शीतलादेवी जी का यंत्र | गर्भ स्थिर रहने का यंत्र | ब्रह्मराक्षस उतारने का यंत्र | मोतीझाला यंत्र | पुत्र होकर मर जाता हो | सर्वार्थ सिद्धि यंत्र | shitla mata yanntra | brahmarakshas kya hai
शीतलादेवी जी का यंत्र | गर्भ स्थिर रहने का यंत्र | ब्रह्मराक्षस उतारने का यंत्र | मोतीझाला यंत्र | पुत्र होकर मर जाता हो | सर्वार्थ सिद्धि यंत्र
शीतलादेवी जी का यंत्र
इस यन्त्र को लाल चन्दन से कागज पर लिखे और फिर धूप-गुग्गुलु आदि की धूनी दे, फिर जिसके चेचक (देवी) निकली हों उसके गले में बाँध दे तो वह सूक्ष्म रूप से निकलेंगी और शीघ्र ही आराम देंगी ।
गर्भ स्थिर रहने का यंत्र
इस मन्त्र को कपूर, केसर, कस्तूरी, गोरोचन, अगर, सुगन्ध, माला आदि से भोजपत्र पर रविवार या मंगलवार को लिखकर स्त्री की भुजा अथवा गले में बाँध दें तो गर्भ स्तम्भन हो अर्थात् गर्भ स्थिर रहे, परीक्षित है ।
ब्रह्मराक्षस उतारने का यंत्र
इस यन्त्र को गूलर के पत्ते पर रक्तचंदन से लिखकर जिसके ऊपर ब्रह्मराक्षस की सवारी हो तो उसको बाँधे तो ब्रह्मराक्षस दूर हो जावे ।
मोतीझाला यंत्र
इस यन्त्र को अनार की कलम द्वारा लालचन्दन से भोजपत्र पर लिख कर धूप-दीप देकर मोतीझाला वाले मरीज के गले में बाँधे तो निश्चय मोतीझाला से छुटकारा पावे, परीक्षित है ।
पुत्र होकर मर जाता हो
जिसके पुत्र या बच्चा होकर मर जाता हो तो इस यन्त्र को अनार की कलम से गोरोचन से भोजपत्र पर लिख कर गूगुल की धूनी देकर अच्छे दिवस, अच्छे मुहूर्त में उत्तर मुँह होकर लिखे और उस स्त्री के गले में बाँध दें । निश्चय सफलता मिलेगी ।
सर्वार्थ सिद्धि यंत्र
रविवार के दिन गोरोचन से भोजपत्र लिखे और उसे यन्त्र में दाहिनी भुजा पर बाँधना चाहिये