सूरज की कहानी – ३ (मारवाड़ी मे) | Surajji kee kahaniya – 3 (In Marwari)

सूरज की कहानी

Suraj Ki Kahani

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सूरज भगवान रेणा देजी हा सूरज भगवान की माता कुम्हार कनसू रोज सोना को टक्को देकर दो पेट की हंडी लावंती एक म खीर खांडका भोजन बणातो म एक राब छांच बनाती । सूरज भगवान न खीर खांड पुरसती । रेणा देजी न राब छांच घालती । रेणा देजी दुबला होयग्या ।

सूरज भगवान पूच्छा रेणा देजी दुबला क्यान होवो हो, रेणा देजी बोल्या महाराज थांकी मां रोज खाटा भोजन घाल भाव कोनी सूरज भगवान बोल्या म्हारी मां न बदनाम करो हो रेणा देजी बोल्या परीक्षा कर लेवो। दूजे दिन सूरज भगवान् न्हावण गया बठ झारौ भूलर आायग्या मां बोली बेटा जीमो सूरज भगवान बोल्या मां म्हे झारी भूलर आयग्यो मां बोली बेटा थे जीमों म्हे लादेवूं, मां दो थाल्यां पुरसी एक म खीर खांड दूजी म राब छाछ पुरस्या सूरज भगवान् थाल्यां बदलर आपकी रेणा देजी न दें दी ओर रेणा देजी की थाली आप ले लिवो, रेणा देजी न घणा दिनासु खीर जीमन मिली सबड-सबड खार उठग्या सूरज भगवान आंग्ल्याचा चाटे मां झारी लेर आयगी बेटा हाल जीम्यो कोनी सूरज भगवान बोल्या मां आज भोजन खाटा ह ।

भाव कोनी । मां बोली बेटा थाली बदलीज गी होशी। सूरज भगवान बोल्या मा आापांक घर म कांई कमी ह ? थे दू भान्त क्यूं करो हो मां बोंली दूमांत नहीं कर तो पराई जाई माथ चढ जाव सूरज भगवान मा न तो की बोल्या कोनी। कुम्हार क गया बीका सहस्त्र पट कर दिया बो मट्टी खाव मट्टी घड सूरज भगवान का चरणा म जारपडयो कि महाराज एक पट क वास्त दुनियाँ को झूठ बोलू हूं दुनियां को पाप करु हूं । सहस्त्र पेट किंवू भरोजी सूरज भगवान घोल्या थार कांई बात की कमी । सोना को ढको लेव दो पट की हंडी घड । कुम्हार बोल्यो महाराज आज ताई घडयो जिको घडयो व आइंदा सूं कोनी करू। दुज दिन सूरज भगवान की माता सोना को टक्को लेकर सगला गांव म फिर कर आयी कोई दो पट की हंडी नहीं दियो। जणा तांबा को टक्को देकर एक पट की हंडी लायी और खीर खांड का भोजन बनायी आप खाया सूरज भगवान ने ओर रेणा देजी न जिमाया महाराज वेकी खबर ज्यान संगला को लीजो ।

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