रोचक कहानी इन हिंदी | समझ का फेर | Rochak kahani In Hindi
बहुत दिनों की बात है। किसी गांव में एक किसान रहता था। उसका घर गांव के छोर पर था। वह अपनी पत्नी और एक बच्चे के साथ रहता था। किसान और उसकी पत्नी बच्चे को बहुत चाहते थे । एक दिन शाम को किसान लौटकर घर आया तो अपने साथ एक नेवले का बच्चा भी लेता आया । पत्नी के पूछने पर उसने कहा, “मैं इसे बच्चे के खेलने दुलारने के लिए लाया हूं ।”
नन्हा नेवला और किसान का बच्चा दोनों साथ-साथ बड़े होने लगे । पांच सात महीने के अन्दर नेवले का बच्चा बड़ा होकर भरा-पूरा नेवला बन गया, जबकि किसान कर लड़का अब भी पालने में ही झूल रहा था। नेवला बड़ा सुन्दर और प्यारा लगने लगा । उसकी चमकीली काली आंखें और झबरे बालों वाली सुन्दर पूँछ बड़ी अच्छी लगती थी ।
एक दिन किसान की पत्नी को कुछ सामान खरीदने के लिए बाज़ार जाना था। उसने बच्चे को दूध पिलाकर पालने में सुलाया और एक बड़ी टोकरी लेकर बाजार जाने के लिए तैयार हुई।
जाने से पहले उसने किसान से कहा, “मैं थोड़ी देर के लिए बाज़ार जा रही हूं । बच्चा पालने में सो रहा है। ज़रा उसका ध्यान रखना । मुझे इस नेवले से डर लगता है ।” किसान ने कहा, “इसमें डरने की क्या बात है । अपना नेवला तो बहुत ही प्यारा और नेक है जैसे हमारा बच्चा ।”
इसके तुरंत बाद किसान की पत्नी बाज़ार चली गई ।
किसान को घर में कोई काम नहीं था। बच्चा भी सो रहा था। उसे छोड़ कर वह बाहर घूमने निकल गया। रास्ते में उसे दो-चार दोस्त मिल गये । दोस्तों के साथ बातें करने में ऐसा मगन हुआ कि, उसे घर लौटने की याद ही नहीं रही।
उधर किसान की पत्नी टोकरी भर सामान खरीद कर घर पहुंची। आते ही उसने देखा कि नेवला दरवाजे के बाहर ऐसे बैठा है जैसे उसी का इन्तजार कर रहा हो। किसान की पत्नी को देखते ही वह दौड़ कर उसके पास आया । नेवले को देखते ही किसान की पत्नी चिल्ला पड़ी “दैया रे ! खून “
नेवले के मुंह और पंजों पर ताजा लाल खून चमक रहा था।
“हाय, तू ने मेरे बच्चे को मार डाला है ! यह क्या किया ? ” किसान की पत्नी जोर से रोने लगी। फिर बिना सोचे-समझे ही सामान से भरी टोकरी नेवले के सिर पर दे मारी और धड़धड़ाती हुई बच्चे के पालने की ओर दौड़ी।
बच्चा पालने में लेटा गहरी नींद में सो रहा था । मगर उसके पालने के ठीक नीचे, खुन से लथपथ एक जहरीला काला सांप मरा पड़ा था।
मरे सांप को देखते ही किसान की पत्नी तुरन्त समझ गई कि नेवले के मुंह में खून क्यो लगा था। वह नेवले को पुकारती हुई बाहर भागी।
उसके मुंह से निकला, “हाय राम ! यह मैंने क्या कर डाला ? इस नेवले ने तो सांप को मार कर मेरे बच्चे की जान बचाई है ।”
नेवला मर चुका था। सामान से भरी भारी टोकरी की चोट से उसका सिर फट गया था किसान की पत्नी को अपनी करनी पर बड़ा दुख हुआ । उसकी आंखें आंसुओं से भर आई । वह दहाड़ मार कर रोने लगी। पर अब क्या होता । यह सब उसकी समझ का फेर था।