विनायक जी की कहानी – १४ (मारवाड़ी मे) | Vinayakjee kee kahani – 14 (In Marwari)

विनायक जी की कहानिया (मारवाड़ी मे)

Vinayak Ji Ki Kahaniya (In Marwari)

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एक मीडको ओर एक मींडकी ही | मींडकी दिन उगतो ओर विनायकजी की कहानी केवती । विनायकजी को ध्यान करती । मींडकों बोलतो रोंज दिन उगे ओर तू पराया मिनख को नाम लेव । दिनुका-दिनुका म्हारो माथो खाव मींडकी बोली थे यान क्यूं बोलौ कणाई तो विनायकजी महाराज आपाकी सहायताकरी मींडको केवतो बे आपा जिनावरांकी कांई तो सहायता करी ।

एक दिन राजा की धोबन आयी । कपड़ा धोवण लाई । हंडी पाणी भरयो बीम मीडका मीडकी आयगा । तीन भाटा रख नीचसू आंच लगार हंडी रख दिवी। पाणी गरम होवण लाग्यो । जणा मीडकों-मीडकी न बोल्यो तू रो विनायकजी को याद कर अगर आज विनायकजी आपांकी सहायत करी तो सच्चा जाणू। मींडकी विनायकजी न याम करणू शुरु कर दी | दो बेल लडता-लडता आया हंडी क लात को दिवी हंडी फूटगी | मीडको-मींडकी तलाब म जार बेठग्या । मींडकी बोली देखो आपांकी सहायता विनायकजी करी ना ? मींडको ई बात न मानगो । भगवान् बे की सहायता करी ज्यान म्हाकी सब की करीजो |

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