारका के नाथ को शेषशय्या पर शयन करते देखा ।

भगवान के सिर पर पट्टी बंधी देखकर आश्चर्य से हाथ जोड़ कर पूछने लगे ।)

हाथ जोड़ धणी ने अर्ज करू छू भेद बापजी रा पाया जीओ । जोही २ ध्यावे ज्यांरा रे काटो माथा उपर पाटी कीकर बांधी जीओ । खाम ३ मारे द्वारका रे नाथ ने ।

( भक्ति युक्त वाक्य सुनकर भगवान द्वारकानाथ ने बड़े ही मीठे शब्दों में कहा कि -)

द्वारकानाथ बोलें – भोला भोला भक्तों मारे लाडूड़े री मारी, माथे उपर लागी जोओ ।

अजमलजी – खमा मारा बापजी मूर्ति रे मारी माफी अन्दाता बक्साओ जीओ । खमा खमा खमा मारे द्वार रे नाथ ने ।

द्वारकानाथ वरदान


मंदर मुरत अरु सकल जगत में डाली डाली माय समाओ जीओ । बड़ा वीरमदेव छोटा रामदेव अजमल पालने में आवे जीओ ।

( भगवान के इन वाक्यों को सुनकर अजमल जी बहुत ही खुश हुए और कहां भगवान आपके अवतार के कुछ चिन्ह बतलाइये । तब भगवान ने कहा)

कुंकुरा पगला थारे आंगरिणये में होसी पालखी मैं थारे घर आवा, जीओ । भादूड़े दूजरो चांद वीरा उगसी, अजमल आंगरणो प्रकाश जीओ ।खमा ॥२॥

(वरदान प्राप्त करके द्वारिका से अजमल जी वापस घर पधारे कुछ समय उपरान्त सम्वत 1460 बसन्त पंचमी को विरमदेवजी माता मैनादे के गर्भ से अवतरित हुए सं 1462 में भांदवा सुदी 2 शनिवार को भगवान श्री कृष्ण कलिभय भजन रामदेव जी ने अवतार लिया । माता मैणादें पालने के पास बच्चे को दूध पिलाने गयी तो पालने में एक बच्चे कि जगह दो सो रहे थे । वह आश्चर्य चकित दृश्य को देखती रह गई ।)

गाना

एक तो टाबरियो मारे विरमदेव जलमियो, दूजोड़ों कठे सू आयो जीओ । भेद भाव नहीं जाण मारा बापजी, आंगणिए पधारिया दीना नाथ जीओ । खमा खमा रे कुंवर अजमाल रा । कुंकुरा पगला अजमल आंगाणिये में देखिया, धन धन भाग धणी आया जीओ । “गेली २ नारी थ्रु’ तो गैली बाताँ करे बचना रा बधियोड़ा धणी आया जीओ । खमा खमा रे कंवर अजमाल रा थारी जुगड़ में जोत सवाई जीओ ।

( इस प्रकार श्री रामदेवजी ने अवतार लिया और मैनादे के लाल कहलाए। रामदेवजी ने अवतार लिया और मैनादे रामदेवजी की माता के मन में सन्देह हुआ कि यह अवतार है या नहीं, वे दूध में पिलाती हुई माता के मन की बात समझ श्री कृष्ण कलिभय भजन प्रभु ने परचा दिया । )

गाना

सूता सूता बापजी बाहड़ली पसारी उफणता चरु नीचे राखियो जीओ । धन-धन भाग माता मैनादे रा कहाये कृष्ण प्रभु घर आया जीओ ॥खमा २॥

१. कृष्ण थारा माता पिता रे मन कहदे और कई थारो नाम कहावे जीयो ।

२. रामदेव जी- माता मैणादे मारा पिता अजमलजी, रामदेव नाम धराओ ।

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