तुलसी विवाह कथा | तुलसी विवाह पूजन विधि | tulsi vivah katha | tulsi vivah puja vidhi

tulsi vivah katha

कार्तिक मास में स्नान करने वाली स्त्रियाँ कार्तिक एकादशी को शालिग्राम और तुलसी विवाह रचाती हैं । समस्त विधि-विधानपूर्वक गाजे-बाजे के साथ एक सुन्दर मण्डप के नीचे यह कार्य सम्पन्न होता है । विवाह में स्त्रियाँ गीत तथा भजन गाती हैं ।

मगन भई तुलसी राम गुन गाइके मगन भई तुलसी।
सब कोऊ चली डोली पालकी रथ जुड़वाये के ॥
साधु चले पाँय पैंया, चींटी सों बचाई के।
मगन भई तुलसी राम गुन गाइके ॥

तुलसी विवाह कथा | Tulsi Vivah Katha


कार्तिक के महीने में सब कोई तुलसी को सींचने जाती हैं । सब कोई तो सींच के आ जातीं । एक बुढ़िया माई आती जो तुलसी माता से रोजाना कहती – तुलसी माता सत की दाता, मैं बिड़ला सींचू तेरा, तू कर निस्तारा मेरा, तुलसा माता अड्डुवा दे लडुवा दे, पीतांबर की धोती दे, मीठा-मीठा ग्रास दे, बैकुण्ठ का वास दे, चटके की चाल दे, पटके की मौत दे, चंदन का काठ दे, झालर की झणकार दे, साई का राज दे, दाल-भात का जीमन दे, ग्यारस का दिन दे, कृष्ण का कांधा दे, इतनी बात सुनकर तुलसा माता सूखने लगी ।

भगवान ने पूछा कि तुम्हारे पास इतनी औरतें आती हैं । तुम्हें खिलावैं-पिलावें तो भी तुम कैसे सूखने लगी ? तुलसी माता ने कहा कि – एक बुढ़िया माई आती है । जो रोजाना इतनी बात कहकर जाती है मै और तो सब कुछ दे दूंगी, पर आप कृष्ण का कांधा कहाँ से दुगी ? थोड़े दिन बाद बुढिया मर गई । सब कोई उसको उठाने लगी पर वह इतनी भारी हो गई कि उठी नहीं । सब कोई कहने लगे – पाप घाट की माला फेरती थी जिससे इतनी भारी हो गई । भगवान बूढ़े के रूप धारण करके आए । सबसे पूछने लगे – इतनी भीड़ क्यौ हो रही है ? सब बोले – बुढिया मर गई, पापीन थी, इसलिए किसी से नहीं उठती । तब भगवान बोले कि – इसके कान में मुझे एक बात कहने दो तो ये उठ जाएगी । सबने कहा कि – तू भी मन की निकाल ले । भगवान ने जाकर उसके कान में कहा – बुढ़िया माई ! तू बिड़ला सींचे मेरा, मैं करूँ निस्तारा तेरा, बुढ़िया माई अडुवा ले गड्वा लें, पीताम्बर की धोती ले, मीठा-मीठा ग्रास ले, बैंकुण्ठ का वास ले, चटके की चाल ले, पटके की मौत ले, चन्दन का काठ ले, झालर की झणकार ले, सांई का राज ले, दाल-भात का जीमन ले, कृष्ण का कांधा ले । इतना सुनते ही बुढ़िया माई हल्की हो गई ।

भगवान काँधे पर ले गए । उसकी मुक्ति हो गई । हे तुलसा माता, जैसे बुढ़िया की मुक्ति करी, वैसी सब की करें ।

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