सोमवती अमावस्या पूजा विधि । सोमवती अमावस्या की कथा । Somvati Amavasya
सोमवार क दिन अमावस आव बीन सोमवती अमावस बोल । सोमवती अमावस क दिन पीपल की पूजा करणू पीपल क १०८ परिक्रमा देणू । १०८ फल, मिठाई या पैसा चढ़ाणू । कूं कूं चांवल, हल्दी, पान सुपारी ,अगरबत्ती, फल, फुल, चिराग सूं पूजा करणूं । चढ़ायोडा पैसा, फल, फुल या मिठाई ब्राम्हण न देणू । कहानी केणू ।
सोमवती अमावस्या की कथा
एक साहूकार हो बीक सात बेटा बहु और एक बेटी ही साहुकार क घर एक जोगी भिक्षा लेवण न आवतो हो बवां भिक्षा घालती जणा ले ले तो और बेटी भिक्षा घालती जणा केवतो बाई क भाग्य म दु ख लिख्यो हैं । आ बात सुणकर बेटी चिन्ता म पडगी। दिन पर दिन सूखबा लागगी । मां पूछी बेटी तू सुस्त क्यूं रेव दुबली क्यों होवण लागगी जणा बेटी बोली मां आपणा घर म जोगी भिक्षा लेवण न आव । म्हे भिक्षा देवूं जणा जोगी बोल थारी चुंदडी म दाग है । थारा भाग म दुःख लिख्योडो हैं । दूजे दिन बी की मां बेटी क साथ गई जोगी न भिक्षा न्हाकण लागी। जणा जोगी बोल्यो बाई की चुंदडी म दाग हैं । जणा मां बोली जोगी एक तो म्हे थान भिक्षा घालां दूसरा तू गाल्यां देव या कांई बात हैं ?
जोगी बोल्यो म्हे गाल्यां कोनी देवूं जिका भाग म ज्यो लिख्यो हैं वो ही म्हे केवूं | मां पूछी थनें इत्तो मालुम है, तो बता दुःख क्यान टली जोगी बोल्यो सात समुन्दर पार श्यामा धोबन रेव हैं वा सोमवती अमावस का बरत कर है । वा आकर आपका बरत को फल थांकी बेटी न देव तो दूख टल सक । नहीं तो थांकी बाई को ब्याव होता ही बीका बीन्द न सांप खा जाई । बीन विधवा पणो आ जाई| आ बात सुणताई बेटी रोवण लागगी मां उठासूं उठर श्यामा धोबण की तलाश म निकलगी। रस्ता म घणी धुप लागबा लागी बा पीपल का पेड क नीचे बैठगी। बी झाड पर गरुड पक्षी रेवतो हो (जोडा से रेवतो हो) बे जो अंडा देवता बीन सांप आकर खा जावतो हो सेठाणी देखी बा सांप न मारर टोकरा क नीचे छिपा दिवी। गरुड पक्षी सेठाणी न देखर सोच्या कि या ही म्हाका बच्चा न मार हैं वे सेठाणी न चोंच सूं मारण लागग्या जणा सेठाणी बोली म्हे थांका बच्चा न मारी कोनी म्हे तो जीवनदान दियो हूं । थांको बैरी टोकरा क नीचे हैं । गरुड पक्षी सेठाणी न बोल्या तू म्हाका बच्चा न जिवायी जो माँगणूं हो मांग ले ।
सेठाणी बोली थे म्हन वचन देवो गरुड पक्षी वचन दियो और बोल्या वचन नहीं पालूं तो धोबी का कुण्ड म पडूं । सेठानी बोली थे म्हन सात समुन्दर पार छोड देणूं गरुड पक्षी सेठाणी न आपका पंखा पर बिठार सात समून्दर पार छोड़ दिया। श्यामा धोबन क घर सेठाणी गई सोची इन क्यान राजी करुं । श्यामा धोवन की ७ बवां ही वे काम कम करती आपस में लडती ही घर को काम करती कोनी ही । साहूकारिणी बां का घर को सगलो काम करती गाय को गोबर थापती ,गाय न पाणी पिलाती, गाय न दाणो देती, रसोई बनाती, घर सारती, आटो पीसती, झाडू काढती दिन उगने सूं पहले चली जावती| बबां सोचती काम कुण कर हैं ? पण कोई भी आपस म पूछती कोनी । एक दिन श्यामा धोबण बवां न पूछी आज कल थे