विनायक जी की कहानिया (मारवाड़ी मे)
Vinayak Ji Ki Kahaniya (In Marwari)
विनायक जी की कहानी, विनायक जी की कथा, विनायक जी महाराज की कहानी , विनायक जी की व्रत कथा
एक मीडको ओर एक मींडकी ही | मींडकी दिन उगतो ओर विनायकजी की कहानी केवती । विनायकजी को ध्यान करती । मींडकों बोलतो रोंज दिन उगे ओर तू पराया मिनख को नाम लेव । दिनुका-दिनुका म्हारो माथो खाव मींडकी बोली थे यान क्यूं बोलौ कणाई तो विनायकजी महाराज आपाकी सहायताकरी मींडको केवतो बे आपा जिनावरांकी कांई तो सहायता करी ।
एक दिन राजा की धोबन आयी । कपड़ा धोवण लाई । हंडी पाणी भरयो बीम मीडका मीडकी आयगा । तीन भाटा रख नीचसू आंच लगार हंडी रख दिवी। पाणी गरम होवण लाग्यो । जणा मीडकों-मीडकी न बोल्यो तू रो विनायकजी को याद कर अगर आज विनायकजी आपांकी सहायत करी तो सच्चा जाणू। मींडकी विनायकजी न याम करणू शुरु कर दी | दो बेल लडता-लडता आया हंडी क लात को दिवी हंडी फूटगी | मीडको-मींडकी तलाब म जार बेठग्या । मींडकी बोली देखो आपांकी सहायता विनायकजी करी ना ? मींडको ई बात न मानगो । भगवान् बे की सहायता करी ज्यान म्हाकी सब की करीजो |