सर जॉन फ्रेंकलिन । Sir John Franklin
विख्यात ब्रिटिश एडमिरल और अन्वेषक फ्रेंकलिन सन् १८४७ में उत्तरी-पश्चिमी जल मार्ग की खोज में उत्तरी ध्रुव के किसी क्षेत्र में कहीं गायब हो गए । आम जनता की धारणा थी कि वह जीवित हैं । उनकी पत्नी जेन ने बड़े-बड़े नेताओं और उद्योगपतियों को पत्र लिखकर वित्तीय सहायता की गुहार की, ताकि वह अपने पति का पता लगाने के लिए खोजी दस्ते भेज सकें ।
फ्रेंकलिन के गायब होने की खबर के तुरंत बाद उनके मित्र वाल्टर स्नू ने सपने में फ्रेंकलिन की मृत्यु का दृश्य देखा । नींद से उठते ही स्नू ने कागज-कलम लेकर सपने में दिखे दृश्य का चित्रांकन करना शुरू किया । उन्होंने सपने में बर्फ के अम्बार और नावें देखी थीं । स्नू के सपने की पुष्टि १२ वर्ष तक नहीं हो सकी । आखिर सन् १८५९ में कैप्टेन लियोपोल्ड मोक्लिंटोक के नेतृत्व में गए अभियान के सदस्यों को बर्फ जमी हुई कई लाशें और हिमखंड से टकरा कर चूर-चूर हुई नावों के टुकड़े मिले ।
सारा दृश्य बिलकुल वैसा ही था, जैसा १२ वर्ष पूर्व स्नू ने अपने सपने में देखा था । फ्रेंकलिन की लाश भी इन लाशों में शामिल थी ।
अब्राहम लिंकन का रहस्यमय सपना । Abraham Lincoln’s Mysterious Dream
सपने अमूमन सच नहीं होते हैं, किन्तु मनुष्य को सपने में कभी-कभी भविष्य में होने वाली अप्रत्याशित घटनाओं का पूर्वाभास हो जाता है । अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन को १८६५ में ऐसा ही स्वप्न दिखाई दिया था । उस समय तो उनके नजदीकी लोगों को विश्वास नहीं हुआ था । लिंकन ने अपने घनिष्ठ मित्र वार्ड हिल लेमोन से अपने सपने का जिक्र किया । लेमोन ने उसी दिन शाम को उस घटना का उल्लेख अपनी डायरी में लिंकन के शब्दों में इस प्रकार किया –
“लगभग दस दिन पहले की बात है । मैं उस दिन देर से सोया था । नींद आते मुझे सपना दिखाई देने लगा । मुझे अपने शरीर में मौत जैसी जड़ता महसूस हुई । मुझे हलकी-हलकी सिसकियां सुनाई दे रही थीं । जैसे लोग रो रहे हों । सपने में मैं बिस्तर से उठकर सीढ़ियों से नीचे पहुंच गया । वहां भी वही दुखद सिसकियां मेरी शांति भंग कर रही थीं, मगर मातम करने वाले साफ नजर नहीं आ रहे थे । मैं कई कमरों में गया, परन्तु कोई भी व्यक्ति नजर नहीं आया । मातम की आवाजें हर कमरे में जाने पर सुनाई देती रहीं । मैं हैरान तथा चौकन्ना था । इतने रहस्यमय तथा हृदय दहलाने वाले मामले के कारण की खोज के लिए मैं दृढ़ संकल्प था । मैं पूर्ववर्ती कक्ष में पहुंचा । मेरे सामने मंच बना था, जिस पर एक शव रखा था । उसके चारों ओर सुरक्षा तथा अन्य लोगों की भीड़ थी । शव का मुंह ढका हुआ था, जिसे कुछ व्यक्ति शोक विहल से होकर देख रहे थे । कुछ लोग रो रहे थे । मैंने शव के पास खड़े एक सिपाही से पूछा, “ह्वाइट हाउस में किसकी मृत्यु हो गई है ?” उसने बताया, “राष्ट्रपति को एक हत्यारे ने मार डाला है।”
कैसा विचित्र संयोग था । सपने की इस घटना के बताने के पांच दिन बाद १५ अप्रैल को वाशिंगटन के एक थिएटर में जॉन विल्केस बूथ ने लिंकन की हत्या कर दी । उनके शव को ह्वाइट हाउस के उसी कक्ष में रखा गया था, जिसमें उन्होंने सपने में शव देखा था ।