लडो कोनी । बवां बोली लड तो भी काम तो करणू ही लाग। श्यामा धोबण सोची आखिर म कुणसी बहु काम कर हैं या बात देखण न वा रात का सोई कोनी । वा देखी रात का एक लुगाई आयी वा घर को सगलो काम करर पाछी जावण लागी जणा श्यामा धोबण बींन पूछी तू कुण हैं ? म्हाका घर को काम तू क्यूं कर है ? थन कांई चिंता हैं ? थन कांई चइजे । जणा सेठाणी बोली म्हारी बेटी क भाग म विधवा पणो लिख्यो हैं। तू चालर म्हारी बेटी न सवाग दे । श्यामा धोबण आपका बेटा बवां न बोली म्हे साहूकारणी क साथ जाऊं हूं लार सूं थाको बाप मर तो तेल की कडाही म छोड दीजो । जलाइज्यो मती ।
धोवण और सेठाणी बठासूं साथ निकलग्या । घर आकर बेटी को ब्याव मांडयो। बींद बींदणी फेरां म बैठग्या । बींद का गोडा कन श्यामा मिट्टी की हाण्डी काचों सूत काचो दूध लेर बैठी । बींद न डसन क वास्त सांप आयो श्यामा हण्डी न आगे करर सांप न हण्डी म घाल दियो काचा सूत सूं हाण्डी न बांध दिवी। बींद तो डर के मारे ही मरग्यो । लोग बोल्या इन जीवनदान दे। जणा श्यामा धोबण आपकी टीकी म सूं कुं कुं निकाल्यो, आंख्यां म सूं काजल निकाल्यो,मांग म सूं हिगलु काडयो नाखुनांi म सूं मेन्दी काडी चिट्टी आंगली क चीरो देकर बोली आज तक म्हे जित्ती भी सोमवती अमावस करी बीको सारो फल साहूकारणी की बेटी न मिलीजो इतो केता ही बींद उठर बैठग्यो| सगला लोग सोमवती अमावस की जै बोलन लागग्या |श्यामा धोबण पाछी आपक घर जाबा लागी सेठाणी पूछी तू म्हारी बेटी न सवाग दी हैं जो मांगे सो मांग श्यामा बोली म्हनें कांई भी कोनी चइजे । पण एक माटी की हण्डी लेकर दे ।
श्यामा धोबण मांटी की हण्डी लेकर निकली रास्ता म सोमवती अमावस आयी श्यामा धोबण काची हण्डी का टुकडा करर पीपल क फेरी दिवी तेरा टुकडा करर एक जगह रख्या । एक सौ आठ परिक्रमा करी। और आपक घर चलेगी घर जार देखी तो श्यामा को पति मरयोडो पडयो हो बीका बेटा बहु उन तेल की कडाई म घालर राख्या हा श्याया मरयोडा धणी न तेल की कडाई म सूं बारे निकाल्यो । कं कूं मेंदी, हल्दी, काजल काडी पाणी को छींटो दियो और बोली म्हे आज तक सोमवती करी ब्याको फल म्हारा पति न मिलीजो। इतो केवता ही बीको पति उठर बैठग्यो । इता म श्यामा धोबण को गुरु ब्राम्हण भिक्षा के वास्त आयो बोल्यो सोमवती को ज्यो ज्यो बनायोडो होवे म्हन देवो। जणा श्यामा कही कि सोमवती अमावस म्हन रस्ता म पडी । जीसूं म्हे अठ घर म की कोनी करयो ब्राम्हण बोल्यो बठ की भी तो दिया होसी श्यामा धोबण बोली म्हे पीपल क नीचे गाड कर आयी हूं। ब्राम्हण न सेधाणी बता दी। ब्राम्हण जार देख्यो तो हाण्डी का तेरा टुकडा सोना का होयग्या । ब्राम्हण भेला करर यजमान क घर आयो बोल्यो थे इतो बडो दान दियो और म्हन झूठ बोल्या । जणा श्यामा धोबण बोली ये तो थारा भाग म हा म्हे तो माटी का टुकडा दिया हा । गुरु बोल्या म्हारी तो चौथी पांति हुई। बाकी को थांकी इच्छा मुजब देवो सगला गांव म डिंडोरो पीटयो की सोमवती अमावस को बरत करणू। हे सोमवती अमावस साहुकार की बेटी न सवाग दियो ज्यान सबन दीजे ।