श्री विष्णु शरण दुबलिश । Shri Vishnu Sharan Dublish
श्री विष्णु शरण दुबलिश मेरठ के रहने वाले थे । असहयोग के जमाने में इन्होंने बी.ए.से अपना पढना छोड़ दिया था और डेढ़ साल के लिये जेल भी गये थे । इनके साथ लखनऊ-जेल में विशेष व्यवहार की आज्ञा हुई थी; पर इन्होंने जब देखा, कि अन्य कई असहयोगियों के साथ वही पर साधारण कैदियो का सा व्यवहार होता है, तब इन्होंने अपने साथ विशेष व्यवहार किये जाने से इनकार कर दिया था ।
ये सन् १९२३ से पहले ही क्रान्तिकारी दल में शामिल हो गये थे तथा प्रान्तीय दल के एक योग्य संगठनकर्ता थे । जिस समय ये गिरफ्तार हुए, उस समय मेरठ के वैश्य अनाथालय के मैनेजर थे । इन्होंने इस औषधालय को बड़े परिश्रम से एक मज़बूत संस्था बना दिया । यद्यपि ये आर्यसमाजी थे, फिर भी इनमें धार्मिक कटृरता नहीं थी ।
उन दिनों ये मेरठ के एक बड़ उत्साही कांग्रेस कार्यकर्ता और सार्वजनिक नेता थे । इनकी वक्तत्व शक्ति बहुत अच्छी थी । काकोरी केस में हवालात के समय १६ दिनों तक और फैसले के बाद नैनी जेल में ४४ दिनों तक इन्होंने अनशन किया था । इन्हें काकोरी केस में ७ वर्ष की सख्त कैद की सज़ा हुई ।
जनवरी १९२७ में नैनी जेल में जो दंगा हुआ था, उस सम्बन्ध में इन पर दंगा कराने का अभियोग लगाया गया था और इस मामले में इन्हें आजन्म कालेपानी की सज़ा दी गयी थी । उस दिन जब इस दंगे के सम्बन्ध में अन्य अभियुक्तों को फांसी की सजा सुनायी गयी, तो दुखी होकर ये रोने लगे और कहने लगे, कि मुझे भी फाँसी की सज़ा क्यों न दी गयी ? ये बड़े सहृदय, निर्भीक और वीर आदमी थे ।