तेनालीराम की मृत्यु | तेनालीराम की मृत्यु कैसे हुई | Tenali Raman Death | Tenali Raman Death Reason

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तेनालीराम की मृत्यु | तेनालीराम की मृत्यु कैसे हुई | Tenali Raman Death | Tenali Raman Death Reason

एक दिन तेनाली राम को एक विषैले सांप ने काट लिया । उसके बचने का कोई उपाय न था । तेनाली राम अपनी अंतिम घड़ी में अपने मित्र राजा कृष्णदेव राय से मिलना चाहता था । उसने एक व्यक्ति को राजा के यहां भेजा ।

उस व्यक्ति ने राजा से जाकर कहा, “महाराज, तेनाली राम जी अपने जीवन की अन्तिम सांसे गिन रहे है । आपसे इसी समय मिलना चाहते हैं।”

राजा हंस दिए और बोले, “इतनी जल्दी फिर मरने का स्वांग कर रहा है वह ! मुझे कल ही मेरे राज्यपालों ने कर के रूप में बहुत सा धन भेजा है । मुझे तेनाली राम के धन की आवश्यकता नहीं हैं उससे कहो, मजाक छोड़े ।”

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“लेकिन महाराज, इस बार यह समाचार बिलकुल सच है । उन्हें विषैले सांप ने काट लिया है।” – उस व्यक्ति ने कहा ।

“तो इस बार विषैले सांप ने काट लिया । उसे मालूम था कि इस बार रहस्यमय बीमारी का नाटक नहीं चलेगा । बहुत चतुर है तेनाली राम।” राजा ने हंसते हुए कहा ।

उस व्यक्ति ने वापस तेनाली राम के पास पहुंचकर सारी बात सुना दी।

“कैसा व्यंग है भाग्य का ? ” तेनाली राम ने कहा, “झूठा आदमी जब सच बोलता है तो उस पर कोई विश्वास नहीं करता । मैं जानता हूं, जब राजा को मेरी मृत्यु का समाचार मिलेगा, तो वह बहुत दुखी होंगे। जिसे आश्रयदाता के रूप में राजा मिले, वह सचमुच बड़ा भाग्यशाली है ।”

कुछ देर बाद तेनाली राम चल बसा । मरते समय उसके होंठों पर मुस्कान थी । शायद कोई हंसी की बात सूझ गई थी ।

इधर राजा को भी सन्देह हुआ कि तेनाली राम की मृत्यु निकट होने की बात कहीं सच ही न हो । वह तेनाली राम के घर की ओर चल दिए और उसकी मृत्यु के कुछ क्षण बाद वहां पहुंचे ।

“क्या ? क्या यह सचमुच मर गया है ? नहीं-नहीं, यह तो नाटक कर रहा है । देखों, इसके चेहरे पर कैसी मुस्कराहट है।” राजा ने कहा

फिर उसे झिंझोड़ते हुए राजा रो पड़े, “उठो, अपने मित्र से कुछ तो बात करो । तुम मरे नहीं हो । ऐसा जिंदादिल आदमी मर कैसे सकता है ? तुमने जीवन भर मुझे हंसी और खुशी के अमूल्य पल दिए है। अब तुम्हारे बिना वह सब कौन करेगा ? वे शरारते, वे चुटकुले! उठो तेनाली राम ।

राजा का चेहरा आंसुओं में डूबा हुआ था । सब ने राजा को सांत्वना दी ।

राजा ने आदेश दिया कि तेनाली राम का दाह संस्कार चंदन की चिता पर किया जाए । दाह संस्कार के समय जब तेनाली राम की चिता से लपटें उठी, राजा ने भरे गले से कहा, “कैसा अनोखा विदुषक था । ऐसा और कौन होगा ?”

तेनाली राम चल बसा, पर उसके कारनामे आज भी मौजूद है ।

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