मुकेश मील की कहानी | Story of Mukesh Mill
मुकेश मील भारत की सबसे हंटेड
जगहो मे से एक है | मुकेश मील मुंबाई
के कोलाबा के स्थित है | इसका निर्माण १८५२ मे हुआ था | पहले यहा कॉटन के कपड़े बनते थे और यहा बहुत से मज़दूर काम किया करते थे | यहा पर कारोबार काफी अच्छा चलता था | लेकिन १९८२ मे
इस फ़ैक्टरी मे आग लग गई, जिसकी चपेट मे आकार काफी मजदूर मारे
गए और मुकेश मील बंद हो गया |
मुकेश मील इस घटना के बाद से काफी
सुनसान और वीरान हो गया | यह मील पूरी
तरह से जल चुका था, लेकिन यहा उन मजदूरो की आत्मा रह गई |
यहा की शांत वातावरण, खंडहर और पूरी तरह जल चुकी फ़ैक्टरी, फिल्म निर्माताओ को बहुत पसंद आती थी | यही वजह है की
यहा फिल्मों की शूटिंग शुरू हो चुकी थी और इसके साथ ही साथ टीवी धारावाहिक के लिए भी
इसका ईस्तमाल किया जाता था |
फिल्म हम का “जुम्मा-चूम्मा दे
दे ” गाना और वांटेड का फ़ाईटिंग सीन भी यही पर शूट किया गया है | लेकिन यहा पर शूटिंग सिर्फ दिन के समय ही होती
है | सूरज के डूबने के बाद यहा कोई भी शूटिंग नही होती है |
यहा पर शूटिंग करने वाले कलाकारो
मे से सबसे बड़े श्री अमिताभ बच्चन जी ने अपने ब्लॉग मे कहा था की “मुकेश मील मे कुछ
तो अजीब है और यहा डर की परछाई का आगाज होता है |”
यहा कई ऐसी घटनाए सामने आई है
जिसकी वजह से कई फिल्मी कलाकारो और निर्माताओ ने यहा शूटिंग करने से माना कर दिया है
और कारण मे यह बताया की “यह जग़ह काफी खतरनाक है | यहा पर कई सारी आत्माए भटकती है |” माना जाता है की यह आत्मा उन लोगो की है जो यहा आग मे झुलसकर मर गए थे |
टीवी धारावाहिक “आहट” और “ससस….फिर
कोई है” की शूटिंग के समय भी यहा बहुत सी घटनाए देखी और महसूस की गई है |
इस प्रकार की घटनाओ को देखते हुए
यहा पर शूटिंग धीरे-धीरे बंद हो गई और अब यहा पर कोई भी शूटिंग नही होती है |
मुंबाई की सरकार ने इस फिर से
नया बनाने का सोचा और डर का कारण यहा पुरानी-अंधेरी दीवारों को बताया | लेकिन इसका काम पूरी तरह से रूक गया है, क्योकी जब सरकार की तरफ से कुछ अधिकारी निरीक्षण के लिए इस मील मे गए तो उन्होने ऐसा महसूस किया जो काफी डरा
देने वाला था |