UFO | Unidentified flying object । उड़न तश्तरी

UFO | Unidentified flying object । उड़न तश्तरी

कभी-कभी विज्ञान के अंतराल में ऐसे अद्भुत दृश्य प्रकट होते हैं, जिनकी कार्य और कारण में कोई संगति नहीं बैठती । ऐसे घटनाक्रमों की एक लंबी श्रृंखला है ।

१३ मई १९१७ का दिन था। पुर्तगाल में स्थित फातिमा नगर लिस्बन से कोई ९९ किलोमीटर दूर ‘कारवां द दूरिया’ नामक झरने के पास तीन बच्चे लूसिया डोस सेंटोस(१० वर्ष), फ्रांसिस्को मार्तो (९ वर्ष) तथा जेसिन्तो मार्टो (७ वर्ष) अपने जानवर चरा रहे थे कि अचानक आकाश से एक अजीब तरह का यान उतरा, जिसके चारों ओर से तेज प्रकाश प्रकट हो रहा था ।

उसमें से एक अलौकिक देवी प्रकट हुई । देवी ने मुस्करा कर बच्चों से कहा- ‘डरो मत मैं स्वर्ग से आई हूँ। तुम लोग इसी समय कहो, तो प्रकाश समेत मेरे दर्शन करते रह सकोगे।’ बच्चों ने वर्जिन मेरी के दर्शन होने की बात अपने अभिभावकों को सुनाई, किन्तु वे इससे सहमत नहीं हुए । किन्तु ठीक एक महीने बाद १३ जून को फिर एक अंतरिक्ष यान आया, उसमें से कुछ यात्री उतरे । अबकी बार सम्मोहन किरणें जैसी फेंकी । बच्चों से कुछ कहा । बच्चे इस बार कुछ समझे तो नहीं, परन्तु हाव-भाव से ऐसा लगा कि वह कह रहे हों कि- ‘तुम बहुत अच्छे लगते हो।’ फिर १३ जुलाई को इसी घटना की पुनरावृत्ति हुई । अब इस बात को सारा नगर जान चुका था, पर जो हजारों दर्शक उस स्थान पर जमा हो गए थे, उन्हें निराशा ही हाथ लगी । कुछ दिखाई नहीं दिया ।

UFO

१३ अक्तूबर को गांव के आस-पास के लोग सत्तर हजार की संख्या में उस देवी वर्जिन मेरी के दर्शन करने के लिए एकत्रित हुए थे । देवी के दर्शन तो हुए नहीं, पर लोगों ने बादलों के बीच चांदी जैसा चमकता हुआ एक दिव्य प्रकाश का गोला देखा था । दर्शकों में पढ़े-लिखे, अनपढ़, नास्तिक, आस्तिक, वैज्ञानिक सभी किस्म के लोग थे । सभी ने उस समय वह प्रकाश पुंज देखा तथा आश्चर्य चकित रह गए कि आखिर है यह क्या ? गोला स्थिर न रहा, उसने कई घेरे बनाकर कलाबाजियां खानी शुरू कर दी । धीरे-धीरे गोला तश्तरी जैसा बनने लगा । बहुत समय तक उसमें इंद्रधनुष उभरा रहा । इंद्रधनुष बहुत लंबा था । आकाश के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक उसकी लंबाई थी । इस समय हलकी वर्षा हो रही थी । दर्शकों के कपड़े भीग रहे थे । इतने में प्रकाश के गोले ने एक गरम लहर का चक्कर लगाया तथा देखते-ही-देखते सबके कपड़ों से भाप उठने लगी तथा वे सब ऐसे सूख गए मानो वर्षा से किसी के कपड़े भीगे ही न हों ।

इस घटना की जानकारी मिलने पर सारे पुर्तगाल में तहलका मच गया । पुर्तगाल के प्रसिद्ध दैनिक पत्र ‘मार्से क्यूलो’ के संपादक ने इस घटना का आंखों देखा विवरण चित्रों सहित छापा तथा उसे ‘ सूर्य का नृत्य ‘ नाम दिया । कुछ मनोवैज्ञानिकों ने तर्क किया कि यह सीधे-सादे शब्दों में देवी का चमत्कार है तथा यह प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति पर शांति का बोधक है ।

उस समय जो प्रश्न वैज्ञानिकों के सामने खड़े हुए थे, वे आज भी वैज्ञानिकों के सामने चुनौती बनकर खड़े हैं । सत्तर हजार लोगों ने एक ही समय एक ही घटना देखी, अतः यह दृष्टि भ्रम नहीं हो सकता है । आखिर उन्होंने क्या देखा ? देवी का चमत्कार या किसी अन्य लोक के यान ? क्या वर्जिन मेरी वास्तव में देवी थी या अन्य ग्रह की यात्री ? सबके कपड़ों का गीलापन भाप बन कर उड़ गया और कपड़े सूख गए कैसे ? इन प्रश्नों का उत्तर अभी भी मिलना बाकी है ।

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